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लाल भिंडी, ड्रैगन फ्रूट, तरबूज, स्ट्रॉबेरी समेत 30 तरह की सब्जियां उगाई छत पर

Anupama desai gardening

वह कहते है न, जब आप सच्चे दिल से कुछ चाहते हो, तो वह आपको कभी न कभी, किसी न किसी तरह से मिल ही जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ सूरत की 53 वर्षीया अनुपमा देसाई के साथ। अनुपमा को बचपन से ही पेड़-पौधों के प्रति विशेष लगाव था। लेकिन उन्हें कभी भी बागवानी करने की जगह नहीं मिली। दस साल पहले, जब उन्होंने अपना घर बनवाया, तब जाकर उन्हें बागवानी करने के लिए थोड़ी जगह मिली। हालांकि अभी भी उनके पास जमीन नहीं है, उन्होंने अपने घर के अंदर पॉट में ही तकरीबन एक हजार पौधे लगा लिए हैं।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि पौधों के बारे में सीखने और जानने के लिए इतना कुछ है, जो आप कभी भी सिर्फ पढ़कर या देखकर नहीं सीख सकते। इसके लिए आपको खुद ही प्रयोग करने होते हैं।

अनुपमा देसाई

कैसे हुआ गार्डनिंग का शौक?

अनुपमा के बचपन का ज्यादातर समय गांव में गुजरा है। चूँकि उनके मामा और नाना किसान थे और वह अक्सर वहां आया-जाया करती थीं। वहां खेतों में खेलना, पौधे लगाना, उनकी देख-रेख करने में, उन्हें बहुत मज़ा आता था। वह कहती हैं, “चूँकि मेरी माँ एक किसान की बेटी हैं, उन्हें बागवानी की अच्छी जानकारी है। हालांकि, जगह की कमी के कारण, वह भी ज्यादा कुछ उगा नहीं पाती थीं।”

शादी के बाद भी, जब अनुपमा अपार्टमेंट में रह रही थीं, तब भी कुछ न कुछ उगाती रहती थीं। वे पौधे ज्यादातर इंडोर प्लांट्स ही होते थे। कई बार इंडोर प्लांट्स भी रोशनी की कमी के कारण मर जाया करते थे। इससे अनुपमा को बड़ा दुःख होता था। उनके हरे-भरे पेड़ पौधे लगाने का शौक तब पूरा हुआ, जब उन्होंने सूरत में अपना घर बनवाया। वह कहती हैं कि चूँकि मेरा घर, पूरब-पश्चिम दिशा की ओर है। इसलिए घर की छत पर पूरे दिन धूप रहती है। इसी वजह से उन्होंने छत पर बागवानी करने की सोची। उन्होंने गुलाब और मनी प्लांट जैसे पौधों से शुरुआत की। बाद में उनकी माँ से ही जानकारी लेकर, उन्होंने सब्जियां उगाना शुरू किया। वह बताती हैं, “अक्सर घर में जो भी सब्जियां आतीं, फिर चाहे वह करेला हो या भिंडी सबके बीज मैं गमले में डालने लगी। जब उनमें से पौधे निकलते तो मुझे बेहद खुशी मिलती।”

एक से एक हजार पौधे तक 

अनुपमा घर में पड़े हर बेकार डिब्बे में कुछ न कुछ उगाती रहती हैं। फिर चाहे वह दो इंच की डिब्बी ही क्यों न हो। इधर-उधर से पूछकर बीज लाकर, उन्होंने सब्जियां और फल लगाने शुरू किए। गमलों में लगने के कारण फलों की मात्रा कम होती है, लेकिन स्वाद बेहद ही अच्छा होता था। वह कहती हैं, “कई सब्जियां ऐसी थीं, जो मेरे बच्चे कभी नहीं खाते थे, लेकिन वही सब्जियां जब घर में उगीं, तो वे बड़े चाव से खाने लगे।” 

उनके घरवालों को अब तुरंत ही घर की और बाजार की सब्जियों व फलों के स्वाद में फर्क महसूस हो जाता है। कभी-कभी किसी विशेष कीट, पौधों के रोग या जब पौधों में मनचाही उत्पादकता नहीं होती थी, तो वह काफी परेशान भी हो जाती थीं। तभी उन्हें पता चला कि सूरत में नवसारी कृषि यूनिवर्सिटी द्वारा चार दिन की टेरेस गार्डनिंग की वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने इस वर्कशॉप में भाग लिया। जिससे उन्हें पोटिंग मिक्स बनाने, बीज लगाने, या फिर मिट्टी तैयार करने की कई जानकारियां मिली। 

वह कहती हैं, “वर्कशॉप का बहुत फायदा हुआ। हालांकि, जब तक आप सभी सीखी हुई चीजों को खुद नहीं आजमाते, तब तक आप सही मायने में सीख नहीं पाते। कौनसे पौधे की क्या प्रकृति है, इसका ज्ञान मुझे अपने अनुभव से ही मिला।” 

कई एक्ज़ॉटिक सब्जियां और फल उगते हैं इस छत पर 

चूँकि उनके तीनों बच्चे अब बड़े हो गए हैं, इसलिए वह अपना ज्यादातर समय बागवानी को ही देती हैं। उनके बच्चे भी समय-समय पर उनका हाथ बंटाते हैं, लेकिन पढ़ाई के कारण वह ज्यादा समय नहीं दे पाते। वह कहती हैं, “बच्चों को हार्वेस्टिंग करना, गमले में मिट्टी डालना या घर में पड़े बेकार डिब्बों को पेंट करके सुंदर पॉट तैयार करने जैसे काम करने में मज़ा आता है। साथ ही, इसी बहाने वह थोड़ी देर प्रकृति के साथ समय भी बिता पाते हैं।”

इनकी छत पर ड्रैगन फ्रूट, पोलो मिंट पत्तियां, स्टार फ्रूट, स्ट्रॉबेरी, तरबूज, अंजीर और लाल भिड़ी सहित 30 प्रकार की सब्जियां सीजन के अनुसार उगती हैं। इसके अलावा उन्हें हर्ब, डेकोरेटिव पौधे और कैक्टस के पौधे लगाना भी पसंद है। 

पिछले साल कोरोना के समय, कई लोग टेरेस गार्डनिंग सीखने के लिए उनके पास आए। वह अपने ही घर में टेरेस गार्डनिंग की वर्कशॉप लेती हैं। साथ ही, लोगों को जरूरत के हिसाब से पौधे भी मुहैया कराती हैं। 

अनुपमा के गार्डनिंग टिप्स 

Soil Sterilization

अंत में अनुपमा कहती हैं कि पौधों की देखभाल और रख-रखाव में समय बिताना उनके लिए मेडिटेशन के सामान है। वहीं, इससे उनके परिवार को ऑर्गेनिक सब्जियां भी खाने को मिलती हैं,  यानी फायदा ही फायदा। 

आपके मन में भी टेरेस गार्डेनिंग से जुड़ा कोई सवाल हो या आप उनसे किसी तरह की राय लेना चाहते हों, तो उनके इस नंबर 9427111881 पर संपर्क कर सकते हैं। 

हैप्पी गार्डनिंग

संपादनः अर्चना दूबे

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