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लॉकडाउन में गार्डनिंग का चढ़ा शौक, साल भर में बन गया मुनाफे का बिज़नेस

Revati Raman Nursery Business From Home Started By Patna Couple
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पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान जब हम सब अपने-अपने घरों में बंद थे तो कई लोगों ने शौक से गार्डनिंग की शुरुआत की थी। आज हम आपको बिहार की राजधानी पटना के एक ऐसे ही दंपति से मिलवाने जा रहे हैं, जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान शौक से गार्डनिंग की शुरुआत की थी लेकिन आज यही शौक उनका बिजनेस बन गया है। अब वह गार्डनिंग के साथ नर्सरी भी चला रहे हैं और हर रोज तकरीबन 500 अलग-अलग तरह के पौधे बेचते हैं।

यह कहानी पटना के कंकड़बाग इलाके में रहने वाले रेवती रमन सिन्हा और उनकी पत्नी अंशु सिन्हा की है। पिछले लॉकडाउन में रेवती रमन ने यूट्यूब के जरिए गार्डनिंग की बारीकी सीखकर अलग-अलग किस्म के सजावटी और फूलों के पौधों को लगाने की शुरुआत की थी। इस काम में उनकी पत्नी अंशु ने भी पूरा साथ दिया था। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए रेवती रमन कहते हैं, “मुझे गार्डनिंग से जोड़ने का पूरा श्रेय मेरी पत्नी अंशु को जाता है। पिछले साल जब हम सभी कोरोना महामारी की वजह से घर पर थे तब उन्होंने ही छत पर अलग-अलग किस्म के पौधों को लगाने की शुरुआत की थी। इसके बाद मैं भी यूट्यूब पर गार्डनिंग से संबंधित वीडियो देखने लगा और गार्डनिंग में अंशु की मदद करने लगा।”

वहीं अंशु कहती हैं, “हालांकि मैं उन्हें शुरुआत में गार्डनिंग में मदद करने को कहती थी लेकिन आज वह पेड़-पौधों में मुझसे भी ज्यादा रूचि रखते हैं। लॉकडाउन में उन्होंने एक हजार से भी ज्यादा गार्डनिंग वीडियोज़ देखे होंगे।”

रेवती रमन सिन्हा और उनकी पत्नी अंशु सिन्हा

घर की बड़ी छत का किया अच्छा उपयोग 

अंशु बचपन से ही, अपने नाना के सरकारी क्वार्टर में कुछ पौधे उगाती रहती थीं। शादी के बाद अंशु अपने पति के साथ गुड़गांव में रहने लगीं। वहां भी अंशु ने कुछ सजावटी पौधे उगाए थे। लेकिन साल 2017 में अंशु बिहार लौट आईं। उन्होंने बिहार शिक्षा विभाग में बतौर शिक्षक नौकरी शुरू कर दी। कुछ दिनों बाद रेवती रमन भी गुड़गांव से पटना लौट आए। उन्होंने साइबर कैफ़े और फाइनेंस से जुड़ा स्टार्टअप भी शुरू किया। लेकिन लॉकडाउन में उनको अपना काम बंद करना पड़ा।  

इन दिनों अंशु की पोस्टिंग पटना से तक़रीबन 100 किलोमीटर दूर एक सरकारी स्कूल में है। वह कहती हैं, ” गार्डनिंग का शौक तो मुझे हमेशा से ही था। लॉकडाउन में जब स्कूल बंद था तो मैंने अपनी छत पर पौधे उगाना शुरू किया। मुझे फूलों का बहुत शौक है। साथ ही हमने मौसमी सब्जियां भी उगाई। हमने सभी तरह की हरी सब्जियों को गमले में उगाया है।”

1200 स्क्वायर फ़ीट के छत पर उन्होंने कुछ ऐसे फूलों के पौधे लगाएं हैं, जो सालों-साल चलते हैं। उनके पास सदाबाहर फूल और गुड़हल की कई किस्में मौजूद हैं। यदि आप इस दंपति के छत पर जाते हैं तो वहां केना लिली की 15, कैलेडियम की 8, एक्जोरा की पांच, बोगनवेल की पांच और मेंडविलिया की चार किस्में दिख जाएंगी। वहीं उन्होंने अपने गार्डन में चांदनी, बेली, लिली, गुलाब और गेंदा के कई पौधे उगा रखे हैं।  

शौक को बनाया बिज़नेस 

पिछले एक साल में इस दंपति के पास कई पौधे इतने ज्यादा हो गए कि उन्होंने कटिंग करके उनसे मदर प्लांट तैयार करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने छत पर एक छोटी सी नर्सरी की शुरुआत कर दी है। सभी पौधों की कीमत उन्होंने कम से कम रखने की कोशिश की है। रेवती रमन कहते हैं कि उनके पास कोई भी पौधा 200 रुपये से अधिक कीमत का नहीं है। 

रेवती रमन और अंशु ने नर्सरी का काम आपस में बांट लिया है। ऑनलाइन आर्डर लेना और ग्राहक से बात करने का काम अंशु का है। वहीं पौधे तैयार करना और उनकी डिलीवरी करने का काम उनके पति संभालते हैं। 

रेवती रमन कहते हैं, “मेरे साथ मेरे पिता और दो भाइयों का परिवार भी रहता है। सभी थोड़ी-थोड़ी देर गार्डन में आकर बैठते हैं। कई बार जब हम दोनों पति-पत्नी बिजी होते हैं तब मेरे पिता ही पौधों की देखभाल करते हैं। चूंकि अब अंशु का स्कूल शुरू हो चुका है इसलिए वह ज्यादा वक्त गार्डन को नहीं दे पाती हैं।”

कैसे जुड़ते हैं ग्राहकों से 

यह दंपति सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक अपने गार्डन के बारे में जानकारी पहुंचाते हैं। इन्होंने ‘अंशुमन गार्डन’ के नाम से नर्सरी बिजनेस की शुरुआत की है।

व्हाट्सएप के जरिए यह लोगों को नर्सरी और फूल-पौधों के बारे में जानकारी देते हैं। इसके अलावा फेसबुक पर भी कई गार्डनिंग ग्रुप से जुड़े हुए हैं। वे घर के किचन वेस्ट से ऑर्गेनिक खाद भी बनाते हैं। 

फिलहाल वह अपनी जानकारी के अनुसार लोगों को पौधे उगाने में मदद करते हैं। पौधे को बेचने के बाद भी वह लोगों से फीडबैक मांगते हैं। किसी को पौधे से जुड़ी कोई परेशानी हो तो उनको सुझाव भी देते हैं। केवल एक साल के अंदर उनके 100 से ज्यादा ग्राहक बन गए हैं। वहीं प्रतिदिन तक़रीबन 500 पौधे बेचते हैं। साथ में उनकी नर्सरी से आप गमले और खाद भी खरीद सकते हैं।  

अंत में अंशु कहती हैं, “अब यह छत हमें छोटी पड़ रही है। हम जल्द ही कोई जगह लेकर बड़े स्तर पर नर्सरी का काम करना चाहते हैं। दरअसल हर कोई अपने आस-पास हरा भरा वातावरण पसंद करता है। कोरोना ने हमें पौधों की सही अहमियत बता दी है, इसलिए यह बिज़नेस के रूप में भी अच्छा विकल्प है।”

आशा है आप भी इस दंपति की तरह,  अपने घर में उपलब्ध जगह का इस्तेमाल करके कुछ पौधे जरूर लगाएंगे। यदि आप इस दंपति के नर्सरी से संपर्क करना चाहते हैं तो 9958998990 पर कॉल या मैसेज कर सकते हैं।

हैप्पी गार्डनिंग!

संपादन- जी एन झा

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