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1200+ किसानों को जोड़ा जैविक खेती से, उन्हीं की उपज खरीदकर, खड़ी की लाखों की कंपनी

Madhya Pradesh Woman Farmer Entrepreneur

मध्य प्रदेश के भोपाल में रहने वाली 41 वर्षीया प्रतिभा तिवारी एक सफल महिला किसान और व्यवसायी हैं। पिछले लगभग सात सालों से वह जैविक खेती से जुडी हुई हैं। साथ ही, अपने ब्रांड ‘भूमिशा ऑर्गेनिक्स‘ के जरिए वह जैविक और प्राकृतिक खाद्य उत्पाद लोगों तक पहुँचा रही हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रतिभा अपने साथ-साथ 1200 से ज्यादा किसानों को भी आगे बढ़ा रही हैं। 

गणित विषय से मास्टर्स करने वाली प्रतिभा ने कभी खेती करने के बारे में नहीं सोचा था। पढ़ाई पूरी करने के बाद उनकी शादी हो गयी। पहली बार अपने ससुराल में उन्होंने खेती-किसानी को करीब से देखा और समझा। धीरे-धीरे वह खुद भी खेती से जुड़ने लगीं। उन्होंने खेती से जुड़े विषयों को गंभीरता से पढ़ना शुरू किया और जाना कि कैसे रसायनयुक्त खेती, लोगों के जीवन को खतरे में डाल रही है। इसलिए, उन्होंने जैविक तरीकों से खेती करने का फैसला किया और और दूसरे किसानों को भी जैविक तरीके अपनाने की सलाह दी। द बेटर इंडिया से साथ बात करते हुए, उन्होंने अपने सफर के बारे में विस्तार से बताया। 

एक-एक करके जोड़ा 1200 किसानों को

प्रतिभा बताती हैं कि शुरुआत में उन्हें खेती करने का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन उन्होंने अपने कदम पीछे नहीं हटाए। धीरे-धीरे उन्होंने अलग-अलग तरह की खेती करना सीखा। उन्होंने बताया, “इस दौरान, मैंने जाना कि किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या बाजार की है। अगर किसान जैविक खेती करें, तो भी उन्हें उनकी उपज का सही दाम नहीं मिलता है। इसलिए मैंने सबसे पहले किसानों के लिए एक मंच तैयार करने की योजना बनाई। जिसके जरिए किसान सही कीमत पर अपनी फसल बेच सकें।” 

शुरुआत में प्रतिभा ने किसानों को जैविक खेती के लिए तैयार करना शुरू किया। वह बताती हैं, “काफी मुश्किलों के बाद, मैंने चार-पाँच किसानों को जैविक तरीकों से खेती करने के लिए मनाया। साथ ही, दिन-रात मेहनत करके, उनकी उपज की मार्केटिंग पर काम किया। मैंने लगभग तीन साल तक जमीनी स्तर पर किसानों के साथ काम किया। इसके साथ-साथ, उनके लिए ‘होलसेल’ मार्किट भी तैयार किया। मैंने अलग-अलग कंपनियों और जैविक स्टोर के मालिकों से टाई-अप किया और किसानों की उपज को सीधा उन तक पहुंचाने लगी। इससे किसानों को अच्छी आय मिलने लगी। जब कुछ किसान सफल हुए, तो उन्होंने दूसरे किसानों को भी इसके बारे में बताया और इसी तरह एक के बाद एक किसान जुड़ते गए।” 

2016 में, उन्होंने ‘भूमिशा ऑर्गेनिक्स’ की शुरुआत की, जिससे आज न सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्यों से भी किसान जुड़े हुए हैं। आज वह 1200 से ज्यादा किसानों के साथ काम कर रही हैं। प्रतिभा बताती हैं कि जो भी किसान ‘भूमिशा ऑर्गेनिक्स’ से जुड़े हुए हैं, उन्हें जैविक खेती की ट्रेनिंग से लेकर मार्केटिंग तक- हर चीज में मदद की जाती है। सबसे पहले वह किसानों को बाजार की मांग के हिसाब से फसल उगाने की सलाह देती हैं। उनके साथ जुड़े हुए सभी किसान, जैविक तरीकों से खेती करते हैं। 

वह कहती हैं, “हमारे साथ सभी छोटे किसान जुड़े हुए हैं, इसलिए हम उनकी जमीन के हिसाब से खेती करने की सलाह देते हैं। जैसे, अगर किसी के पास सिर्फ एक एकड़ जमीन है, तो मैं उन्हें गेहूं की बजाय गुलाब या कैमोमाइल की खेती करने की सलाह देती हूँ। पिछले एक साल में जड़ी-बूटियों की मांग काफी बढ़ी है। इसलिए हम बहुत से किसानों से अलग-अलग तरह की जड़ी-बूटियां लगवा रहे हैं। हमारे साथ जुड़े हुए सभी किसानों की आय पहले से दुगुनी हुई है।” 

Helping Farmers to go organic

पिछले कई सालों से ‘भूमिशा ऑर्गेनिक्स’ के साथ जुड़े किसान, विशाल मीणा बताते हैं, “मैं पहले नौकरी करता था, लेकिन किसी कारणवश नौकरी छूट गयी। इसके बाद बिजनेस शुरू किया, लेकिन उसमें भी घाटा हुआ। फिर लगा कि अपने खेतों को ही संभाला जाए। लगभग सात साल पहले, मैंने खेती शुरू की। शुरुआत में, एक-दो फसलों में मैंने रसायन डाला, लेकिन फिर मुझे लगा कि लोगों को जहर खिलाने से हमारे अपने देश का नुकसान है। इसलिए, मैंने पूरी तरह जैविक खेती करने की ठान ली थी।” 

काफी समय तक विशाल को अपनी उपज की मार्केटिंग के लिए संघर्ष करना पड़ा। लेकिन अब ‘भूमिशा ऑर्गेनिक्स’ की मदद से, उनकी फसल का सही मूल्य उन्हें मिल रहा है। उन्होंने कहा, “धीरे-धीरे मैंने दूसरे किसानों को साथ लेकर एक समूह भी बनाया। अब हम सभी मिलकर लगभग 500 एकड़ जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं, जिसमें ‘भूमिशा ऑर्गेनिक्स’ हर तरह से किसानों की मदद करती है। अब इससे अच्छा क्या हो सकता है कि फसल लगाने से लेकर उपज खरीदने तक, हर कदम पर कोई आपका साथ दे रहा है।” 

बनाते हैं 70 से ज्यादा उत्पाद 

प्रतिभा आगे बताती हैं कि साल 2020 में उन्होंने अपनी प्रोसेसिंग यूनिट शुरू की और इस साल उन्होंने अपना स्टोर शुरू किया है। अपनी प्रोसेसिंग यूनिट में उन्होंने 10 महिलाओं को रोजगार दिया है। फिलहाल, वह 70 से ज्यादा तरह के खाद्य उत्पाद ग्राहकों के लिए तैयार कर रही हैं। उनके सभी खाद्य उत्पाद, तीन अलग-अलग श्रेणियों में रखे गए हैं- जैविक प्रामाणिक, रसायनमुक्त और प्राकृतिक उत्पाद। उन्होंने ये तीन श्रेणी किसानों के हिसाब से बनाई हैं। जिन किसानों ने अपने खेतों के लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग का सार्टिफिकेट लिया है, उनके उत्पाद जैविक प्रामाणिक श्रेणी में आते हैं। कुछ किसान उनके साथ जुड़कर जैविक खेती कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने जैविक प्रमाणता नहीं ली है- ऐसे किसानों के खाद्य उत्पाद रसायनमुक्त श्रेणी में आते हैं। 

Processing the produce

तीसरी श्रेणी में, उन किसानों के खाद्य उत्पाद शामिल होते हैं, जो सालों से प्राकृतिक तरीकों से खेती कर रहे हैं। लेकिन उनके पास ऑर्गेनिक खेती का सार्टिफिकेट नहीं है। प्रतिभा कहती हैं कि ग्राहक अपनी इच्छानुसार, तीनों श्रेणी में से उत्पाद खरीद सकते हैं। उनके द्वारा तैयार खाद्य उत्पादों में दलहन, काबुली चना, मसाले, जड़ी-बूटियां (हर्ब्स), कई तरह के अचार और काले गेहूं का आटा शामिल है। वह ‘सुपरग्रेन्स’ के नाम से जाने जाने वाले अलसी के बीज (Flaxseeds) और क्विनोआ (Quinoa) भी लोगों को उपलब्ध करा रही हैं। कुछ समय पहले, उन्होंने आंवला के उत्पाद जैसे कैंडी, अचार और मुरब्बा आदि को भी शामिल किया है। 

किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ, उनका उद्देश्य मध्यम-वर्गीय परिवारों के दैनिक भोजन में जैविक खाद्य उत्पाद शामिल करना है। वह कहती हैं, “ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में लोगों ने जैविक चीजों को इतना महंगा बना दिया है कि सिर्फ अमीर लोग ही इन्हें खरीद पाते हैं। लेकिन, अगर ज्यादा से ज्यादा स्थानीय किसान जैविक खेती करें और स्थानीय बाजारों में ही अपने उत्पादों की बिक्री करें, तो लोग सामान्य दामों पर इन्हें खरीद सकते हैं। इसलिए, हमारी कोशिश बड़े शहरों के ग्राहकों के साथ-साथ स्थानीय ग्राहकों तक पहुँचने की भी रही।” 

Providing Employment

उनके खाद्य उत्पाद दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, देहरादून जैसे शहरों तक भी पहुँच रहे हैं। 150 से ज्यादा परिवार किराने के सामान के लिए, उनसे जुड़े हुए हैं। पिछले ढाई सालों से, उनसे जैविक उत्पाद खरीद रहीं अनीता बिष्ट बताती हैं, “मैं पेशे से डायटीशियन हूँ और मुझे पता है कि स्वास्थ्य के लिए क्या सही है और क्या नहीं? मैं अपने परिवार को शुद्ध, स्वच्छ और जैविक उत्पाद खिलाना चाहती हूँ, लेकिन हर जगह अच्छी गुणवत्तावाले खाद्य उत्पाद मिलना सम्भव नहीं। कईजगहों पर कोशिश करने के बाद, मैं ‘भूमिशा ऑर्गेनिक्स’ से जुड़ी और अब मुझे कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। क्योंकि, उनके उत्पादों की गुणवत्ता का कोई मुकाबला नहीं है।”

प्रतिभा कहती हैं कि उन्होंने छोटे स्तर से शुरुआत की थी, लेकिन आज उनका सालाना टर्नओवर 30 लाख रुपए से ज्यादा है। उनकी आगे की योजना है कि वह भोपाल की तरह दूसरे शहरों में भी अपने स्टोर खोलें। साथ ही, वह और किसानों से जुड़ना चाहती हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान जैविक खेती करें और अच्छी आमदनी कमाएं। 

अगर आप ‘भूमिशा ऑर्गेनिक्स’ के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो उनके फेसबुक पेज से जुड़ सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

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