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ओडिशा की दो बहनें फसल अवशेष से बना रहीं EV Batteries, जो होंगी पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल

ओडिशा की इन दो बहनों, निकिता और निशिता बलियारसिंह ने 2019 में Nexus Powers को लॉन्च किया। इन बहनों ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी में लिथियम की जगह फसल अवशेषों का इस्तेमाल किया है।

By पूजा दास
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Odisha Sisters Nikita and Nishita Baliarsingh are making biodegradable EV batteries

ओडिशा की निकिता और निशिता बलियारसिंह के लिए, कार बनाना बचपन का सपना रहा है। इसलिए जब दोनों बहनें इस बात पर चर्चा करने के लिए बैठीं कि वे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना कार कैसे बना सकती हैं, तो उन्हें एक ही समाधान नजर आया- इलेक्ट्रिक वाहन (EV)। हालांकि, जल्द ही उन्होंने महसूस किया कि ईवी की मांग काफी कम है। इसका कारण इलेक्ट्रिक वाहनों की रेंज और लागत है। सबसे बड़ी चिंता इन वाहनों की बैटरी (EV Batteries) में इस्तेमाल होने लिथियम को लेकर थी, जिसके खनन और प्रॉसेसिंग से पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

इन बहनों ने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कुछ अलग करने का सोचा और इस समस्या का समाधान उन्हें अपने घर के पीछे वाले हिस्से में मिला। वह समाधान था, फसल अवशेष का उपयोग। इसी आइडिया के साथ दोनों बहनों ने साल 2019 में 'नेक्सस पावर्स' को लॉन्च किया।

इन EV Batteries से किसानों को होगा सीधा फायदा

इनके ज़रिए बनाई गई हर 100 बैटरी से एक किसान को अतिरिक्त 25,000 रुपये कमाने में मदद मिलती है। साथ ही उन्हें फसल अवशेषों को जलाने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती और वायु गुणवत्ता (Air Quality) के लिए एक बड़ी समस्या का समाधान भी हो जाता है।

आज दोनों बहनें भुवनेश्वर में किसानों के साथ फसल अवशेषों का उपयोग करके ईवी बैटरी बनाने का काम कर रही हैं। नेक्सस पावर के कमर्शियल होने के बाद, वे पूरे भारत में अपनी पहल शुरू करने की योजना बना रहे हैं। ये बैटरी 8 से 10 गुना तेजी से चार्ज होती है, 20 से 30% लंबी बैटरी लाइफ देती है और नियमित बैटरी की तुलना में 30 से 40% सस्ती होती है। इसके अलावा, ये पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल हैं।

द बेटर इंडिया और एमजी मोटर इंडिया, MGChangemakers सीजन 3 के को-क्रिएशन के लिए साथ आए हैं, इस सीरीज़ के तहत, इन दो बहनों की तरह, सामाजिक परिवर्तन के लिए इनोवेशन करने वाले रियल हिरोज़ को पहचाना और सम्मानित किया जाता है।

देखें, कैसे निकिता और निशिता एक स्थायी भविष्य बनाने के अपने सपने को पूरा कर रहे हैं:

संपादनः अर्चना दुबे

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