58 वर्षीय हिरण्यमयी शिवानी और 35 साल की मंजरी सिंह, यह एक ऐसी सास बहू की जोड़ी है जो कि एक टीम की तरह काम कर रही हैं। इन दोनों ने लॉकडाउन के दौरान कुछ करने की सोची और घर से शुरुआत की अपने क्लाउड किचन, ‘द छौंक’ की। लिट्टी चोखा, चूड़ा फ्राय, सत्तु ड्रिंक, सत्तु की पूड़ी, चंपारन मीट, चूड़ा घुघनी कुछ ऐसे बिहारी पकवान हैं जो इनके फ़ूड बिज़नेस की ख़ासियत हैं। किचन में खाना पकाना हिरण्यमयी का काम है और मार्केटिंग, मैनेजमेंट की ज़िम्मेदारी पहले से ही दूसरा बिज़नेस संभाल रही मंजरी के हाथ में है।
घर की याद में शुरू किया बिज़नेस
मूल रूप से बिहार की रहने वाली इन सास और बहू को हमेशा से ही खाना बनाने और खाने का शौक़ था। पूरा परिवार 2011 से दिल्ली में रहता है लेकिन हिरण्यमयी साल में कम से कम एक बार अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने पटना जाया करतीं। लेकिन लॉकडाउन के दौरान जब ऐसा मुमकिन नहीं हो सकता तो वह अपने शहर और वहां के खाने को बहुत ज़्यादा मिस करने लगीं।
वह बताती हैं, “उस दौरान मेरी तरह कई और लोग थे जो अपने घर नहीं जा सकते थे और घर का बना बिहारी खाना भी नहीं खा सकते थे। मुझे खाना बनाने का शौक़ है, ऐसे में मैंने सोचा कि क्यों न अपने होममेड बिज़नेस मॉडल के ज़रिए लोगों के लिए ट्रेडिशनल बिहारी व्यंजन बनाए जाएं। इससे उन्हें घर जैसा खाना भी खाने को मिलेगा।”
हिरण्यमयी ने यह आईडिया अपनी बहू के साथ शेयर किया और इस तरह दोनों ने अपने होम-बेस्ड फ़ूड बिज़नेस ‘द छौंक’ की शुरुआत की।
एनवायरनमेंट फ्रेंडली है इनका फ़ूड बिज़नेस
हिरण्यमयी और मंजरी का मकसद है कि वे अपने बिज़नेस के ज़रिए दिल्ली में रह रहे लोगों को बिहारी खाने का स्वाद दे सकें और इसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचा सकें। मंजरी कहती हैं कि शुरुआत में उन्हें एक दिन में 40 ऑर्डर मिलते थे, जो अब बढ़कर 450 हो गए हैं। अपने स्टार्टअप के ज़रिए वे हर महीने 4 लाख रुपये तक कमा रही हैं।
वह बताते हैं, “हमारे बिज़नेस की एक और ख़ास बात यह है कि हम पैकेजिंग के लिए किसी भी प्लास्टिक के कंटेनर का इस्तेमाल नहीं करते। हम एक एनवायरनमेंट फ्रेंडली कंपनी हैं। इसलिए हम एयरटाइट कांच के कंटेनर में खाना पहुंचाते हैं। हमारे ग्राहक इन कंटेनर को रीयूज़ के लिए रख लेते हैं।”
मंजरी बताती हैं कि वे आगे दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु और जयपुर में आउटलेट खोलने पर काम कर रहे हैं।
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