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छत पर 1000+ पौधे, रुद्राक्ष-कल्पवृक्ष से लेकर स्ट्रॉबेरी तक सब कुछ मिलेगा यहाँ

क्या आपने गमले में रूद्राक्ष का पौधा देखा है? आज हम आपको एक ऐसे युवा की कहानी सुनाने जा रहे हैं जो छत पर रुद्राक्ष, कल्पवृक्ष, कमरख जैसे कई दुर्लभ पौधों की खेती करते हैं। इसके साथ ही, वह अपने बागवानी के अनुभवों को यूट्यूब के जरिए साझा भी करते हैं।

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के रहने वाले अनुराभ मणि त्रिपाठी अपनी छत पर फल-फूल से लेकर हरी सब्जी तक की खेती कर रहे हैं। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह इन दिनों यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, “मेरे दादाजी टीचर थे और वह बचपन में मुझे नर्सरी घुमाने के लिए ले जाते थे। इस तरह छोटी उम्र से ही मुझे बागवानी से काफी लगाव हो गया।”

वह आगे कहते हैं, “मैंने अपनी बी. टेक और एम. टेक की पढ़ाई पंजाब से की है। 2017 में पढ़ाई पूरी होने के बाद, मेरे पास पर्याप्त समय बचता था। इसके बाद, मैंने अपने सपने को जीने के लिए छत पर बागवानी शुरू की।”

बता दें कि अनुराभ ने बागवानी की शुरूआत साल 2018 में की थी। इस दौरान उन्होंने बेकार बैट्री, टायर, बोतल आदि में 22 पौधे लगाए थे। आज उनके 1800 वर्ग फीट के छत पर 1000 से अधिक गमले हैं।

गमले में निकले संतरे व बेर

अनुराभ के छत पर आपको फल से लेकर फूल तक, सबकुछ गमले में दिख जाएगा। गुलाब, गेंदा, एडेनियम जैसे फूल हों या फिर नारंगी, स्ट्रॉबेरी, बेर, लीची, अंगूर, बारहमासी आम और कटहल, ये सबकुछ उनके छत पर मौजूद है। वह गमले में शिमला मिर्च (लाल, पीला, हरा), मिर्च, टमाटर, आदि की भी खेती करते हैं।

इसके अलावा, वह अपने टैरेस गार्डन में रुद्राक्ष, कल्पवृक्ष, कमरख जैसे दुर्लभ पौधों की भी खेती करते हैं।

लीची(बायें) व रुद्राक्ष(दायें)

अनुराभ कहते हैं, “अपनी छत पर इस तरह से बागवानी शुरू करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि आप पौधों के लिए मिट्टी कैसे तैयार करते हैं। मैंने इन मूल चीजों को समझा और धीरे-धीरे मेरा आत्मविश्वास बढ़ता गया। मैं अपने पौधों के लिए खाद पूरी तरह पत्तियों से बनाता हूँ। इसके तहत, पौधा लगाने के दौरान गमले में मिट्टी भरने से पहले अपने बगीचे से जमा की हुई पत्ती डाल देता हूँ। इससे 30-45 दिनों में खाद बन जाता है और इसमें पौधों की पोषण के लिए सभी जरूरी तत्व होते हैं। इस तरह, मुझे गोबर या वर्मी कम्पोस्ट की जरूरत नहीं होती है।”

अनुराभ के गार्डन में 250 से अधिक किस्म के गुलाब हैं। खास बात है कि ये गुलाब मिट्टी में नहीं है बल्कि कोयले की राख में उगाए गए हैं। इसके बारे में वह कहते हैं, “मेरी छत पर 250 से अधिक प्रकार के गुलाब हैं। यहाँ तक कि एक गुलाब का नाम ‘अनुराभ मणि’ भी है। गुलाब के लिए मैं मिट्टी की जगह कोयले का राख यानी खंगर को इस्तेमाल में लाता हूँ, जिससे कि पौधे काफी तेजी से विकसित होते हैं।”

छत पर गुलाब की ढेरों वैरायटी

कुछ जरूरी टिप्स

● पौधों का चयन हमेशा अपने मौसम के हिसाब से करें, हर जगह का मौसम, हर पौधे के लिए उचित नहीं होता है।

● छत पर बागवानी के लिए हमेशा कम लागत में अधिकतम संसाधनों की पूर्ति करें। जैसे – बाजार से महंगा गमला खरीदने के बजाय, बेहद सस्ती दर पर मिलने वाले डिब्बों का इस्तेमाल करें। साथ ही, अपने उत्पादों के बीजों को भी संरक्षित करें। इससे बाजार पर आपकी निर्भरता कम होगी।

● पौधों को फरवरी महीने में लगाने की कोशिश करें, क्योंकि इस मौसम में न ज्यादा ठंड होती है और न ही ज्यादा गर्मी। इस वजह से पौधों को पर्याप्त नाइट्रोजन मिलता है।

● फूलों के लिए 6-7 घंटे और फलदार पौधों के लिए 5 घंटे की धूप पर्याप्त है।

● रसायनों का उपयोग न करें। गोबर, किचन वेस्ट आदि का इस्तेमाल करें। जितना संभव हो पत्तियों को सड़ा कर खाद बनाएं।

● कीटों से बचाव के लिए नीम या जेट्रोफा तेल का इस्तेमाल करें।

● पौधों को जितनी जरूरत है, उतना ही पानी दें। कोशिश करें कि मिट्टी में सिर्फ नमी बनी रहे। इससे पौधे का विकास जल्दी होगा और पानी भी बचेगा।

● बागवानी को खुद पर हावी न होने दें।

छत पर फूलों की खेती

अनुराभ कहते हैं, “आज हमारा समय तनाव से भरा हुआ है, ऐसे में हर किसी को अपने घर में जितने बड़े पैमाने पर भी संभव हो सके, बागवानी जरूर करनी चाहिए, इससे आपको सुकून मिलेगा।”

अनुराभ ने एक यूट्यूब चैनल की शुरूआत की है, जहाँ वह लोगों को बागवानी से संबंधित कई जरूरी टिप्स देते हैं।

गमले में उगा बैंगन

वह कहते हैं, “मैंने अपना यूट्यूब चैनल 2012 में बनाया था, लेकिन इस पर मैंने 2018 से काम करना शुरू किया। आज मेरे 80 हजार सब्सक्राइबर हैं और मेरे वीडियो को 10 मिलियन व्यूज मिल चुके हैं। इस तरह मुझे यूट्यूब से हर महीने 16-20 हजार की कमाई भी हो जाती है।”

यहाँ अनुराभ से फेसबुक और यूट्यूब पर संपर्क किया जा सकता है।

अगर आपको भी है बागवानी का शौक और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी hindi@thebetterindia.com पर!

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