छाता, रेनकोट और पकौड़े… आपने तो बारिश के मौसम की तैयारी कर ही ली होगी। लेकिन क्या आपका गार्डन भी मानसून की बौछार के लिए तैयार है? एक्सपर्ट कहते हैं कि इस मौसम में पौधों की ग्रोथ प्राकृतिक तरीके से होती है। इतना ही नहीं तेज हवा से कई जड़ी-बूटियों के बीज भी गार्डन में आ जाते हैं और यही कारण है कि गार्डन में कई तरह के नए-नए पौधे भी उग जाते हैं।
बारिश के मौसम में अगर ठीक से ध्यान न रखा जाए, तो यह मौसम हरियाली के साथ कई तरह के जीव -जंतु भी अपने साथ लाता है। जो कभी-कभी पौधों को ख़राब कर देते हैं। लेकिन अगर कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें, तो बारिश में भी गार्डन की देखभाल अच्छे से की जा सकती है।
कोरबा में अपने सरकारी क्वार्टर में बागवानी करनेवाली पल्लवी आचार्य कहती हैं कि इस मौसम में कटिंग के ज़रिए एक पौधे को ढेरों पौधों में बदलने में आसानी से बदला जा सकता है। लेकिन कई बार ज्यादा बारिश से पौधे ख़राब भी हो जाते हैं, इसलिए इस समय गार्डन में विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।
तो चलिए जानें, बारिश में गार्डन और पौधों की देखभाल से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें
1. बारिश शुरू होने से पहले पौधों के नीचे वाले पत्तों को साफ कर दें।
2. बारिश के मौसम में गमलों के ऊपर तक आप 3 भाग मिट्टी और 1 भाग गोबर खाद को मिलाकर भर दें। गमले के ऊपरी भाग को खाली छोड़ने से उसमें पानी भर जाएगा और पौधे ख़राब हो जायेगे।
3. 10 दिन के अंतराल में पौधों में फंगीसाइड स्प्रे करें। इससे फंगस के आक्रमण से पौधे बचेंगे। 10 से15 दिन के अंतराल में नीम ऑयल भी सारे पौधों में डालें, इससे बरसात में होने वाले बहुत सारे कीड़े-मकोड़ों से पौधे बचेंगे।
4. इस मौसम में पौधों की ट्रिमिंग कर सकते हैं, जिससे थोड़े दिनों में नए पत्ते आने शुरू हो जाएंगे और पौधों को कोई नुकसान नहीं होगा।
5. बरसात में मिट्टी में अधिक नमी रहती है, जब तक मिट्टी न सूखे पानी न डालें। पानी तभी डालें, जब ज़रूरत हो, ज्यादा पानी पौधों के लिए नुकसानदायक होता है।
6. केमिस्ट के दुकान से हाइड्रोजन परॉक्साइड लाएं। उसे 15 दिन के अंतराल में स्प्रे करें, इससे अगर कोई बैक्टीरिया, कीड़े होंगे तो पौधों को उनसे बचाया जा सकेगा।
7. प्लांट्स को शिफ्ट करते रहें और गमलों में या जमीन में पानी भरने न दें।
8. अगर आपके घर में क्यारी बनी है या नीचे का गार्डन है, तो जहां पानी एक धार में पड़ता हो, वहां कोई पत्थर लगा दें ताकि पानी मिट्टी में डायरेक्ट न पड़ें।
9. बरसात का पानी अमृत है, लेकिन अगर ज्यादा बरसात हो, तो पौधों के ऊपर शीट लगाएं, ताकि पौधों की जड़ गलने न लगे।
10. हर एक पौधे को चेक करते रहें। कभी-कभी एक झुंड में पौधे रखे रहते हैं, हमें लगता है पानी सभी में पड़ा होगा पर कोई एक पौधा नीचे दबा रह गया होता है, जिसे बारिश का पानी न मिला हो और फिर वह सूख जाएगा। अधिकतर यह गलती बारिश में हो जाती है।
11. पानी ज्यादा होने के कारण ड्रेनेज होल गमलों के बंद हो जाते हैं। उन होल्स में मिट्टी जम जाती है, गमलों से मिट्टी निकल नहीं पाती, जिससे जड़ सड़ने या गलने लग जाती है। इसलिए गमलों के ड्रेनेज होल्स नीचे से चेक ज़रूर करें।
12. गमलों के नीचे अगर प्लेट्स लगाई हों, तो उन्हें रोजाना क्लीन करें, उसमें पानी भरने न दें। आप इस वक्त प्लेट्स को हटा दीजिए या तो आप रोजाना क्लीन रखिए।
13. बरसात, रिपॉटिंग करने का बेस्ट टाइम है, जिन पौधों की जड़ों से गमला भर गया हो उसे इसी मौसम में बड़े गमले में ट्रांसफर कर सकते हैं।
14. इस वक्त पौधों की कटिंग कर सकते हैं, उन्हें कोई शेप दे सकते हैं, जो साल भर चलेगा। यह समय हार्ड प्रूनिंग के लिए भी सही है। यानी जो मोटी सख्त टहनियां हैं, उन्हें काट सकते हैं। छोटे गार्डन में सॉफ्ट प्रुनिंग भी कर सकते हैं, यानी उसके छोटे पतियों को कटकर अच्छे से शेप दे सकते है।
15. यूं तो इस मौसम में पौधे अच्छे बढ़ते हैं, लेकिन 15 दिन के अंतराल में आप 1 स्पून बोनमील, नीमखली, गोबर खाद मिलाकर हर गमले में जड़ों से डाल सकते हैं। पौधों के लिए बारिश के साथ-साथ, खाद सोने पे सुहागा होगा।
16. तेज़ हवा या तूफान के समय में पौधे में सपोर्ट दे दें। तेज़ हवा में स्टेम टूटने का डर रहता है। पौधों को रस्सी या लकड़ी आदि से सहारा दें, जिससे पौधों के टूटने से डर नहीं रहेगा।
17. अगर आपके गमले छत पर नीचे रखे हैं, तो उन्हें किसी स्टैंड पर शिफ्ट कर दें। इससे पानी भी नहीं जमेगा और गार्डन को नया लुक भी मिल जाएगा।
तो देखा आपने कैसे बारिश के मौसम का सही इस्तेमाल करके आप अपने गार्डन की खूबसूरती में चार चाँद लगा सकते हैं। बस पल्लवी की बताई इन जरुरी बातों का ध्यान रखें। ढेर सारे नए पौधे लगाएं और ज्यादा से ज्यादा हरियाली फैलाने की कोशिश करें। आप बारिश के समय कटिंग से नए पौधे प्रोपोगेट करके अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को तोहफे में भी दे सकते हैं।
हैप्पी गार्डनिंग!
हैप्पी मानसून!
संपादनः अर्चना दुबे
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