महीनों की कठिन ट्रेनिंग के बाद, ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से कुछ ऐसी तस्वीरें आईं, जो देश के हर नागरिक के दिल तक पहुंचीं। परेड पूरी करने के बाद, अपने बच्चों को गोद में लिए लेडी आर्मी ऑफिसर्स के चेहरे पर गर्व और आत्मविश्वास था, तो दिल में ममता का सागर।
अकादमी से स्नातक होने के लिए इन कैडेट्स ने एक साल की ट्रेनिंग ली और ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया। यहां 35 महिलाओं सहित 100 से अधिक कैडेट्स, ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सेना में शामिल हो गए।
ट्रेनिंग पूरी कर सेना में शामिल होने वाली लेडी आर्मी ऑफिसर्स में लद्दाख की पहली महिला सेना अधिकारी बनीं रिगजिन चोरोल से लेकर पंजाब की टीचर हरवीन तक परेड के दौरान आत्मविश्वास से एक-एक कदम बढ़ाती दिखीं।
पति की अधूरी इच्छा को पूरा करना, इन लेडी आर्मी ऑफिसर्स का था सपना
चोरोल के पति, लद्दाख स्काउट्स की ज़ेडांग सुंपा बटालियन में एक राइफलमैन थे और आर्मी ऑफिसर बनना चाहते थे। ओटीए पासिंग आउट परेड में शामिल लेडी आर्मी ऑफिसर्स में से एक, अर्थशास्त्र में स्नातक चोरोल ने एक बातचीत में बताया कि वह अपने बच्चे को एक गौरवपूर्ण माहौल देने के लिए सेना में भर्ती होना चाहती थीं।
दरअसल, रिगजिन खंडप की ड्यूटी के दौरान एक दुर्घटना में मौत हो गई थी। सेना की उत्तरी कमान के अधिकारियों को जब पता चला कि चोरोल, सेना में शामिल होना चाहती हैं, तो उन्होंने चोरोल से मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। पति की अधूरी इच्छा को पूरा करने की ज़िद और अपने बच्चे को गर्व से भरा भविष्य देने की चाह लिए रिगजिन चोरोल ने जो चाहा वह कर दिखाया।
चोरोल ने एक बातचीत में कहा, “मैंने अपने पति का सपना पूरा किया। वह हमेशा से एक आर्मी ऑफिसर बनना चाहते थे।”
हरवीन कौर की कहानी भी है कमाल
पासिंग आउट परेड में शामिल लेडी आर्मी ऑफिसर्स में से एक हरवीन कौर कहलों, जालंधर के एक निजी स्कूल में शिक्षिका थीं, जब उनके पति कैप्टन कंवलपाल सिंह कहलों की मृत्यु हो गई। पति को खो देने के बाद, हरवीन ने सेना में शामिल होने का फैसला किया। हरवीन ने एक बातचीत में बताया कि उनके पति हमेशा से ही सेना में जाने के लिए उनका हौसला बढ़ाया करते थे।
11 महीनों की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद, भारतीय सेना में अफसर बनने वाली हरवीन ने बताया, “मेरे बेटे ने अपने पिता को कभी देखा तो नहीं, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि वह जब भी मुझे वर्दी में देखेगा, तो उसे अपने पिता की छवि नज़र आएगी।”
दरअसल, जब हरवीन मॉं बनने वाली थीं, तभी उनके पति कैप्टन कंवलपाल सिंह कहलों की मृत्यु हो गई थी। इसलिए उनके बेटे ने अपने पिता को कभी देखा ही नहीं।
किसी ने IT तो किसी ने सुप्रीम कोर्ट छोड़कर चुना सेना में जाना
लेडी आर्मी ऑफिसर्स के अलावा, अकादमी के कैडेट्स में सुप्रीम कोर्ट के एक वकील रुद्राक्ष सिंह राजपुरोहित और दो भाई-बहन भी थेष किसी ने वकालत, तो किसी ने आईटी की नौकरी छोड़कर सेना में जाने का फैसला किया। रुद्राक्ष के दादा सेना के आयुध विंग में सूबेदार हुआ करते थे और उनसे प्रेरित होकर ही रुद्राक्ष ने आर्मी को चुना।
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