करीबन पांच साल पहले, दिल्ली जैसे महानगर का जीवन और अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर, जब पल्लवी आर्चाया कोरबा, छत्तीसगढ़ में बने NTPC के क्वार्टर में रहने आई थीं, तब उन्हें यहां कुछ अच्छा नहीं लगता था। न तो यहां आस-पास बाजार है, न ही तब उनके पास नौकरी थी। उनके पति अजित आचार्या NTPC में काम करते हैं, इसलिए उनका ट्रांसफर होता रहता है। उनके पति अपने काम और बेटा स्कूल के लिए निकल जाया करते थे और वह बड़ा अकेला महसूस करती थीं। लेकिन जब उन्होंने नागपुर में अपनी एक रिश्तेदार के घर में बना बालकनी गार्डन (House Gardening) देखा, तो उन्हें इतना पसंद आया कि उनके मन में भी कुछ पौधे उगाने की इच्छा होने लगी।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए पल्लवी कहती हैं, “मुझे उस समय गार्डनिंग के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। मैंने दिल्ली में एक-दो पौधे उगाए थे, लेकिन वहां का पानी खारा होने के कारण, मिनरल वॉटर पौधों को देना पड़ता था। इसलिए यहां आकर भी मुझे गार्डेनिंग का ख्याल नहीं आया, लेकिन जब मैंने देखा कि लोग छोटी जगह में भी पौधे उगाते हैं, तो मैंने सोचा क्यों न मैं भी कुछ पौधे लगाऊं, मेरे पास तो अच्छी-खासी जगह भी है।”
उनके क्वार्टर में आगे और पीछे दोनों ओर गार्डन बना है औऱ दोनों को मिलाकर उनके पास पौधे लगाने के लिए क़रीब 5000 स्क्वायर फ़ीट की जगह है। आज पल्लवी अपने इस गार्डन में पौधे उगाने के साथ-साथ, NTPC के ही वेलफेयर स्कूल में प्रिंसिपल के तौर पर काम भी कर रही हैं।
टाइम पास के लिए शुरू की थी गार्डनिंग (House Gardening)
पल्लवी कहती हैं कि उन्होंने शुरुआत में नागपुर से ही करीब 18 गुलाब के पौधे ख़रीदे थे, जो आज भी उनके गार्डन में लगे हुए हैं। उन्होंने पहला एक साल तो मिट्टी के बारे में जानने और पौधे लगाने की तकनीक सीखने में ही बिताया।
वह कहती हैं, “यहां बस जंगली झाड़ियां ही उगी थीं, इसलिए मैंने सबसे पहले पुरानी मिट्टी हटाकर नई मिट्टी डलवाई फिर व्यवस्थित तरीके से पौधे उगाना शुरू किया।”
उन्होंने अलग-अलग भाग में क्यारियां बनाकर एक जगह फूल तो दूसरी जगह सब्जियां उगाना शुरू किया। इसके साथ-साथ उनके घर में आम, नीम सहित कुछ बड़े पेड़ भी लगे हैं। उन्होंने बताया कि इस साल आम के पेड़ पर अच्छे फल भी लगे हैं।
इसके अलावा, उनके पास गुड़हल, रजनीगंधा, जिनिया, सूरजमुखी, मॉर्निंग ग्लोरी जैसे कई मौसमी फूलों के पौधे (House Gardening) भी हैं, जिससे उनके गार्डन का नज़ारा सर्दियों में जन्नत के जैसा हो जाता है।
पल्लवी, सब्जियां तो इतनी उगाती हैं कि अब वह अपने आप को किसान ही समझने लगी हैं और हो भी क्यों न! उनके घर में हरी भिंडी, लाल भिंडी और लाल बरबट्टी, कद्दू, घिया, खीरा, करेला, तोरी, कुंदरु, लाल भाजी, बैगन, ब्रॉकली सहित तमाम मौसमी सब्जियां उगती हैं, जिन्हें वह अपने स्कूल के दूसरे टीचर्स में भी बांटती रहती हैं।
“अब पौधों के बिना जीना नामुमकिन लगता है”
एक समय था, जब पल्लवी को शहर का जीवन और सुख-सुविधाएं ज्यादा पसंद थीं। लेकिन आज उन्हें यहां पौधों के साथ सुकून से रहना ज्यादा पसंद आता है। हालांकि यह एक सरकारी क्वार्टर है, इसलिए उन्हें एक दिन इस घर को छोड़कर जाना ही होगा। लेकिन पल्लवी अपने पति से कहती रहती हैं कि वह एक ऐसे घर में ही जाना चाहती हैं, जहां उन्हें पौधे लगाने के लिए जगह मिल सके।
उनके पति की भी समय के साथ गार्डनिंग (House Gardening) में रुचि बढ़ने लगी है। पल्लवी कहती हैं, “पहले जब मैं बाहर जाती थी, तब मेरे पति पौधों में पानी भी नहीं डालते थे। लेकिन आज वह भी गार्डनिंग में काफी रुचि लेते हैं और मेरे साथ हार्वेस्टिंग से लेकर पौधों में पानी डालने जैसे हर काम में साथ देते हैं।”
उन्हें यहां आस-पास पौधों के रोपे, बीज या खाद आदि कुछ नहीं मिल पातीं, इसलिए वह सबकुछ ऑनलाइन ही मंगवाती हैं। हाल ही में उन्होंने लाल भिंडी के बीज भी ऑनलाइन खरीदकर लगाए हैं। इसके साथ वह पीछे वाले गार्डन की तरफ एक गड्ढे में कम्पोस्टिंग भी करती हैं, जहां वह किचन वेस्ट और सूखे पत्तों का इस्तेमाल करती हैं।
पल्लवी, गार्डनिंग (House Gardening) के साथ-साथ लिखने और पेटिंग बनाने में भी रुचि रखती हैं और खाली समय में अपनी इन सारी हॉबीज़ पर काम करती हैं। वह अपनी इन हॉबीज़ से जुड़ा एक यूट्यूब चैनल भी चलाती हैं। अगर आप उनके बारे में ज्यादा जानना चाहते हैं, तो उनके यूट्यूब पर विज़िट कर सकते हैं। आशा है आपको भी उनकी गार्डनिंग की कहानी पढ़कर ज़रूर अच्छा लगा होगा।
हैप्पी गार्डनिंग!
संपादनः अर्चना दुबे
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