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छत पर हैं अंजीर, रुद्राक्ष, अजवाइन, इंसुलिन समेत 1250 पेड़-पौधे, AC की नहीं पड़ती ज़रूरत

पंजाब में पटियाला के रहने वाले 52 वर्षीय दलीप कुमार को बचपन से ही गार्डनिंग का शौक रहा है। पेड़-पौधों के प्रति उनका लगाव इतना ज्यादा था कि उन्होंने अपना करियर भी इसी क्षेत्र में बनाया। उन्होंने एमएससी हॉर्टिकल्चर की पढ़ाई की और वर्तमान में, वह पटियाला नगर निगम के हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट में बतौर ‘एग्जीक्यूटिव इंजीनियर’ नियुक्त हैं। 

दलीप कहते हैं कि पेशेवर तौर पर उनका काम शहर के पार्क, चौक और बगीचों आदि के रखरखाव का है। इसके साथ ही, उन्होंने अपने घर की छत को भी बहुत ही सुंदर गार्डन का रूप दिया हुआ है। 

उनकी छत पर आपको तरह-तरह की प्रजाति के लगभग 1250 पेड़-पौधे मिलेंगे। दलीप कहते हैं कि इतने खूबसूरत गार्डन को बनाने में, उन्हें कई वर्षों का समय लगा है। वह सजावटी पौधों, सक्युलेंट, बेल से लेकर फल, फूल, जड़ी-बूटी और सब्जियां भी अपनी छत पर उगाते हैं। 

उनका कहना है कि उन्हें कोई रिकॉर्ड नहीं बनाना है कि उनके गार्डन में इतने किलो फल आए या इतनी ज्यादा सब्जियां उगाई गई। वह बस हर तरह के पेड़-पौधे लगाने का शौक रखते हैं और जी-जान से उनकी देखभाल करते हैं। उन्होंने अपने गार्डन को इस तरह तैयार किया है कि उनके घर का तापमान बाहर के तापमान से कम ही रहता है। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए दलीप ने अपने गार्डनिंग के सफर के बारे में बताया, “गार्डनिंग सिर्फ हरियाली नहीं बढ़ाती है बल्कि यह खुद को शांत और स्थिर रखने का भी एक अच्छा माध्यम है। अपनी छत पर कुछ पेड़-पौधे लगाइये और इनके साथ समय व्यतीत कीजिए। मैं हर दिन अपने गार्डन में बैठकर योग करता हूँ। यकीन मानिए, मुझ पर इसका काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।” 

उनके गार्डन की एक झलक

पौधे लगाने के लिए नहीं करते मिट्टी का इस्तेमाल: 

दलीप बताते हैं कि बात अगर पेड़-पौधों की करें, तो ऑर्नामेंटल (सजावटी) पौधों में उनके यहाँ क्रोटोन, ड्रसीना रेड, ड्रसीना केदारनाथ, ज़िज़ी प्लांट, ब्लैक रबर प्लांट, हाइब्रिड कनेर, चांदनी, एरेका पाम, लिपस्टिक प्लांट, स्पाइडर प्लांट आदि हैं। इनके आलावा, उनके गार्डन में आपको रंगून, चमेली, मिनिएचर रोज जैसे फूलों की बेल भी दिख जायेंगी। 

फलों की बात की जाए, तो उन्होंने आम, चीकू, नींबू, बारहमासी नींबू, नारंगी, अंजीर, कीनू, अंगूर के पौधे लगाए हैं। इनके अलावा, वह मौसमी सब्जियां और तुलसी, हींग, लेमन ग्रास, स्टीविया, कपूर, रुद्राक्ष, इन्सुलिन प्लांट, अजवाइन, ओलिविया, एलोवेरा जैसे पेड़-पौधे भी उगा रहे हैं। 

उनकी गार्डनिंग की सबसे दिलचस्प बात यह है कि पौधों को लगाने के लिए, वह मिट्टी का इस्तेमाल नहीं करते हैं। उनके सभी पेड़-पौधे गीले कचरे से बनी खाद में पनप रहे हैं। वह अपने घर में ही सभी तरह के जैविक कचरे से खाद बनाते हैं। इसके अलावा, शहर के नगर निगम द्वारा इकट्ठे किए गए गीले और जैविक कचरे से भी खाद बनाई जाती है। दलीप बताते हैं कि निगम का हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट इस खाद को लोगों को बेचता है, तो वह भी अपने गार्डन के लिए यह खाद खरीद लेते हैं। क्योंकि जैविक कचरे से बनी खाद, गार्डनिंग के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है।  

खुद बनाते हैं खाद

साथ ही, खाद और कोकोपीट आदि का इस्तेमाल करने के कारण, छत पर वजन भी नहीं बढ़ता है। वह आगे कहते हैं कि अपने गार्डन की देखभाल का लगभग सभी काम वह खुद करते हैं। उन्होंने अपने बगीचे को इस तरह से तैयार किया है कि अगर कोई रात को गार्डन में सोना चाहे, तो सो भी सकता है। उन्होंने गार्डन के साथ ही एक केबिन बनवाया है, जिसमें गर्मी को नीचे जाने से रोकने के लिए ‘इंसुलेटर शीट’ लगाई हुई है। उन्होंने बताया, “मैंने गार्डन में ‘फॉगिंग सिस्टम’ भी लगवाया है। इसे दिन में एक बार चलाने से सारा गार्डन ठंडा हो जाता है और पेड़-पौधों पर ज्यादा गर्मी का असर नहीं पड़ता है।”

छत पर गार्डन होने के कारण, उनके घर के अंदर का तापमान एकदम कम रहता है। उनका कहना है कि उन्होंने आज तक घर में एसी (AC) नहीं लगवाया और इसकी वजह है, उनका गार्डन। अपने टेरेस गार्डन से उन्हें न सिर्फ ताजा फल-सब्जियां मिलती हैं बल्कि उनका रहन-सहन भी प्रकृति के अनुकूल हो गया है। इसलिए, वह कहते हैं कि अगर आप खुद को प्रकृति के करीब ले जाना चाहते हैं, तो अपनी छत पर गार्डनिंग करें। 

गार्डनिंग टिप्स: 

वह कहते हैं कि गार्डनिंग के लिए सबसे पहले, आप में दृढ निश्चय और धैर्य होना बहुत जरूरी है। इसके बाद, आप अपने घर में उपलब्ध जगह पर गौर करें। वहाँ आप किस किस्म के पेड़-पौधे लगा सकते है और उस जगह कितनी धूप आती है, इन बातों का ध्यान रखें। आप कुछ फूलों और आसान सब्जियों से, गार्डनिंग की शुरुआत कर सकते हैं। पहले ऐसे पौधे लगाएं, जिन्हें कम देखभाल और पानी की जरूरत होती है। 

लगाए हैं फल-फूल, सब्जियां

अंत में वह बस यही कहते हैं कि गार्डनिंग करते हुए, आप बहुत कुछ सीखते हैं। आपको कई नये पौधों तथा तकनीकों के बारे में पता चलता है। इसलिए, हर किसी को दो-चार ही सही, लेकिन पेड़-पौधे जरूर लगाने चाहिए। 

हैपी गार्डनिंग

संपादन- जी एन झा

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