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भारत का इतिहास महान गुरुओं और उनकी बेहतरीन शिक्षा के बिना अधूरा सा है। ऐसे में हमें और हमारी युवा पीढ़ी को भारत के उन महान शिक्षकों के बारे में पता होना चाहिए, जिन्होंने भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान दिया। 

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जानें भारत के उन 10 शिक्षकों की कहानी, जिन्हें सिर्फ भारत ने ही नहीं, दुनिया ने माना महान।

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वह भारत के पहले महिला स्कूल की पहली महिला शिक्षिका थीं। उन्होंने भारत में शिक्षा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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1.

सावित्रीबाई फुले

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उन्होंने भारत में शिक्षा का रुप बदलने अहम भूमिका निभाई और लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला।  वह देश के सबसे महान शिक्षकों में से एक थीं। यहां तक कि ब्रिटिश सरकार ने भी उनके प्रयासों की सराहना की।

1.

एक सच्चे नेता और एक अद्भुत शिक्षक, कलाम से जब उनकी सबसे बड़ी जीत के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने सभा को बताया कि उन्हें शिक्षक बनना पसंद है। 

2.

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम

पूर्व राष्ट्रपति और एक वैज्ञानिक कलाम ने हमेशा कहा कि वह एक शिक्षक के रूप में याद किया जाना पसंद करेंगे। उन्होंने भारत को सही दिशा में आगे बढ़ाया। उनके कई पुरस्कारों में देश के दो सर्वोच्च सम्मान, पद्म विभूषण और भारत रत्न शामिल थे।

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3.

चाणक्य

वह एक प्राचीन भारतीय शिक्षक और एक दार्शनिक थे। वह देश के पहले विद्वानों में से एक थे और उन्हें चिकित्सा और ज्योतिष का ज्ञान रखने के लिए जाना जाता था।

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वह उत्तर भारत के मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त के गुरू थे। चाणक्य को उनकी बेहतरीन नीतियों के लिए जाना जाता है। 

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धनपत राय श्रीवास्तव, जिन्हें मुशी प्रेमचंद के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख हिंदी लेखक के रूप में आधुनिक हिंदुस्तानी साहित्य में योगदान के लिए जाने जाते हैं।

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4.

मुंशी प्रेमचंद

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प्रेमचंद ने 300 से अधिक लघु कथाएँ, 10 से अधिक उपन्यास और एक निश्चित संख्या में नाटक लिखे हैं। उत्तर प्रदेश के चुनार में एक सम्मानित शिक्षक, प्रेमचंद स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं से प्रभावित थे।

रवींद्र नाथ टैगोर

5.

रवींद्रनाथ टैगोर भारत के सबसे प्रशंसित लेखकों में से एक थे। उन्होंने अपनी लेखन शैली के ज़रिए अपने पाठकों के मन पर एक अमिट छाप छोड़ी।

टैगोर की शानदार रचनाओं ने उन्हें साहित्य के लिए प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिलाया। उनका शैक्षिक मॉडल बेहद दिलचस्प था।  1940 में, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने शांतिनिकेतन में आयोजित एक विशेष समारोह में उन्हें डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर से सम्मानित किया। 

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6.

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

5 सितंबर, 1888 को तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी के थिरुत्तानी में जन्मे डॉ. राधाकृष्णन, भारत के पूर्व राष्ट्रपति थे। वह दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर और एक राजनेता थे। 

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वर्ष 1954 में, डॉ. राधाकृष्णन को भारत रत्न से सम्मानित किया गया और 1968 में, वह साहित्य अकादमी फेलोशिप से सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति बने।

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7.

स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद को भारत में गुरुकुल प्रणाली की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए जाना जाता है।

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चाणक्य की तरह ही, स्वामी विवेकानंद ने भी अपने छात्रों में जीवन के मुश्किलों और समय से निपटने की शिक्षा दी। उनका मानना था कि हर इंसान अनंत क्षमताओं के साथ पैदा होता है, बस उसे सही दिशा देने की ज़रूरत होती है।

विनोबा भावे

8.

विनायक नराहाई "विनोबा" भावे 1900 के दशक में मानवाधिकार और अहिंसा के पैरोकार थे और उन्हें भारत का राष्ट्रीय शिक्षक माना जाता है। 

विनोबा भावे उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक छोटे से समुदाय के रूप में सेवा करने वाले एक आश्रम 'ब्रह्म विद्या मंदिर' की शुरुआत की। उन्हें 'आचार्य' की उपाधि से सम्मानित किया गया और मानवीय कार्यों में उनके योगदान के लिए 1958 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

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9.

स्वामी दयानंद सरस्वती

7 अप्रैल, 1875 को जन्मे दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की थी। उन्होंने वैदिक विचारधारा को जिंदा किया।  डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णनन और ऑरबिंदो ने उनको 'आधुनिक भारत का निर्माता' कहा।

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10.

शंकराचार्य

शंकराचार्य का जन्म 788 ईस्वी में हुआ था। उन्होंने उस समय प्रचलित धार्मिक अंधविश्वासों को दूर किया। वह एक बार जो पढ़ लेते थे, हमेशा याद रखने की उनके अंदर विलक्षण प्रतिभा थी।