/hindi-betterindia/media/post_attachments/uploads/2022/01/Ashta-Saheli-Sari-Library--1642066758.jpg)
बस कुछ ही दिनों में शादियों का मौसम शुरू होने वाला है। किसी को दूसरों की शादी में जाने की उत्सुकता है, तो किसी को अपनी खुद की शादी की। ऐसे में, किसी न किसी फंक्शन में सिल्क की साड़ी हर कोई पहनना चाहता है। लेकिन ज्यादातर लोगों को एक-दो बार पहनने के लिए साड़ी खरीदना फिजूलखर्ची लगती है, तो फिर ऐसे में क्या किया जाए? क्या ज्यादा पैसे खर्च किए बिना भी यह संभव है? अब कम से कम बड़ौदा, गुजरात की महिलाएं तो ऐसा कर सकती हैं।
शहर के ओल्ड पडरा रोड, मल्हार पॉइंट पर एक ऐसी अनोखी साड़ी लाइब्रेरी बनाई गई है, जहां सभी आय वर्ग की महिलाएं पांच दिनों के लिए मामूली कीमत पर एक बार में तीन साड़ियों को किराए पर ले सकती हैं। इसे जून 2020 में, एक खास मकसद के लिए आठ सहेलियों ने मिलकर शुरु किया और नाम रखा 'अष्ट सहेली लाइब्रेरी (Ashta Saheli Sari Library)'। इस अनोखी लाइब्रेरी की संस्थापक हेमा चौहान को इस लाइब्रेरी का आइडिया उनकी मेड से मिला। अब आप सोच रहे होंगे कि मेड से बिजनेस आइडिया कैसे मिला? तो चलिए आपके इस सवाल का जवाब खुद हेमा से ही जानते हैं।
कैसे हुई Ashta Saheli Sari Library की शुरुआत?
हेमा ने बताया, "पिछली गर्मियों में मेरी मेड कुछ दिनों के लिए एक शादी में शामिल होने के लिए शहर से बाहर जा रही थी। लेकिन उसके पास कुछ अच्छा पहनने के लिए नहीं था और न ही उसके पास इतने पैसे थे कि वह नई साड़ी खरीद सके। मैंने उसे अपनी चनिया-चोली पहनने के लिए उधार दे दी। आने के बाद, वह काफी खुश थी। सबको उसकी वह ड्रेस काफी पसंद आई थी और शादी में हर कोई उससे पूछ रहा था कि उसने ड्रेस कहां से खरीदी? उसकी खुशी को देखते हुए, मैंने उस ड्रेस को वापस नहीं लिया।”
वह कहती हैं, “यही वह समय था, जब मुझे लगा कि हमारे आसपास न जाने कितने ऐसे लोग होंगे, जिनके पास फंक्शन में पहनने के लिए अच्छे कपड़े नहीं होते। जबकि कुछ के पास ऐसे कपड़ों का ढेर लगा होता है, जिन्हें एक या दो बार पहनने के बाद कभी छूआ तक नहीं जाता। इस बारे में मैंने अपने दोस्तों से बात की और उन महिलाओं के लिए कुछ करने का फैसला किया, जो इतने महंगे कपड़े खरीदने की स्थिति में नहीं हैं या फिर जिनके पास खरीदारी का समय नहीं है। हम सबने अपने पांच-पांच आउटफिट दान करके इस लाइब्रेरी की शुरूआत की।”
400 से ज्यादा साड़ियों का है क्लेक्शन
अक्टूबर 2021 में लाइब्रेरी का एक बिजनेस के तौर पर उद्घाटन किया गया। अष्ट सहेली लाइब्रेरी में कांजीवरम, रेशम, बनारसी, कोटा चेक, बंधनी से लेकर शिफॉन और जॉर्जेट तक 400 से अधिक साड़ियों का कलेक्शन है। इसके अलावा, 30 चन्या चोली और 60 अन्य पारंपरिक परिधान जैसे पलाज़ो, लहंगा और ब्लाउज भी आपको मिल जाएंगे।
/hindi-betterindia/media/post_attachments/uploads/2021/12/Ashta-Saheli-sarees-1640944733.jpg)
हेमा के अलावा, अष्ट सहेली ग्रुप की कोर कमेटी में नीला शाह, रीता विठलानी, पारुल पारिख, साधना शाह, गोपी पटेल, नीलिमा शाह और ट्विंकल पटेल शामिल हैं।
इस लाइब्रेरी से अब तक 100 से ज्यादा महिलाएं साड़ियां किराए पर ले चुकी हैं। यह लाइब्रेरी दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक खुली रहती है। हेमा बताती हैं, “घर की जिम्मेदारियों के चलते हम इसे पूरा समय नहीं दे पाते, इसलिए हम एक शिफ्ट सिस्टम के साथ काम करते हैं। ग्रुप से जुड़ी कोई एक महिला हफ्ते में केवल दो दिनों के लिए लाइब्रेरी का काम संभालने के लिए आती है। हमारी लाइब्रेरी के बगल में एक सैलून है, जिसे एक कपल चलाता है। वे भी कभी-कभी हमारी मदद कर देते हैं।”
क्या है टोकन मनी?
अष्ट सहेली लाइब्रेरी का एक ऑनलाइन ग्रुप भी है, जिसमें 1,300 सदस्य हैं। उन सदस्यों के बीच मार्केटिंग करने के बाद, इस ग्रुप को न केवल वडोदरा से बल्कि मुंबई और दिल्ली से भी कई लोगों ने साड़ियां और दूसरी ड्रेसेज़ दान की हैं। हेमा याद करते हुए कहती हैं, “जिस महिला ने हमसे सबसे पहले संपर्क किया था, उन्होंने 30-35 ड्रेसेज़ हमारे इस ग्रुप को भेजे थे। उनमें से ज्यादातर कपड़े शायद ही कभी पहने गए हों और कुछ पर उनके टैग भी लगे हुए थे। इनमें से एक चन्या चोली की कीमत लगभग 25,000 रुपये थी।”
अष्ट सहेली साड़ी लाइब्रेरी में महिलाओं को साड़ी किराए पर देते समय 500 रुपये की टोकन राशि जमा कराई जाती है। हेमा ने बताया, “हम टोकन राशि से सिर्फ ड्राई क्लीनिंग का खर्च निकालते हैं। वह खर्च भी बहुत ज्यादा नहीं होता है। एक साधारण साड़ी की ड्राई क्लीनिंग पर 100 रुपये खर्च होते हैं, तो वहीं जरी वर्क वाली साड़ी को पॉलिश करने की जरूरत होती है। इसके लिए 250 रुपये तक का खर्चा आता है। स्थानीय ड्राई क्लीनर ये सब काम कर देते हैं।”
भरोसे पर चलती है Ashta Saheli Sari Library
जब हमने हेमा से पूछा कि वह लाइब्रेरी में उधार ली गई साड़ियों को कैसे ट्रैक करते हैं? तो उन्होंने कहा कि यह विश्वास के आधार पर काम करता है। वह कहती हैं, “भरोसा एक ऐसी चीज़ है, जो लकड़ी की नाव को भी सोना बना देती है। हम इन महिलाओं के फ़ोन नंबर या पते का रिकॉर्ड नहीं रखते हैं। हम उनके आधार कार्ड की फोटो कॉपी अपने पास रखते हैं। कई बार ऐसा होता है कि लाइब्रेरी आते समय, वे आधार कार्ड लाना भूल आती हैं। फिर भी हम उन्हें वैसे ही साड़ी रेंट पर दे देते हैं। भगवान की दया से, किसी ने कभी हमारा फायदा उठाने की कोशिश नहीं की है।”
उनकी साड़ी लाइब्रेरी में रोजाना करीब 20 लोग आते हैं। लेकिन हेमा का कहना है कि काम धीमी रफ्तार से ही सही, लेकिन आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया, “जनवरी और फरवरी के शादी के सीजन में हमारे पास बहुत सी महिलाएं कपड़ों की खोज में आईं। वे सही साड़ी चुनने के लिए अक्सर अपने ब्लाउज़ साथ लाती हैं। तो वहीं कुछ महिलाएं सिर्फ हमारे इस अनोखे कलेक्शन की तारीफ करने के लिए आती हैं।”
यह भी पढ़ें - 100 साल की दादी का कमाल, साड़ियों पर पेंटिंग करके आज भी हैं आत्मनिर्भर
जनवरी से लगाएंगे फ्री सेल
ऐसे पारंपरिक परिधान जिन्हें अभी तक किराए पर नहीं लिया गया है, उनके लिए जनवरी 2022 से हर तीन महीने में एक बार लाइब्रेरी, अपने परिसर में फ्री सेल का आयोजन करेगी। साथ ही वे यह भी योजना बना रहे हैं कि सेल में कपड़ों के साथ दान में मिले पर्स, ज्वेलरी और जूते भी रख जाएं। कोई भी पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर इन्हें मुफ्त में ले सकेगा।
/hindi-betterindia/media/post_attachments/uploads/2021/12/Ashta-Saheli-group-1640945092.jpg)
कोविड-19 महामारी की पहली लहर की बढ़ती चिंताओं के बीच, अष्ट सहेली ग्रुप को ‘प्यार, कनेक्शन और समर्थन’ विचारधारा के साथ लाया गया था। हेमा उन दिनों के अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताती हैं, “मैं और मेरे दोस्त फ़ोन पर एक-दूसरे के संपर्क में रहते थे। लेकिन वह एक डरावना समय था। एक बार जब लॉकडाउन में ढील दी गई, तो मैंने सभी को घर आने के लिए कहा और उनका उत्साह बढ़ाने के लिए कुछ भी करने की सलाह दी।”
हेमा आगे कहती हैं, “हमने कुछ प्रेरक वीडियोज़ पोस्ट करने शुरू किए और लोगों से काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली। फिर हमने साप्ताहिक धार्मिक व्याख्यान के लिए रिटायर आईएएस अधिकारी और फैमिली फ्रेंड भाग्येश से भी इस बारे में बातचीत की। हमने भजन सत्रों के लिए स्थानीय संगीतकारों से भी संपर्क साधा।”
Ashta Saheli Sari Library करेगा ‘लाइव सदस्यता’ की शुरूआत
इस साल की शुरुआत में ग्रुप ने अपनी ‘लाइव सदस्यता’ शुरू की है। इससे फिलहाल वडोदरा की 25 से 75 साल की, 350 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। ये सभी सामुदायिक कल्याण के काम में साथ देने के अलावा, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करने में भी मदद करती हैं और उनमें भाग भी लेती हैं।
हेमा ने बताया, “हम वृद्धाश्रम में जाकर बुजुर्ग महिलाओं की देखभाल करते हैं। इन बुजुर्ग महिलाओं के ज्यादातर बच्चे विदेश में रहते हैं और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है।”
बात करत-करते रो पढ़ीं हेमा
हेमा ने हाल-फिलहाल में जूट के पर्स और चश्मे के कवर बनाने की शुरुआत भी की है। उन्हें उम्मीद है कि साड़ी लाइब्रेरी किसी दिन गृहणियों के लिए एक उद्यमशीलता मंच के रूप में भी काम करेगा। वह कहती हैं, “हम चाहते हैं कि महिलाएं कम से कम एक हफ्ते के लिए अपने हाथ से बने उत्पादों को बेचने में सक्षम हो पाएं।”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने बचपन में काफी गरीबी के दिनों को झेला है। इसलिए मैं पैसों की अहमियत समझती हूं।" हेमा अपने जीव के मुश्किल समय के बारे में बात करते हुए काफी भावुक हो गईं, फिर अपने आपको थोड़ा संभालते हुए उन्होंने कहा, “मैंने अपने जीवन में बहुत कठिनाइयां देखी हैं। मैं भाग्यशाली हूं कि मेरे पास अच्छे दोस्त हैं। हमने रास्ते में आने वाली हर चुनौतियों का सामना करने के लिए एक-दूसरे का साथ दिया है।"
हेमा ने आखिर में कहा, "जब तक भगवान ने मुझे जिंदा रखा हुआ है, मैं हर उस व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम करती रहूंगी जिसे सचमुच मदद की जरूरत है। यही मेरी सेवा है।”
अष्ट सहेली लाइब्रेरी के साथ, कमाल की ऊर्जा से शुरू हुई हमारी बातचीत एक बेहद सकारात्मक, भावुक और प्रेरणादायक नोड पर पूरी हुई। आपको कैसी लगी यह कहानी, हमें ज़रूर बताएं और इस बिज़नेस आइडिया के साथ अपने शहर में काम करने या दान, पूछताछ और अधिक जानकारी के लिए आप अष्ट सहेली ग्रुप से यहां संपर्क कर सकते हैं।
मूल लेखः तूलिका चतुर्वेदी
संपादनः अर्चना दुबे
यह भी पढ़ेंः महँगी शॉपिंग से ही नहीं, पुराने कपड़ों से भी सजा सकते हैं अपना घर, जानिये कैसे