दिल्ली/NCR में AQI 400 के पार पहुंच चुका है। ऐसी खबरें आप अक्सर सुनते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि AQI आखिर है क्या?

Air Quality Index (वायु गुणवत्ता सूचकांक) एक नंबर होता है, जिसके जरिए हवा की गुणवत्ता का पता लगाया जाता है। साथ ही इसके ज़रिए भविष्य में होने वाले प्रदूषण के स्तर का भी पता लगाया जाता है।

क्या होता है AQI?

हर देश का Air Quality Index वहां के प्रदूषण के आधार पर अलग-अलग होता है। इसे 'एक संख्या, एक रंग, एक विवरण' के आधार पर लॉन्च किया गया था।

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देश में बहुत बड़ी आबादी शिक्षित नहीं है, ऐसे में उन्हें प्रदूषण की गंभीरता को समझाने के लिए इसमें रंगों को भी शामिल किया गया। er.

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कब होता है हानिकारक?

AQI को रीडिंग के आधार पर 6 कैटेगरी में बांटा गया है।

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0 से 50 के बीच AQI हो, तो वायु प्रदूषण कम होता है और कोई जोखिम नहीं होता है।

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51 और 100 के बीच AQI हो, तो इसे ठीक-ठाक माना जाता है। बहुत कम संख्या में लोगों के लिए मामूली स्वास्थ्य संबंधी चिंता हो सकती है।

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100 से 150 के बीच AQI हो, तो अस्थमा जैसी सांस संबंधी बीमारी वाले लोगों को लंबे समय तक बाहर नहीं रहना चाहिए। आम लोगों को इससे ज़्यादा नुकसान  नहीं होता है।

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150 से 200 के बीच AQI हो, तो हर किसी के स्वास्थ्य पर इसका असर दिखना शुरू हो सकता है। बच्चों और सांस संबंधी बीमारी वाले लोगों को आउटडोर एक्टिविटीज़ से बचना चाहिए।

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200 से 300 के बीच AQI हो, तो वायु गुणवत्ता खराब मानी जाती है और पूरी आबादी के प्रभावित होने की अधिक संभावना हो जाती है।

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300 से 500 तक AQI हो, तो वायु गुणवत्ता बहुत खतरनाक हो जाती है। ऐसे में हर किसी को बाहरी परिश्रम से बचना चहिए।