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आज की यह कहानी गुजरात के तापी जिले की एक महिला इंजीनियर की है, जिन्होंने बैकयार्ड में मशरूम की खेती शुरू की। सिविल इंजीनियर अंजना गामित कहती हैं कि यदि आपको कभी भी अपने घर या बैकयार्ड में खेती करने का विचार आए तो ऑर्गेनिक ऑइस्टर (सीप) मशरूम के विकल्प को चुनें, क्योंकि इसमें कम निवेश में लाभ अधिक है।
अब, आपको लग सकता है कि एक इंजीनियर, जोकि अपनी एक छोटी सी कंस्ट्रक्शन कंपनी को भी संभलाती हैं, वह मशरूम की खेती किस तरह कर रही हैं, तो आइए हम आपको बताते हैं।
अंजना पिछले 3 वर्षों से मशरूम की खेती कर रही हैं और उन्होंने पिछले साल 2 लाख रुपए से अधिक का मुनाफा कमाया था। सिर्फ इतना ही नहीं, अपने क्षेत्र में इस प्रोटीन युक्त उत्पाद की मांग न होने के बावजूद, वह अपने संभावित खरीदारों का बाजार बनाने में कामयाब रहीं।
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अंजना ने द बेटर इंडिया को बताया, “हमारे यहाँ लोगों को मशरूम से होने वाले फायदे के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है और इसे मानसून के दौरान उगने वाले शैवाल की तरह समझते हैं। इन धारणाओं की विपरीत - मशरूम में अति पौष्टिक तत्व, प्राकृतिक विटामिन डी और एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं।”
कुछ साल पहले अंजना ने, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) द्वारा आयोजित एक चार दिवसीय कार्यक्रम ‘मशरूम खेती के माध्यम से उद्यमिता विकास’ में हिस्सा लिया था। वहाँ से वापसी के दौरान, उन्हें कुछ स्पॉन (मशरूम के बीज) और पॉलिथीन के बैग मिले थे।
इसके बाद, कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों ने अंजना को मशरूम की खेती के लिए सेटअप तैयार करने में मदद करने के साथ ही, शुरुआती दिनों में जरूरी तकनीकि मार्गदर्शन भी किया।
केवीके में प्लांट प्रोटेक्शन वैज्ञानिक सचिन चव्हाण कहते हैं, “केवीके ने हमेशा ही छोट-बड़े स्तर पर जैविक खेती की अवधारणा को बढ़ावा दिया है। अपनी कार्यशालाओं के जरिए हम लोगों को यकीन दिलाते हैं कि खेती कोई रॉकेट साइंस नहीं है। इसके लिए कुछ विशेषज्ञता और रखरखाव की आवश्यकता होती है, जिसे सही मार्गदर्शन के जरिए हासिल किया जा सकता है। अंजना सफल हुईं, क्योंकि खेती के प्रति उनमें रुचि और जिज्ञासा है। हमें विश्वास है कि और भी महिलाएँ आगे आएँगी और बुनियादी खेती सीखेंगी, बेचने के लिए नहीं तो कम से कम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए।”
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आसान है विधि
अंजना ने अपने पार्किंग शेड की 10×10 फुट की जगह को बांस और ग्रीन शेड नेट से घेरा और अपनी खेती शुरू की। उन्होंने पहले दो महीने में 140 किलो मशरूम का उत्पादन किया, जिससे 30 हजार रुपए की कमाई हुई।
कैसे करें मशरूम की खेती, आइए जानते हैं 6 स्टेप्स में-
- धान या गेहूँ के भूसे को पानी में 5 घंटे तक भिगो कर रखें, इससे यह साफ और नरम होगा।
- कीटाणुओं को मारने के लिए भूसे को 100 डिग्री तापमान पर गर्म करें।
- भूसे को पानी में सामान्य ताप पर ठंडा होने दें और इसे एक कंबल या थर्माकोल से ढँक दें।
- भूसे को रात भर सुखाएँ।
- बीज को भूसे के साथ मिलाएँ और पॉलिथीन बैग में कसकर बाँध दें और इसे 18 दिनों तक ऐसे ही रहने दें।
- एक बार, जब मशरूम अंकुरित होने लगे तो बैग हटा दें और हर मशरूम को सावधानी से जड़ समेत उखाड़ें।
अंजना कहती हैं, “इस प्रक्रिया में लगभग 25 दिन लगते हैं और 10 किलो बीज लगाने से 45 किलो उत्पादन हो सकता है। प्रक्रिया सरल है लेकिन तापमान, नमी और बीजों की गुणवत्ता आदि का ध्यान रखना पड़ता है। शुरुआती दिनों में मेरी खेती का 80 फीसदी हिस्सा बर्बाद हो गया।”
मशरूम में संक्रमण की समस्या से निपटने के लिए, अंजना नीम के तेल का इस्तेमाल करती हैं, जबकि मशरूम के बीजों को आर्द्रता से बचाने के लिए वह ग्रीन शेड नेट को अतिरिक्त रूप से गीले पर्दे से ढँक देती है।
अंजना ने धीरे-धीरे खेती को बढ़ाया और अब वह अपने 25×45 फीट के पूरे पार्किंग शेड में मशरूम उगा रही हैं। आज उनके पास मशरूम की 350 थैलियाँ हैं।
वह बताती हैं कि घर पर मशरूम की खेती शुरू करने के लिए कम से कम 10×10 फीट जगह होनी चाहिए और इसमें 400 रुपए निवेश करना जरूरी है। कच्चा माल किसी नर्सरी या बागवानी केन्द्र में आसानी से मिल जाता है।
एक किलो मशरूम उगाने के लिए धान या गेहूँ की आधा किलो भूसी और 50 ग्राम बीज की जरूरत होती है। इसमें हर दिन लगभग 5 लीटर पानी की जरूरत होती है। जो तापमान को लेकर निश्चित नहीं हैं, वह थर्मामीटर खरीद सकते हैं। अंत में, एक बाल्टी और प्लास्टिक बैग की व्यवस्था करें।
अंजना ने अपने मशरूम की मार्केटिंग के लिए आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और स्थानीय खुदरा दुकानदारों से संपर्क किया। वह उन्हें न केवल अपने उत्पाद बेचती हैं, बल्कि मशरूम के स्वास्थ्य लाभ के विषय में भी जानकारी देती हैं।
अंजना अंत में कहती हैं, “मुझे मशरूम के ग्राहकों को शिक्षित करने में थोड़ा वक्त लगा, लेकिन अब मैं मशरूम के चिप्स, अचार, पाउडर जैसे मूल्यवर्धित उत्पादों को बनाने की योजना बना रही हूँ, ताकि बिक्री आसान हो जाए।”
मूल लेख- GOPI KARELIA
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