पेड़-पौधों के पास रहना, उनकी देखभाल करना, यह सिर्फ वातावरण के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी बेहद जरूरी है। सूरत में रहने वाली डॉ. मोहिनी गढिया इस बात को मानती भी हैं और अनुभव भी कर चुकी हैं। 67 वर्षीया डॉ. मोहिनी पिछले चार सालों से घर में हर मौसम की 15 से ज्यादा सब्जियां उगा रही हैं। जैविक तरीकों से सब्जियां उगाने के लिए खाद और कीटनाशक भी वह खुद ही बनाती हैं।
एक साल पहले उनको ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, जिसके बाद उनकी गार्डनिंग में एक बड़ा ब्रेक भी लगा, लेकिन यह पौधों के प्रति उनका लगाव ही था कि आज वह फिर से बिल्कुल एक्टिव होकर गार्डनिंग कर रही हैं।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहती हैं, “गार्डनिंग करते हुए बहुत कुछ नया सीखने को मिलता है। यह एक प्रयोग है। बगीचे में लगे पेड़-पौधे रोज कुछ नया सीखा देते हैं। मेरा मानना है कि पेड़-पौधे हमारे लिए थेरिपी का काम करते हैं।”
रिटायरमेंट के बाद, बनाया ‘गार्डनिंग’ को काम
Aquatic Biology की प्रोफेसर मोहिनी, साल 1982 से सूरत में रह रही हैं। उनके फ्लैट में 600 स्क्वायर फ़ीट का बड़ा टेरेस है, जहां वह हमेशा से कुछ सजावटी पौधे लगाती रहती थीं। शुरुआत में उनके पति ही ज्यादा गार्डनिंग करते थे। मोहिनी समय की कमी और बिजी रूटीन के कारण गार्डन पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रही थीं। लेकिन कॉलेज के माध्यम से ही, उन्हें कृषि यूनिवर्सिटी और टेरेस गार्डनिंग के वर्कशॉप का पता चला।
साल 2017 में, उन्होंने रिटायरमेंट के पहले ही टेरेस गार्डन का कोर्स किया था। जिसके बाद उन्होंने कुछ आसान सब्जियों से शुरुआत की थी।
वह कहती हैं, “हमारे फ्लैट में अच्छा ख़ासा बड़ा टेरेस गार्डन है। यह टेरेस पूर्व दिशा की ओर है, इसलिए इसमें धूप भी अच्छी आती है। सजावटी पौधे तो हम हमेशा से लगाते थे। वर्कशॉप के बाद मुझे लगा कि क्यों न इस जगह का उपयोग कुछ सब्जियां उगाने के लिए किया जाए। पहली बार मैंने बैंगन के पौधे लगाए और इसमें मिली सफलता के बाद मेरा उत्साह बढ़ा।” अब मोहिनी हर मौसम में 15 से ज्यादा सब्जियां उगा रही हैं।
उन्होंने बताया कि सेम और बैंगन तो इतने उगते है कि वह अक्सर इसे अपने दोस्तों में बांट देती हैं। हाल में, उन्होंने सर्दियों के हिसाब से मेथी, सोया, सरसो, पालक, मूली, धनिया, टमाटर, हल्दी आदि उगाए हैं।
उनके गार्डन में आपको ड्रैगन फ्रूट, शहतूत, सीताफल और बेर भी दिख जाएंगे। मोहिनी कहती हैं, “मैंने केले भी लगाए हैं, लेकिन अभी इनमें फल उगे नहीं हैं। मैं फल से ज्यादा, सब्जियां उगाती हूं। मेरी कोशिश रहती है कि ज्यादा किस्मों के बजाय, किसी एक किस्म के पौधे ज्यादा लगाएं, जिससे घर में उगी सब्जियां खाने को मिले। फिलहाल मेरे गार्डन में 600 से ज्यादा पौधे हैं।”
वह घर पर ही खाद और कीटनाशक भी बनाती हैं। उनका मानना है कि अगर हम चाहें तो बिल्कुल कम बजट में अच्छी गार्डनिंग कर सकते हैं। पौधे उगाने के लिए उन्होंने घर के सारे वेस्ट डिब्बों, पुराने खिलौने आदि उपयोग में लिए हैं। कोकोपीट की जगह वह सूखे पत्तों का इस्तेमाल करती हैं।
मोहिनी बड़े ही सुंदर तरीके से मल्टी लेयर में ढेर सारी सब्जियां उगाती हैं। उन्होंने बताया, “गर्मी के मौसम में लौकी, तुरई जैसी सब्जियां बेल में उगती हैं। उस वक्त मैं इसके नीचे बैंगन, टमाटर और मिर्च उगाती हूं। वहीं पत्तेदार सब्जियां, छोटे पौधों के गमले में ही आराम से उग जाती हैं। इस तरह हम कम जगह में ज्यादा सब्जियां उगा पाते हैं।”
ब्रेन स्ट्रोक के बाद गार्डनिंग ने किया थेरिपी का काम
पिछले साल अक्टूबर में मोहिनी को ब्रेन स्ट्रोक आया था। जिसके बाद वह ठीक से चल नहीं पा रही थीं, एक जगह ज्यादा देर तक खड़ी भी नहीं हो पा रही थीं। चूंकि उनका लिविंग रूम गार्डन से जुड़ा है, इसलिए वह अक्सर गार्डन देखती, लेकिन कुछ काम नहीं कर पा रही थीं।
उन दिनों को याद करते हुए वह कहती हैं, “एक साल तक मैं खुद से गार्डनिंग नहीं कर पा रही थी, इसलिए मैंने एक माली भी रखा था। लेकिन खुद के गार्डन और पौधों की देखभाल आप जब तक खुद न करो, आपको शांति नहीं मिलती। पिछले कुछ महीनों से मैं वापस गार्डन के काम में लग गई हूं। अब मैं फिरसे खाद बनाना, कटिंग करने जैसे काम आराम से करती हूं। इस दौरान मैंने महसूस किया कि पौधे सच में थेरिपी का काम करते हैं।”
मोहिनी को गार्डनिंग से फिर से जुड़ने के लिए उनके परिवार ने प्रेरित किया था। उनके परिवार में उनके पति और उनकी बेटी है। इसके अलावा वह सूरत के कुछ गार्डनिंग ग्रुप से भी जुड़ी रहती हैं। जहां से उन्हें गार्डनिंग में होने वाली समस्या का समाधान आसानी से मिल जाता है।
अंत में वह कहती हैं, “आपके बगीचे में धूप कम आती है या ज्यादा, यह मायने नहीं रखता है। सबसे बड़ी चीज होती है इच्छाशक्ति। अगर आप चाहेंगे तो कहीं भी, कुछ भी उगा सकते हैं। हम अपने घर में कुछ सब्जियां आराम से उगा सकते हैं। खुद के गार्डन से तोड़ी गई सब्जियों का स्वाद एक बार चखने के बाद, आप बाहर की सब्जियां खाना भूल ही जाएंगे। इसका हमारे स्वास्थ्य में सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है।”
आशा है, आपको डॉ. मोहिनी की गार्डनिंग की कहानी से प्रेरणा जरूर मिली होगी।
संपादन- जी एन झा
यह भी पढ़ें – न जगह न जानकारी, फिर भी महज़ 400 sq.ft में उगा दिए 15 किस्म की सब्जियां और 8 तरह के फल
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।
We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons: