चार साल पहले जब शशि मनचंदा, दिल्ली से गुरुग्राम शिफ्ट हुईं तो उन्हें तक़रीबन 1000 स्क्वायर फ़ीट की छत वाला घर मिला, जहाँ वह अपने गार्डनिंग के शौक़ को दिल खोलकर पूरा कर सकती थीं। हालांकि, पेड़-पौधे तो वह हमेशा से उगाती रही थीं। लेकिन सब्जियां उगाना उन्होंने साल 2019 से शुरू किया, लेकिन पहले उन्होंने खाद बनाना सीखा।
दरअसल, खाद बनाना सीखते समय ही उन्हें सब्जियां उगाने की जानकारी मिली और अब तो वह इतनी ज़्यादा सब्जियां उगाती हैं कि उनके परिवार को हफ्ते में तीन-चार दिन आराम से छत पर उगीं ताज़ी और केमिकल फ्री सब्ज़ियां मिल जाती हैं।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह बताती हैं, “किसी भी दूसरी स्किल की तरह ही गार्डनिंग भी एक कला है, जिसे आप वक़्त के साथ सीखते हैं। ऐसे में अगर एक्सपर्ट से सीखकर शुरुआत की जाए, तो गार्डनिंग की कई समस्याएं अपने आप दूर हो जाती हैं।”
दरअसल, हुआ यूं कि कुछ साल पहले शशि ने अपने घर के गीले कचरे से खाद बनाने का प्रयोग शुरू किया था। लेकिन वह इसमें ज़्यादा सफल नहीं हुईं। वह अपने घर के गीले कचरे का बढिया इस्तेमाल करना चाहती थीं। इसी दौरान उन्हें वेस्ट मैनेजमेंट की एक वर्कशॉप का पता चला, जिसके बाद उन्होंने 65 की उम्र में, दिल्ली के दौलत राम कॉलेज में जाकर वर्कशॉप में भाग लिया और गीले कचरे से खाद बनाना सीखा।
गार्डनिंग कोर्स का हुआ फायदा
वह बताती हैं, “गार्डनिंग की शुरुआत खाद बनाने से ही होती है और खाद के साथ-साथ मुझे सब्जियां उगाने की जानकारी भी मिली। वहां हमारा एक अच्छा गार्डनिंग ग्रुप भी बन गया।”
वह बताती हैं कि गार्डन में सब्जियां तो कई लोग उगाते हैं, लेकिन जब मैं किसी से पूछती थी, तो पता चलता था कि कुछ एक दो टमाटर और दो तीन भिंडी ही उगती हैं। वर्कशॉप के ज़रिए सही समय पर, सही खाद या सही सब्जियां उगाने की जानकारी और तकनीक का पता चला, जिससे उत्पादन काफी अच्छा होता है।
इसके अलावा कीटों की समस्या से बचाव का भी सही समाधान एक्सपर्ट से मिल जाता है।
68 की उम्र में खाद भी बनाती हैं और सब्जियां भी उगाती हैं
आज शशि को ग्रो बैग्स में सब्ज़ियां उगाकर हर मौसम में दो बार फसल मिलती है। उनके घर में लौकी, तुरई, ककड़ी, भिंडी और बैगन सहित ढेरों सब्जियां उगती हैं।
शशि बताती हैं कि परिवार के लिए ऑर्गेनिक सब्जियां उगाने और खिलाने से उन्हें बेहद संतुष्टि मिलती है। इसके अलावा, वह अपने छत पर अच्छी बायो-डायवर्सिटी बनाने के लिए फूल-फल और सजावटी पौधे भी उगाती हैं।
शशि अपने गार्डनिंग ग्रुप के ज़रिए सभी को वेस्ट मैनेजमेंट के लिए प्रेरित करती हैं। उनका मानना है कि हम सभी को अपने घर से निकलने वाले गीले कचरे और सूखे कचरे को सही तरह से रीसायकल करना चाहिए।
तो अगर 68 की उम्र में शशि अपने परिवार के लिए ऑर्गेनिक सब्जियां उगा सकती हैं, तो हर कोई कर सकता है। आप भी सब्जियां उगाने में सफल नहीं हो पा रहे, तो एक सही ट्रेनिंग के साथ आप अपने घर में अच्छी सब्जियां और फल उगा सकते हैं। इसके साथ गीले कचरे का इस्तेमाल करके अच्छी जैविक खाद भी बना सकते हैं।
हैप्पी गार्डनिंग!!
संपादन- अर्चना दुबे
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