आज से सात साल पहले सूरत की डॉक्टर जिगना शाह के घर पर जगह तो खूब थी, लेकिन ज्यादा पौधे नहीं लगे थे। उनके पति डॉक्टर राहुल शाह को पेड़-पौधों का काफी शौक था और वह कुछ सजावटी पौधे तो उगाते थे, लेकिन फल और सब्जियां उगाने के बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था।
हालांकि, सालों पहले राहुल के पिता यहां कुछ फल और सब्जियां उगाते थे, लेकिन काम की व्यस्तता के कारण पौधे उगाने का शौक धीरे-धीरे कम हो गया और घर में मात्र कुछ सजावटी पौधे ही रह गए।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए डॉ. जिगना शाह कहती हैं, “सात साल पहले मैंने एक वर्कशॉप में भाग लिया था, जिससे मुझे अपने भोजन के प्रति ज्यादा जागरूक होने का सबक मिला। मैंने वहीं से घर पर सब्जियां उगाना सीखा और कुछ सब्जियां उगाने की कोशिश भी शुरू की।”
उनका यह प्रयोग इतना अच्छा रहा कि उन्होंने एक के बाद एक, पौधे उगाना शुरू कर दिया। उनके घर की छत तक़रीबन 1500 स्क्वायर फ़ीट की है, जिसमें उन्होंने वाटरप्रूफिंग करके क्यारियां (Home Terrace Garden) बनाई हैं।
बाहर से नहीं खरीदनी पढ़ती कई चीज़ें
जिगना के घर में ही नीचे के भाग में उनका क्लीनिक भी है। उन्होंने घर के नीचे के एरिया में आम और चीकू के पेड़ और सजावटी पौधे लगाए हैं। साथ ही, बाहर की ओर बड़े पेड़ लगे हैं, जिससे घर के अंदर का वातावरण ठंडा रहता है।
वहीं उनकी छत (Home Terrace Garden) पर भी आम, आवंला, अनार, केला, पपीता, सेतुर, ड्रैगन फ्रूट, फालसा, स्टार फ्रूट सहित कई और फल लगे हैं। इसके अलावा, उन्होंने क्यारियों में सभी मौसमी सब्जियां उगाई हैं। डॉ. जिगना कहती हैं, “हमने पिछले चार महीने से बाहर से टमाटर खरीदे ही नहीं और ऐसे कई दूसरे मौसमी फल और सब्जियां भी हैं, जो अब बाहर से खरीदने की जरूरत ही नहीं पड़ती।”
चार साल पहले वह नर्सरी से एक केले का पौधा लाई थीं, जिससे आज कई पौधे बन गए हैं और अब वह इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी तोहफे में देती रहती हैं।
बिल्कुल बदल गया है घर का माहौल
यह दम्पति आपस में मिल-जुलकर गार्डन (Home Terrace Garden) का काम संभालता है। जिगना फल और सब्जियों के पौधों की देखभाल करती हैं। वहीं, उनके पति को बोन्साई का शौक है, इसलिए वह सजावटी पौधे लगाते हैं। डॉ. राहुल ने बोन्साई का एक कोर्स भी किया है।
उन्होंने गार्डन (Home Terrace Garden) में सब्जियों की उत्पादकता बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा तितलियों को आकर्षित करने के लिए कई पीले फूल भी उगाए हैं, साथ ही, उनकी छत पर सरसों के भी कई पौधे लगे हैं, जिससे प्राकृतिक पॉलिनेशन में मदद मिलती है।
गार्डनिंग के कारण, बीते सालों में उनके घर का वातावरण काफी खुशनुमा हो गया है। अब तो कई प्रकार के पक्षी भी उनके गार्डन (Home Terrace Garden) में आते रहते हैं। उन्होंने अपने पुराने बाथ टब में एक फिश पॉन्ड भी बनाया है। साथ ही, बेकार पुराने टबों में कई वॉटर प्लांट भी उगाए हैं।
हर दिन अपने काम पर जाने से पहले वे एक से दो घंटे गर्डनिंग करने में बिताते हैं। उनका 14 साल का बेटा, पौधों के बीच ही बड़ा हुआ है, जिसके कारण वह इस उम्र में ही प्रकृति के प्रति जागरूक हो गया है।
उनके घर का नजारा इतना सुंदर लगता है कि घर में आए हर एक मेहमान का दिल खुश हो जाता है। अगर आप भी इस परिवार की तरह अपने घर का माहौल खुशनुमा बनाना चाहते हैं तो आज से ही एक पौधा लगाकर इस सफर की शुरुआत कर सकते हैं।
हैप्पी गार्डनिंग!
संपादनः अर्चना दुबे
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