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ओडिशा की मधुमिता अग्रवाल बनीं, भारतीय EV मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की पहली महिला को-फाउंडर

Woman In Technology

मधुमिता अग्रवाल उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं, जो एक सफल उद्यमी बनने का सपना देखते हैं। ओडिशा के राउरकेला में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी मधुमिता, अपनी मेहनत और लगन से लगातार सफलता की कई सीढ़ियां चढ़ रही हैं। उन्होंने करोड़ों का राजस्व अर्जित करने वाली फर्म ‘IPexcel’ की स्थापना की और अब अपने पति, दिनकर के साथ एक भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी, जो एक इन-हाउस इलेक्ट्रिक वाहन ‘OBEN’ को विकसित कर रही है, की सह-स्थापना की है। इस तरह, मधुमिता भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी का नेतृत्व (Woman in technology) करने वाली पहली महिला बन गई हैं।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए, मधुमिता ने अपने करियर की दिलचस्प यात्रा के बारे में बताया। उनकी यात्रा राउरकेला से शुरु होते हुए आईआईटी-खड़गपुर, आईआईएम-बेंगलुरु और अब बेंगलुरु पर ठहरी है। बेंगलुरु को भारत का टेक्नोलॉजी हब कहा जाता है और यहीं से उनके दोनों उद्यमों का संचालन होता है।

करोड़ों का व्यवसाय बनाना

मधुमिता का जन्म, स्टील निर्माण के लिए प्रसिद्ध राउरकेला शहर में हुआ था। यहीं से उन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई पूरी की और फिर ‘बीजू पटनायक प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय’ (BPUT) से बायोटेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग की डिग्री ली। इसके बाद, उन्होंने आईआईटी-खड़गपुर के ‘राजीव गांधी स्कूल ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉ’ (RGSOIPL) से, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी में विशेषज्ञता करते हुए कानून की डिग्री हासिल की।

आईआईटी सिस्टम के भीतर, जहाँ हर साल सैंकड़ों इंजीनियरों का भविष्य तैयार होता है। वहां, यह अपनी तरह का पहला लॉ स्कूल है, जो आईपी ​​विशेषज्ञता के साथ कानूनी शिक्षा प्रदान करता है। यहाँ उन्होंने तीन साल के आवासीय कार्यक्रम में दाखिला लिया और ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ द्वारा स्वीकृत इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी कानून में, बैचलर ऑफ लॉ (ऑनर्स) की डिग्री हासिल की।

मधुमिता कहती हैं, “जब आप पेटेंट या इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी कानून में विशेषज्ञता करते हैं तो आपको टेक्नोलॉजी की विभिन्न बारीकियों को समझना होता है। अपनी इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद, मैं कभी भी इस क्षेत्र को पूरी तरह से छोड़ना नहीं चाहती थी लेकिन, मुझे पीएचडी की पढ़ाई में भी कोई दिलचस्पी नहीं थी। यही कारण है कि मैंने आईआईटी-खड़गपुर के इस कोर्स में दाखिला लिया। 2012 में आईआईटी-खड़गपुर से ग्रैजुएट होने के बाद, मैंने अपनी खुद की कंपनी ‘IPexcel’ शुरू की। जो प्रौद्योगिकी कंपनियों को नवाचारों को विकसित करने, मौजूदा प्रौद्योगिकियों में सुधार करने और उनके इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी से जुड़े अधिकारों (आईपीआर) की रक्षा करने में मदद करती है। हमारी फर्म ने कई बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए काम किया है, जिससे उन्हें अपने लिए सही तरह की तकनीकों की पहचान करने में मदद मिली है।”

कंपनी के पास आज विभिन्न प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में 1,500 से ज़्यादा क्लाइंट हैं। 10 देशों में मिड-साइज़ की कई फर्म और स्टार्टअप के अलावा, उनके पाँच क्लाइंट ऐसे हैं जिनका नाम ‘फॉर्च्यून 500 कंपनियों’ की सूची में आ चुका है।

मधुमिता आगे बताती हैं, “मेरे पति दिनकर अग्रवाल आईआईटी-खड़गपुर के पूर्व छात्र रह चुके हैं और एक आविष्कारक के रूप में, उनके नाम पर पाँच पेटेंट हैं। वह पहले ‘जनरल इलेक्ट्रिक’ के साथ काम कर चुके हैं। उन्होंने मुझे हमारे पहले उद्यम IPexcel की सह-स्थापना में मदद की। उनके आविष्कार का ज्ञान और आईपीआर के बारे में मेरी समझ का लाभ उठाते हुए, हमने शुरुआत में अपनी सेवाएं उन मिड-साइज़ की कई फर्म और स्टार्टअप को बेचीं, जिनके पास अपना इन-हाउस सेटअप नहीं था। हम दोनों ने मिलकर कंपनी की शुरुआत की। दो सदस्यों से बढ़ कर, आज IPexcel के भारत और अमेरिका ब्रांच में 70 से अधिक सदस्य हैं। IPexcel को चलाने के दौरान, मैंने आईआईएम-बेंगलुरु (2016-17) से अपना एग्जीक्यूटिव एमबीए भी किया।“

IPexcel, आज एक मल्टी मिलियन डॉलर का राजस्व देने वाली कंपनी है। इस कंपनी को शुरू करने से पहले, मधुमिता ने उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए कई इंटर्नशिप की, जहाँ वह अपने करियर को आगे बढ़ाना चाहती थीं। आईआईटी-खड़गपुर में पढ़ाई के दौरान, उन्होंने महसूस किया कि उनकी ताकत पेटेंट और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी में है। एक टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में, उन्होंने महसूस किया कि वह एक पेटेंट अटॉर्नी के रूप में सबसे अच्छा काम कर सकती हैं।

अपनी यात्रा के बारे में आगे मधुमिता बताती हैं, “इस क्षेत्र की पहचान हो जाने के बाद, यह मेरे लिए ताकत और आत्मविश्वास का एक स्त्रोत बन गया। और फिर, मैंने इसे एक पूर्ण उद्यम के रूप में आगे बढ़ाने का फैसला किया। हमारी सेवाओं को बेचना शुरू में बहुत कठिन था। क्योंकि, हम एक ऐसे देश में आविष्कार की बात कर रहे हैं, जहाँ अब भी ‘जुगाड़’ को सराहा जाता है। जिसे बेचना हमारे लिए काफी कठिन था। जब आपके पास एक निश्चित उत्पाद होता है तो आपके लिए, ग्राहकों को समझाना आसान हो जाता है। लेकिन, जब आपके पास एक आईपी सेवा होती है तो इससे आपको तुरंत सफलता नहीं मिलती है। इसका आउटपुट, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी या एक उत्पाद हो सकता है, जो कुछ महीनों या सालों के बाद ही बाजार में आ सकता है। यह कोई तात्कालिक और वास्तविक सफलता या संतुष्टि नहीं है, जिसे ग्राहक अनुभव कर सके। हालाँकि, ग्राहकों के लिए हम जो वैल्यू एडिशन लाएं, उससे हमें हर साल 200% (CAGR) बढ़ने में मदद मिली। हम अपने उद्यम को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए दृढ़ संकल्प थे।”

अधिकांश कंपनियों के लिए आईपीआर डोमेन में, इस तरह के शानदार विकास को प्राप्त करने और व्यापार को बढ़ाने में, अक्सर 10 से 20 साल तक का समय लगता है। आखिरकार, वे अपने व्यवसाय के द्वारा जिसे बेच रहे हैं, वह किसी प्रोड्क्ट की तरह नहीं दिखता है। उनके लिए ज़रुरी है कि, इस डोमेन में ग्राहकों ( जो ज़्यादातर तकनीकी कंपनियां होती हैं और जो वास्तविक उत्पादों का निर्माण करती हैं ) के लिए वास्तविक वैल्यू एडिशन ले कर आएं।

आखिर क्या है मधुमिता और दिनकर की कामयाबी का राज?

मधुमिता बताती हैं, “संस्थापकों के रूप में हम काफी जोशीले थे तथा हमने कंपनी के लिए बहुत उच्च मानक निर्धारित किए थे। शुरुआत में, ऐसी संस्थाओं के सह-संस्थापकों को एक दूसरे का पूरक बनने की जरूरत होती है। जहाँ मैंने सेल्स, मार्केटिंग और ग्राहकों को संभाला। वहीँ, मेरे पति ने हमारी सेवाओं को निष्पादित करने का पूरा ध्यान रखा। हमने अपनी टीम में बहुत ही मंजे हुए पेशेवर लोगों की भर्ती की, जो एक दूसरे के पूरक साबित हुए। लेकिन आप टीम में किन्हें शामिल करते हैं, कहाँ निवेश करते हैं और कैसे ट्रेन करते हैं, यह ध्यान रखना ज़रुरी होता है। ये हमारी प्राथमिकताएं थी। हम हमेशा या तो टॉप संस्थानों से या बहुत मजबूत तकनीकी परिवेश वाले लोगों को ही काम पर रखते हैं।”

अपने शुरुआती दिनों में, IPexcel ने ऐसे लोगों को काम पर रखा था, जो तकनीकी रूप से मजबूत थे और अपने काम के प्रति अत्यधिक जोशीले थे। मधुमिता स्वीकार करती हैं कि शुरुआत में, कर्मचारियों के लिए भी सब कुछ बेहद मुश्किल था, लेकिन पहले जिन लोगों को उन्होंने काम पर रखा था, वे अब वहाँ के लीडर हैं। यही कारण है कि मधुमिता और उनके पति ने 2020 में IPexcel से बाहर जाने का फैसला किया। उन्होंने फर्म का फाउंडेशनल सिस्टम बनाया और उन्हें लीडर बना दिया।

इसकी सबसे अच्छी बात यह थी कि यह अपनी लागत से खड़ी की गई एक इकाई थी, जो अंततः उद्यमों के लिए नहीं बल्कि ग्राहकों के लिए काम करने वाली इकाई बन गई। आज, मधुमिता फर्म की एक प्रमोटर है, जो कंपनी के दैनिक मामलों में एक मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में शामिल नहीं होती हैं।

मधुमिता अपनी टीम के सदस्यों के साथ कॉफ़ी का मज़ा लेते हुए

ईवीएस की तरफ जाना

IPexcel चलाने के दौरान, इस दंपति ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी व्यवसाय में कई फर्म के साथ संपर्क किया। इस तरह, उन्होंने अपने बाजार और इसकी मौजूदा समस्याओं को समझने के अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों में एक विशेषज्ञता और मजबूत रुचि विकसित की।

मधुमिता बताती हैं, “पिछले चार सालों से, हम इस डोमेन में काम कर रहे हैं और भारतीय बाजार में विभिन्न उत्पादों, समस्याओं और कमियों पर समझ विकसित कर रहे हैं। लेकिन, पिछले साल की शुरुआत में ही हमने सह-संस्थापकों के रूप में, बाजार में कमियों की पहचान करने के संबंध में गंभीर विचार-विमर्श किया। खुद को आगे बढ़ाने की योजना पर चर्चा की। अगस्त 2020 तक, हमने कमियों की पहचान कर ली थी। हमने सही टीम बनाई और आधिकारिक तौर पर बेंगलुरु में ‘OBEN इलेक्ट्रिक व्हीकल’ को स्थापित किया।“

OBEN की स्थापना से पहले, उन्होंने इस क्षेत्र की दो प्रमुख समस्याओं की पहचान की:

1) भारत में बहुत सारे सस्ते और खराब गुणवत्ता वाले ईवी उत्पादों को लाया जा रहा है।

2) उपभोक्ता अपने ईवी को चार्ज करने को लेकर परेशान रहते हैं। उन्हें इस बात की चिंता रहती है कि वे अपनी ईवी कहाँ और कितने देर तक चार्ज कर सकते हैं? जहाँ देश में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर अभी भी बेहतर नहीं है।

इस स्टार्टअप ने इन परेशानियों को संबोधित किया है। जो एक प्रीमियम ई-स्कूटर विकसित करके और एक ऑटोनोमस बैटरी स्वैपिंग समाधान पेश करके, इन चिंताओं को दूर करने की कोशिश में है। वर्तमान ईवी बाजार में ऐसी कुछ कम्पनियां हैं, जो B2C सेगमेंट में, गुणवत्ता वाले ई-स्कूटर बेच रहे हैं। लेकिन, चार्जिंग की परेशानियों और ग्राहक सेवा जैसी अन्य चिंताओं को संबोधित नहीं किया गया है।

मधुमिता कहती हैं, “अगले महीने तक हमारे ई-स्कूटर का प्री-प्रोडक्शन मॉडल तैयार हो जाएगा। स्कूटर की टॉप स्पीड 90 किमी प्रति घंटा होगी और इसकी बैटरी रेंज 130 किमी है। हमने सभी जरूरी स्मार्ट फीचर को इसमें इन्स्टॉल किया है। हमने ऑटोनोमस बैटरी स्वैपिंग और बुनियादी ढांचे को बैकअप देने के लिए एक ऑटोनोमस तकनीक का निर्माण किया है। बैटरी की सेल को छोड़कर, सभी कल-पुर्जे भारत में बनाए और डिजाइन किये गए हैं। शुरुआत में, हम इन ई-स्कूटरों का निर्माण स्वयं करेंगे, लेकिन जैसे-जैसे संख्या बढ़ेगी, हम अन्य भागीदारों की तलाश करेंगे।”

OBEN

टेक्नोलोजी के क्षेत्र में सफल होती महिलाएं

द बेटर इंडिया से बात करते हुए, उनके पति, दिनकर कहते हैं, “मैं वास्तव में मधुमिता के पति होने पर गर्व महसूस करता हूँ। वह बहुत मेहनती और अनुशासित हैं। ये चीज़ें उनके पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। मैं अब भी यह देख कर हैरान हो जाता हूँ कि वह दोनों फर्म के काम को कैसे मैनेज करती हैं और लगातार सफलता की सीढ़ी चढ़ रही हैं। वह अपने करियर में तेजी से आगे बढ़ रही हैं और मैं उनके प्रयासों में, उनका समर्थन करने के लिए हमेशा मौजूद रहूंगा।”

अपने पति के समर्थन के बावजूद, किसी भी महिला को टेक्नोलॉजी क्षेत्र में जाने के लिए, पुरषों की तुलना में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।

वह कहती हैं, ”वर्तमान समय में हम ऐसी जगह काम कर रहे हैं, जहाँ पुरुषों का बोलबाला है। स्टेकहोल्डर्स को समझाने और विश्वास दिलाने के लिए महिलाओं को ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इसके स्पष्ट रुप से कई कारण हैं लेकिन, मैं आगे बढ़ गई हूँ तथा टेक्नोलॉजी मैन्युफैक्चरिंग, उत्पाद-निर्माण और कोडिंग जैसी जगहों पर काफी महिलाओं को देख रही हूँ। पुरुषों के वर्चस्व वाले स्थानों पर, अब महिलाएं चुनौतियां ले रही हैं और उम्मीदों पर खरी उतर रही हैं। उन्हें वास्तव में अपनी पहचान बनाने में कुछ और समय लगेगा। क्योंकि, ऐसी महिलाओं की संख्या अब भी कम है।”

दिनकर इस बात से सहमत हैं कि टेक्नोलॉजी उद्यमों में अधिक महिलाओं की जरूरत है। वह कहते हैं, “मधुमिता हमारे संगठन में किए गए हर निर्णय के लिए, एक वैकल्पिक नजरिया सुझाती है। यह एक बड़ी वजह है कि हम सफल रहे हैं। महिलाएं उन चीजों को देखती हैं जो हम नहीं देख पाते हैं और यह जरूरी है कि ज़्यादा महिलाएं टेक्नोलॉजी संचालित उद्यम का हिस्सा बनें।”

मधुमिता अपनी टीम के सदस्यों के साथ

तो, इन जगहों पर पहुँचने और अपनी जगह बनाने की इच्छा रखने वाली युवतियों के लिए मधुमिता की क्या सलाह है? “फ्रेश ग्रैजुएट युवतियों को मेरी यही सलाह है कि वे अपना आत्मविश्वास बनाए रखें। आप आत्मविश्वास को ज्ञान के असीमित भण्डार से, अपने विषय पर पकड़ बना कर और अपने काम को ठीक से पूरा करके हासिल करते हैं। जब पहली बार आप अपने काम के जरिए, अच्छा परिणाम देते हैं तो धीरे-धीरे आत्मविश्वास हासिल करना, आपके लिए आसान होता जाता है। महिलाओं को अपना स्तर ऊपर करने की ज़रुरत है।”

मूल लेख- रिनचेन नोरबू वांगचुक

संपादन- जी एन झा

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