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दिल्ली में रहने वाली पूजा कंठ साल 2015 से अपना बिज़नेस, 'Pooja Ki Potli' (पूजा की पोटली) चला रही हैं। अपने स्टार्टअप के जरिए पूजा ग्राहकों को मैक्रमे आर्ट से बने खूबसूरत जूट और सूती रस्सी के हेंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट्स उपलब्ध करा रही हैं। हिंदी में Macramé को किनारी या झालर भी कहा जाता है। पूजा कहती हैं कि यह एक टेक्सटाइल कला है, जिसे धागों की बुनाई से नहीं बल्कि मोटे धागों में आर्टिस्टिक तरीके से गांठ लगाकर तरह-तरह की चीजें बनाई जाती हैं। यह एक हस्तकला है, जिसका इतिहास काफी पुराना है।
पूजा ने इस आर्ट के बारे में द बेटर इंडिया को बताया, "पुराने ज़माने में पानी के जहाजों पर लम्बी यात्रा करने वाले नाविक अपने खाली समय में जूट या सूती रस्सियों से मैक्रमे बनाया करते थे। जिसे वह बाद में बंदरगाहों पर बार्टर सिस्टम के लिए भी इस्तेमाल करते थे। यह काफी पुरानी आर्ट है और खूबसूरत भी। भारत में ही नहीं दूसरे देशों में भी इसकी काफी मांग है। इस आर्ट से आप घर के डेकॉर और गार्डन के लिए एक से बढ़कर एक चीजें बना सकते हैं।"
बहुत से लोग इस आर्ट को खास ट्रेनिंग क्लास लेकर सीखते हैं। लेकिन पूजा ने इस आर्ट को खुद सीखा और अब दूसरों को सिखाती भी हैं।
एमबीए करने वाली पूजा ने कई सालों तक कॉर्पोरेट सेक्टर में काम किया है। लेकिन अपने बेटे के जन्म के बाद, 2012 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी ताकि वह अपने बच्चे को ज्यादा से ज्यादा समय दे पाएं। लेकिन हमेशा से कामकाजी रही पूजा के लिए घर पर खाली बैठना आसान नहीं था। इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों न इस समय का उपयोग कुछ नया सीखने में लगाया जाए। पूजा ने इस दौरान सिलाई-कढ़ाई और बुनाई जैसे आर्ट में हाथ आजमाया। लेकिन उनकी तलाश इस मैक्रमे आर्ट पर आकर खत्म हुई।
यूट्यूब से सीखी अनोखी कला
पूजा कहती हैं कि उन्होंने यह आर्ट सीखने के लिए कोई ट्रेनिंग या वर्कशॉप नहीं की। बल्कि उन्होंने घर पर ही यूट्यूब के माध्यम से सीखना शुरू किया। यह कला दिखने में जितनी सुंदर है, करने में उतनी ही मुश्किल है। इसलिए पूजा को भी इसमें महारत हासिल करने में डेढ़-दो साल का समय लगा। लेकिन इस दौरान उन्होंने न सिर्फ अपने हुनर पर काम किया बल्कि इसी कला को आगे बढ़ाने का फैसला भी कर लिया। उन्होंने तय किया कि वह इसी कला से अपना बिज़नेस शुरू करेंगी, जिसके जरिये वह और भी महिलाओं को काम दे सकें।
"हम पहले दिल्ली के समीप स्थित एक गांव, कराला में रहते थे। वहां मैंने देखा था कि कैसे महिलाओं को अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए अपने पति या परिवार पर निर्भर होना पड़ता है। अगर कोई महिला काम करना चाहे तो भी बहुत से परिवार में उन्हें घर से बाहर जाकर काम करने की इजाजत नहीं होती है। मुझे लगा कि अगर इन महिलाओं को यह हाथ का काम सिखाया जाए तो वे घर बैठे ही आजीविका कमा सकती हैं। इसलिए मैंने खुद यह आर्ट करने के साथ-साथ अपने आसपास ग्रामीण इलाकों और झुग्गी-बस्तियों में रहने वाली महिलाओं को भी यह काम सिखाना शुरू किया," उन्होंने कहा।
साल 2015 में पूजा ने अपने स्टार्टअप, ‘Pooja ki Potli’ की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि इस समय तक उन्होंने इस कला में महारत हासिल कर ली थी। साथ ही, उन्होंने अपने आसपास कुछ महिलाओं को भी यह कला सिखाई थी और वे काम करने के लिए तैयार थीं। पूजा कहती हैं कि इस कला को सीखने के दौरान ही उन्होंने लोकल बाजारों में प्रोडक्ट बनाने के लिए जरूरी रॉ मटीरियल के बारे में अच्छी जानकारी इकट्ठा कर ली थी। इसलिए उन्हें पता था कि उन्हें कहां से धागे लेने है या प्रोडक्ट बनाने के लिए कहां से लकड़ी के आइटम लेने हैं। उन्होंने मात्र 5000 रुपए की इंवेस्टमेन्ट के साथ अपना काम शुरू किया।
25 महिलाओं को दिया रोजगार
पूजा कहती हैं कि उन्होंने अपने परिवार के सहयोग से यह काम शुरू किया। लेकिन इस राह में उन्होंने बहुत सी चुनौतियों का सामना किया। जैसे सबसे पहले उनके लिए महिलाओं को इस काम से जोड़ना काफी मुश्किल रहा। क्योंकि आज भी बहुत से घरों में महिलाओं को अपनी इच्छानुसार बाहर जाकर काम करने के लिए परिवार की मर्जी पर निर्भर होना पड़ता है। लेकिन पूजा इन महिलाओं के लिए कुछ करना चाहती थीं। इसलिए बहुत बार उन्होंने महिलाओं को उनके घर जाकर भी काम सिखाया। अभी भी बहुत सी महिलाएं अपने घरों से ही काम करती हैं।
लेकिन जैसे-जैसे कुछ महिलाएं उनसे जुड़ी और खुद कमाने लगी तो और भी महिलाएं आगे आई। उन्होंने कहा, "मैंने अब तक काफी महिलाओं को यह कला सिखाई है। जिनमें से कुछ अभी भी मेरे साथ काम कर रही हैं, तो कई ने अपना खुद का काम शुरू कर दिया है। जिन्होंने अपना काम शुरू किया, उनकी मदद करने से भी मैं कभी पीछे नहीं हटती हूं। क्योंकि शुरुआत में जिन परेशानियों का सामना मैंने किया, वह कोई और करे यह मैं नहीं चाहती हूं।"
मार्केटिंग के लिए पूजा ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। उन्होंने बताया कि पहले उन्होंने फेसबुक पर अपने प्रोडक्ट्स साझा किए। फेसबुक से उन्हें धीरे-धीरे पहचान मिलने लगी। इसके बाद उन्होंने ई-कॉमर्स वेबसाइट जैसे अमेज़न बिज़नेस इनिशिएटिव में अपने प्रोडक्ट्स की लिस्टिंग कराई। यहां से उनके बिज़नेस को काफी ज्यादा बढ़त मिली। अमेज़न पर आने के बाद उनके ऑर्डर बढ़ने लगे। जैसे-जैसे काम बढ़ा, उन्होंने और भी महिलाओं को अपने साथ जोड़ लिया। फिलहाल, वह 25 महिलाओं को रोजगार दे रही हैं।
उनके साथ जुडी हुई रजनी दीदी ने कई साल पहले अपने पति को खो दिया था। इसके बाद उन्होंने सिलाई का काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण किया। लेकिन पिछले कुछ सालों से उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने लगी। जिस कारण उन्हें डॉक्टर ने सिलाई का काम छोड़ने की सलाह दी। वह कहती हैं, "अभी परिवार में बच्चे बड़े हो गए हैं और कमाते भी हैं। लेकिन मैंने हमेशा कमाई की। इसलिए अचानक से उनसे पैसे मांगना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो रहा था। ऐसे में, मैंने पूजा से बात की। उन्होंने पहले मुझे यह काम सिखाया और फिर अभी मुझे लगातार काम देती है। जिसे मैं बेड पर बैठकर या लेटकर आसानी से कर पाती हूं। साथ ही, हर महीने ठीक-ठाक कमा भी लेती हूं कि किसी से मांगना नहीं पड़ता है।"
100 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक है प्रोडक्ट्स की कीमत
पूजा कहती हैं कि इस आर्ट से वह होम और गार्डन डेकॉर की चीजें बनाती हैं। जैसे मंडाला, वॉल हैंगिंग, कुशन कवर, टेबल रनर, हैंगिंग प्लांटर आदि। उनके पास छोटे से लेकर छह फ़ीट तक के प्रोडक्ट्स हैं। किसी-किसी प्रोडक्ट में वह लकड़ी के आइटम का इस्तेमाल भी करती हैं। जैसे पौधों के लिए लकड़ी और मैक्रमे आर्ट के इस्तेमाल से उन्होंने खूबसूरत प्लांटर बनाये हैं। उन्होंने बताया कि सभी प्रोडक्ट्स की कीमत अलग-अलग है। उनके प्रोडक्ट 100 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक बिकते हैं।
"लॉकडाउन के पहले तक हमें सप्ताह में 200-250 आर्डर मिल जाते थे। लेकिन कोरोना महामारी का असर व्यवसाय पर पड़ा है। फिलहाल, हमें हर सप्ताह लगभग 100 ऑर्डर मिलते हैं। अपनी खुद की वेबसाइट के अलावा अमेज़न और etsy पर भी अकाउंट है। etsy के जरिए हमारे उत्पाद विदेशों में भी पहुंच रहे हैं। अगर सही दिशा में मेहनत की जाये तो इस कला से आप अच्छी कमाई कर सकते हैं। शुरुआत में, मैं सिर्फ अपनी लागत और महिलाओं की मेहनत निकाल पाती थी। लेकिन अब हमें अच्छा मुनाफा हो रहा है," उन्होंने कहा।
पूजा के बिज़नेस के आगे बढ़ने का कारण है उनके उत्पादों की अच्छी गुणवत्ता। उनसे हैंगिंग प्लांटर खरीदने वाली राजी कहती हैं कि प्रोडक्ट्स की अच्छी गुणवत्ता के साथ-साथ उनकी सर्विसेज भी काफी अच्छी हैं। पूजा और उनकी टीम हमेशा ग्राहकों की मदद के लिए तैयार रहती है। बहुत से ग्राहकों को उनकी पैकेजिंग भी काफी पसंद आती है। उनके प्रोडक्ट्स तो हैंडमेड और इको फ्रेंडली है ही। इसके साथ वह अपनी पैकेजिंग को भी ज्यादा से ज्यादा पर्यावरण के अनुकूल रखने की कोशिश करती हैं।
"प्रोडक्ट्स को पैक करने के लिए हम बहुत ही कम नए कार्डबोर्ड बॉक्स या प्लास्टिक खरीदते हैं। हम हमेशा सेकंड हैंड बॉक्स लेते हैं और जिस प्लास्टिक में रॉ मटीरियल पैक होकर आता है। उसे ही हम रियूज करते हैं। इससे न सिर्फ पर्यावरण की मदद हो रही है बल्कि हमारी और ग्राहक की लागत भी कम होती है। हमारे बिल के जो इनवॉइस होते हैं, उनकी खाली बची शीट पर ही हम ग्राहकों को हाथ से नोट लिखकर भेजते हैं। कोशिश सिर्फ यह है कि हमारा बिज़नेस न सिर्फ लोगों के लिए बल्कि पर्यावरण के हित में भी हो," उन्होंने कहा।
दूसरों की बिज़नेस शुरू करने में कर रही हैं मदद
तरह-तरह के प्रोडक्ट्स बनाने के साथ-साथ पूजा रॉ मटेरियल भी सप्लाई करती हैं। उनका कहना है कि देश में बहुत सी महिलाएं और युवा हैं जो इस कला को सीखकर इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं। ऐसे लोगों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने रॉ मटेरियल सप्लाई का काम शुरू किया। वह नौसिखिये लोगों से लेकर पेशेवर स्तर तक के लोगों को अलग-अलग रॉ मटेरियल उपलब्ध करा रही हैं। उन्होंने लोगों के लिए कम बजट के पैकेज भी तैयार किए हुए हैं ताकि लोग कम से कम निवेश में अपना काम शुरू कर सकें।
उन्होंने कहा, "इसके अलावा अगर कोई मुझे बिज़नेस संबंधित जानकारी के लिए संपर्क करता है तो मैं उनकी मदद करने की कोशिश भी करती हूं। मैं उन्हें बताती हूं कि कैसे वह अपने बिज़नेस को आगे बढ़ा सकते हैं या कैसे रजिस्ट्रेशन करें, जीएसटी नंबर लें। क्योंकि यह ऐसी कला है जिसे अगर अच्छे से सीखकर किया जाए तो आप घर बैठे रोजगार कमा सकते हैं।"
उनसे रेगुलर रॉ मटीरियल खरीद रही प्रियंका कहती हैं कि उन्होंने पहले भी कई अलग-अलग वेंडर से सामान मंगवाया है। लेकिन पूजा से उन्हें जिस तरह की क्वालिटी का रॉ मटीरियल मिला, वह दूसरी जगह से कभी भी नहीं मिला है। इसलिए अब वह उनसे ही सभी सामान ऑर्डर करती हैं। पहले वह ऑनलाइन ऑर्डर करती थीं लेकिन अब पूजा से ही वह बल्क में सभी चीजें मंगवाती हैं।
अंत में पूजा बस यही कहती हैं कि कम से कम निवेश में अगर कोई अपना काम करना चाहता है तो मैक्रामे आर्ट एक अच्छा विकल्प है। इसे सीखने के लिए आपको समय और मेहनत देनी होगी। लेकिन जितना अच्छा आप काम सीखेंगे, उतने ही अच्छे प्रोडक्ट्स बनाकर बाजार में पहुंचाएंगे। जिनसे आप अच्छी कमाई कर सकते हैं।
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संपादन- जी एन झा
तस्वीर साभार: पूजा कंठ
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