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भारत में बुनाई की परंपरा को सम्मान देने और इसे जिवित रखने के लिए, हैदराबाद की रहनेवाली प्रियंका नरूला ने अक्टूबर 2018 में 'द विकर स्टोरी' की शुरुआत की थी। अपनी कंपनी के बारे में बात करते हुए प्रियंका कहती हैं कि, “द विकर स्टोरी के ज़रिए हम कोशिश कर रहे हैं कि पुरानी व पारंपरिक डिजाइनों और मेथड से बनने वाले रतन फर्नीचर (Rattan Furniture) को नए आइडियाज़ व सोच के साथ जोड़कर नई पहचान दिलाई जाए।”
कानपुर में जन्मी और पली-बढ़ीं प्रियंका का कहना है कि वह एक रूढ़िवादी घराने में पली-बढ़ी हैं। वह पढ़ाई-लिखाई करने की बहुत शौकीन थीं और काफी आगे तक पढ़ाई करना चाहती थीं, लेकिन उन्हें लंबे समय तक यह पता ही नहीं था कि असल में वह करना क्या चाहती हैं?
प्रियंका बताती हैं, “भले ही उस समय तक यह नहीं पता था कि करना क्या है, लेकिन यह जानती थी कि इंजीनियरिंग तो नहीं करनी। इसलिए इंजीनियरिंग से बचने के लिए मैंने आर्किटेक्चर की तरफ जाने का फैसला लिया और फिर बाद में जो हुआ वह तो बस इतिहास है।”
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प्रियंका ने आर्किटेक्चर की पढ़ाई शुरू की। पढ़ाई के दौरान उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें डिजाइनिंग, लोगों से मिलना और उनके व्यक्तित्व को समझना और फिर डिजाइन को कस्टमाइज़ करना बहुत पसंद है। बस, फिर यहीं से द विकर स्टोरी की शुरुआत हुई।
यह बिजनेस क्यों है इतना खास?
द विकर स्टोरी में, फर्निचर बनाने के लिए बेंत का इस्तेमाल एक प्राथमिक सामग्री के रूप में किया जाता है। प्रियंका कहती हैं, “रतन / बेंत किसी भी जगह पर आसानी से घुलमिल जाता है और उस स्थान की खूबसूरती बढ़ा देता है। बेंत से बने फर्निचर (Rattan Furniture) को किसी भी जगह रखा जाए, वह बड़ी आसानी से उस जगह से मेल खा लेता है।”
इसकी खासियत के बारे में बात करते हुए वह आगे कहती हैं, "यह एक ऐसी सामग्री है, जो मुझे लगता है कि कभी भी फैशन से बाहर नहीं जाएगी। इसके साथ बहुत कुछ किया जा सकता है।” अब तो प्रियंका की जीरो वेस्ट प्रोडक्शन पद्धति से बनने वाले इस 100 प्रतिशत टिकाऊ प्रोडक्ट के लिए लंदन में भी खरीदार मिल गए हैं।
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बेंत से बने Rattan Furniture को ही क्यों चुना?
प्रियंका आगे बताती हैं, "जब मैंने इस क्षेत्र में काम करना शुरू किया, तो मैंने महसूस किया कि नए युग की बहुत सारी मनुफैक्चरिंग प्रणालियां, टेक्नॉलजी आधारित थीं। ऐसे में हमने सोचा कि हमारी संस्कृति और स्थानीय वास्तुकला इतनी समृद्ध है, तो क्यों न इसे हम अपने डिजाइन्स का हिस्सा बना लें?”
विभिन्न मशीनों के माध्यम से बहुत सारे 3डी प्रिंटिंग और जटिल मनुफैक्चरिंग प्रणाली के प्रयोगों के बाद, हमें एक शिल्पकार के साथ काम करते हुए महसूस हुआ कि उनके कौशल में कितना नयापन है। प्रियंका कहती हैं, "हमारे कारीगरों के पास पहले से ही सदियों पुरानी प्रथा और कौशल था, बस हमने थोड़ा तकनीक का तड़का लगाया और फिर हमरा पहला प्रोडक्ट लॉन्च हुआ - IMLI (इमली की फली के आकार का एक बेंच)।"
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इस प्रोडक्ट के बारे में बताते हुए, प्रियंका कहती हैं, “IMLI के लिए प्रेरणा उन सभी चीजों से मिलती है, जो हमें पुरानी यादों की ओर ले जाती हैं। यह फल हमारी मां के हाथों से बने भोजन और बेंत की कुर्सियों की याद दिलाता है, जिसके चारों ओर हम पले-बढ़े हैं। हमारा इरादा एक आरामदायक व मुलायम फर्नीचर बनाना था, जो दिखने में खूबसूरत भी हो और बैठने के काम भी आए।"
किस तरह के प्रोडक्ट्स बनाती है कंपनी?
भारत के अधिकांश हिस्सों में बेंच बनाने के लिए पारंपरिक रूप से बेंत बुनाई की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। हमारा उद्देश्य स्थानीय तकनीक को अपनाते हुए ऐसे डिजाइन बनाना है, जो वैश्विक बाजार मानकों से जटिल और नए हों। अपनी कार्यप्रणाली के माध्यम से हम जीरो मटेरियल वेस्ट के साथ एक सहज डिजाइन बनाने की कोशिश करते हैं। इन प्रोडक्ट्स को आगे अलसी के तेल से फाइनल टच दिया जाता है।”
प्रियंका ने एक ऐसा प्रोडक्ट बनाया है, जिसमें कहीं से जोड़ नहीं है और इसे बनाने के लिए बेहद कम सामग्री का उपयोग किया गया है। यह वजन में तो हल्का है, लेकिन काफी मजबूत है। वह कहती हैं, "इस प्रोडक्ट की सफलता ने हमें इस तरह के और प्रोडक्ट बनाने के लिए प्रेरित किया और फिर हमने लिफाफा चेयर, ब्लूम बेंच और कोरल लैंप जैसे कई अन्य प्रोडक्ट भी बनाए।"
उन्होंने हमें बताया कि कुछ गिने-चुने ही डिजाइन हाउस ऐसे हैं, जो खासतौर पर बेंत के साथ काम करते हैं। वह कहती हैं, “ईमानदारी से कहूं, तो जब हमने शुरुआत की, तो घबराहट बहुत थी और हमें यकीन नहीं था कि भारतीय बाजार ऐसे प्रयोगात्मक बेंत से बने प्रोडक्ट को अपनाएगा। यह एक जुआ था, जिसे हमने स्वेच्छा से खेला था।" प्रियंका बताती हैं कि करीब डेढ़ साल तक डिजाइन हाउस केवल दो प्रोडक्ट के साथ बाजार में था।
प्रियंका के Rattan Furniture ने जीते कई अवॉर्ड्स
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उनके इस प्रोडक्ट को भारतीय बाज़ार में काफी पसंद किया गया और इसने उनके लिए बड़े मोटिवेशन की तरह काम किया। वह बताती हैं, “इसके बाद, हमने देश भर में कई जगहों पर प्रदर्शनी लगाना शुरू किया। इससे हमें काफी विजिबिलिटी मिली और साल 2019 में, हमारे फर्नीचर्स में से एक ने ELLE DECO इंटरनेशनल डिज़ाइन अवॉर्ड्स (EDIDA) जीता। इसके अलावा, कंपनी ने भारत में एक पुरस्कार जीता और बाद में हमने 2020 में ट्रेंड डिज़ाइन अवॉर्ड्स और 2022 में लेक्सस डिज़ाइन अवॉर्ड्स भी जीते।”
प्रियंका बताती हैं, "इन पुरस्कारों और सम्मानों ने हमारे विचार को और गति प्रदान की, जिसकी हमें सबसे ज्यादा जरूरत थी। यह एक तरह से उस रास्ते पर चलते रहने की मान्यता प्राप्त होना था, जिसे हमने चुना था।”
युवाओं में रुचि देखकर होती है खुशी
द विकर स्टोरी के साथ काम करने वाले शिल्पकार, एहसान भाई कहते हैं, “अब मैं इधर ही सेट हो रहा हूं। मैंने अपना बैंक अकाउंट खोला है। मेरे बच्चों का अच्छे स्कूल में दाखिला हुआ है। इसके अलावा जो काम हम करते हैं, वह अलग और अनोखा है, इसलिए मेरा सीखते रहना भी जारी है। मुझे यह भी लगता है कि काम को लेकर मेरा तनाव कम हुआ है। पूरे भारत में हमारे काम को पहचान मिल रही है और इसे सराहा जा रहा है। मुझे और क्या चाहिए।”
एहसान की बातों को आगे बढ़ाते हुए, प्रियंका कहती हैं, “मैं देख रही हूं कि अब हर शिल्पकार अपने इस काम पर गर्व करता है। हालांकि, कुछ समय पहले तक यह एक मरती हुई कला थी। आज इसे आगे बढ़ाने में युवा पीढ़ी की इतनी गहरी दिलचस्पी देखकर मुझे बहुत खुशी होती है।”
सही जगह, सही वक्त कर देता है सब ठीक
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प्रियंका बताती हैं, कि 2020 और 2021 के लॉकडाउन में उनका काम बढ़ा है। वह बताती हैं, “इस दौरान, हमने पाया कि पूरे भारतीय फर्नीचर बाजार ने बाहर की बजाय, देश के अंदर की ओर देखना शुरू किया है। लोगों ने देसी ब्रांड्स को नोटिस करना शुरू किया। हम सही समय पर सही जगह पर थे।”
द विकर स्टोरी द्वारा बनाए जाने वाले सभी डिज़ाइन समकालीन हैं, लेकिन इसे बनाने के लिए पारंपरिक तरीकों का उपयोग किया जाता है। प्रियंका बताती हैं, “अपनी जड़ों की ओर वापस जाना और शिल्पकारों के साथ काम करना हमारे लिए बहुत फायदेमंद रहा। हमारे ज्यादातर कारीगर हैदराबाद के पुराने शहर में हैं। हम अपने प्रोडक्ट को उन लोगों तक पहुंचाने में सक्षम रहे, जिन्हें ऐसी चीजें चाहिए थीं।”
वह कहती हैं, जैसा कि ज्यादातर प्रोडक्ट इंटीरियर डिजाइनर या आर्किटेक्ट की आवश्यकता के अनुसार कस्टमाइज किए जाते हैं, इसलिए इनकी कीमत ज्यादा हो सकती है।
जैसे उनके IMLI (Rattan Furniture) की कीमत 42,000 रुपये है। उससे जुड़े बाकी के एक्सेसरीज की कीमत 18,000 रुपये से ज्यादा है। वह कहती हैं, "हम बड़े पैमाने पर उत्पादन नहीं कर रहे हैं और हम जो भी उत्पादन करते हैं वह अलग और अनोखा है। यह एक धीमी और कुशल प्रक्रिया है, जिसके लिए वरिष्ठ बुनकरों के इनपुट की आवश्यकता होती है।”
अब तक 100 से अधिक ग्राहकों के साथ काम करने के बाद, प्रियंका का कहना है कि उनके उत्पादों की पूरे भारत में पहुंच है और अब वे अपने उत्पादों को विदेशों में रहनेवाले ग्राहकों तक पहुंचाने की योजना बना रहे हैं।
उनके बारे में और जानने के लिए, यहां क्लिक करें।
मूल लेखः विद्या राजा
संपादनः अर्चना दुबे
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