विदेशियों को भा रही है भारत की देसी चारपाई, Amazon पर 60 हज़ार से ज़्यादा कीमत

ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं, जो भारत में परंपरा, संस्कृति और कला का प्रतीक हैं। सैकड़ों वर्षों से जिन्हें आम भारतीय अपनी दैनिक जीवनशैली में इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन विदेशों में ये एक नया ट्रेंड बन गई हैं।

वहां के लोग अपनी ज़रूरत और सुविधा के हिसाब से इन्हें अपना रहे हैं।  इस लिस्ट में 'चारपाई' का नाम भी शामिल है।

हमारे यहां चारपाई का इतिहास हज़ारों साल पुराना है, लेकिन विदेशियों के लिए यह स्टील, लोहे या प्लास्टिक के बेड का इको-फ्रेंडली विकल्प है, जो दिखने में सुंदर और आरामदायक है।

भारत के अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है, जैसे खाट, खटिया, मंजी या माचा...

भारतीयों के लिए चारपाई भले ही कोई नई चीज़ नहीं है, लेकिन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में यह बिल्कुल ही नया कॉन्सेप्ट है, जो पिछले कुछ सालों से उनके बीच मशहूर हो रहा है।

अब कई भारतीय कंपनियां ‘मेड इन इंडिया’ चारपाई विदेशों में एक्सपोर्ट कर रही हैं, जो वहां 800-900 डॉलर में बिकती हैं और बैठने के लिए छोटी-सी मचिया की कीमत भी 100 डॉलर से ज़्यादा है।

यह पहली बार नहीं है, जब कोई भारतीय पारंपरिक चीज़ विदेशों में ट्रेंड बनी है। इससे पहले 90 के दशक में ‘बिंदी’ भी वेस्टर्न ट्रेंड का हिस्सा बन चुकी है।

उस दौरान भारत में 10-20 रुपए में मिलने वाली बिंदियों के पैक की कीमत विदेशों में 500-700 रुपए हो गयी थी।

इसी तरह, भारतीय घरों में तोरई को सुखाकर बनाया जाने वाले प्राकृतिक लूफा विदेशों में 1500 रुपए से ज़्यादा की कीमत पर बिकता है।