साल 2015 में, अपने हाथ में AK-47 राइफल लिए घूमतीं आईपीएस अधिकारी संजुक्ता पराशर की एक फोटो इतनी वायरल हुई कि देशभर में वह आयरन लेडी के नाम से मशहूर हो गईं ।
आज भी संजुक्ता पराशर का नाम असम के बोडो उग्रवादियों के ज़हन में दहशत पैदा करने के लिए काफ़ी है। उन्होंने केवल 15 महीनों में 16 आतंकवादियों को मार गिराया और 64 से अधिक को गिरफ़्तार किया।
मेघालय-असम कैडर की आईपीएस, संजुक्ता पराशर ने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन किया । इसके बाद, उन्होंने जेएनयू से इंटरनेशनल रिलेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन और फिर यूएस फॉरेन पॉलिसी में एमफिल और पीएचडी की। संजुक्ता ने सिविल सर्विसेज़ एग्ज़ाम में ऑल इंडिया 85वीं रैंक हासिल की थी और मेघालय-असम कैडर को चुना।
2006 बैच की अधिकारी, पराशर को पहली बार 2008 में मकुम के सहायक कमांडेंट के रूप में तैनात किया गया और उन्हें बोडो और अवैध बांग्लादेशी आतंकवादियों के बीच संघर्ष को नियंत्रित करने की ज़िम्मेदारी दी गई थी।
बतौर एसपी, संजुक्ता पराशर ने सीआरपीएफ जवानों की टीम को लीड किया और खुद AK-47 लेकर बोडो उग्रवादियों से लोहा लिया। इस सब के चलते उन्हें कई बार उग्रवादी ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से जान से मारने की धमकी भी मिली । लेकिन इन बातों की परवाह किए बिना उन्होंने अपना काम करना जारी रखा।
आतंकवादियों के लिए ख़तरनाक, पर पीड़ितों के लिए हैं मसीहा
संजुक्ता, उग्रवादियों के लिए एक ख़तरनाक अधिकारी ज़रूर हैं, लेकिन असम के उग्रवादी प्रभावी इलाकों में रहनेवाले लोगों के लिए वह एक मसीहा से कम नहीं। संजुक्ता हमेशा काम से ब्रेक मिलने के बाद, अपना ज़्यादतर वक़्त रिलीफ कैम्प्स में लोगों की मदद करके बिताती हैं।फिर चाहे वह असम का बाढ़ प्रभावित इलाका हो या हिंसा के इलाके में फंसे लोगों की सहायता करना, वह कभी पीछे नहीं हटतीं।
संजुक्ता अब देश की अलग-अलग जगहों पर पुलिस प्रशिक्षण के लिए भी जाती रहती हैं।
पिछले साल उन्हें पुलिस प्रशिक्षक के तौर पर उत्कृष्ट सेवा के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने सम्मानित भी किया था।
एक आईपीएस अधिकारी के साथ-साथ वह एक माँ भी हैं और अपने निजी जीवन की सारी ज़िम्मेदारियां भी बख़ूबी निभा रही हैं।
जिस बहादुरी से उन्होंने बिना डरे हमेशा अपना काम किया है, वह पुलिस सर्विस में जाने वाले हर एक युवा के लिए प्रेरणा है, फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष।
संपादन-अर्चना दुबे
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