कुछ लोगों के लिए बागवानी सिर्फ कोई शौक या जरूरत नहीं बल्कि उनकी आदत होती है। क्योंकि वे कहीं भी जाये या रहें, यह आदत उनके साथ-साथ चलती है। मूल रूप से जबलपुर से संबंध रखने वाली आभा पांडेय का भी कुछ यही हाल है। बचपन से ही हरियाली और पेड़-पौधों के बीच पली-बढ़ी आभा ने शायद ही कभी कोई वक़्त बिना पेड़-पौधों के बिताया हो। वह जहां भी जाती हैं या रहती हैं, सबसे पहले अपने पौधों के लिए जगह तलाशती हैं। अब जगह छोटी हो या बड़ी, वह उसी में अपना बगीचा लगाना शुरू कर देती हैं।
कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करने वाली आभा फ़िलहाल एक कंपनी में बतौर मार्केटिंग मैनेजर काम कर रही हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, “मैं किसान परिवार से हूं। मेरे दादाजी खेती किया करते थे। मैंने अपने पापा को भी हमेशा घर में बागवानी करते हुए देखा। हमारे घर में मम्मी को फूल के पौधे लगाने का शौक है तो पापा को साग-सब्जियां लगाने का। और मुझे सब कुछ ही उगाना बहुत पसंद है। स्कूल की पढ़ाई के बाद मैंने इंजीनियरिंग की और फिर चेन्नई में अपनी पहली नौकरी की। लेकिन हर जगह मैं हरियाली तलाशती रही।”
साल 2016 में आभा गुरुग्राम आई और यहां पर एक घर में किराये पर रहने लगी। उनके लिए अच्छी बात यह हुई कि जिस घर में वह रहती थीं, वहां मकान मालिक को भी बागवानी का शौक था। उन्होंने अपने आंगन में पेड़-पौधे लगाए हुए थे। आभा कहती हैं कि वह फर्स्ट फ्लोर पर रहती थीं और इसलिए उन्होंने अपने मकान मालिक से कहकर छत पर भी बागवानी की शुरुआत कर दी। “यहां मेरी बागवानी की शुरुआत उधार के तीन गमलों से हुई थी और इसके बाद मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बीच में कई बार पेड़-पौधे घटे-बढ़े लेकिन हमेशा मेरी जीवनशैली का हिस्सा रहे,” वह कहती हैं।
किराए के घर में लगाया बगीचा
साल 2019 में शादी के बाद वह अपने पति के साथ गुरुग्राम में ही दूसरी जगह शिफ्ट हो गयी। घर या शहर शिफ्ट करना किसी के लिए भी आसान नहीं होता है। इस कारण बहुत से लोग बागवानी जैसी चीजें भी नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि शिफ्टिंग में परेशानी होगी। लेकिन आभा का कहना है कि जिस तरह आप बाकी जरुरी सामान शिफ्ट करते हैं, वैसे ही आप पेड़-पौधों को भी शिफ्ट कर सकते हैं। यह कोई बड़ी समस्या नहीं है जिसका हल न निकाला जा सके। “हमने जो घर लिया उसमें पहले ही देख लिया था कि बागवानी की जगह है या नहीं। फिर जैसे ही हमने शिफ्ट किया, मैंने फिर से बागवानी शुरू कर दी,” आभा ने बताया।
वह कहती हैं कि अब तक वह अलग-अलग मौसम में 21 तरह की सब्जियां, 33 तरह के फूलों के पौधों के साथ औषधीय और फलों के पेड़ भी लगा चुकी हैं। उन्होंने घर के सामने खाली पड़े आंगन, छत और इंडोर भी ढेरों पेड़-पौधे लगाए। उन्होंने अपने घर के खाली और बेकार पड़े चीजों में भी पेड़-पौधे लगाए हैं। जैसे उन्होंने बाथटब, बाल्टी, डिब्बों जैसे लगभग 28 आइटम को बागवानी के लिए इस्तेमाल किया है। उनके लगाए पेड़-पौधों में पुदीना, मीठी नीम के साथ-साथ बीन्स, गोभी, बैंगन जैसी सब्जियों के साथ संतरा, पपीता जैसे फलों के पेड़ भी शामिल हैं।
“सामान्य फूल और सब्जियों के साथ-साथ मैं हमेशा कुछ अलग करने की कोशिश करती रहती हूं। जैसे पिछले साल मैंने स्ट्रॉबेरी और अंगूर लगाए थे। साथ ही, कुछ इंडोर पौधों में भी हाथ आजमाया। जब आप घर में पेड़-पौधे लगते हैं तो प्रकृति के अलग-अलग रंग आपको देखने को मिलते हैं। जैसे मेरे बगीचे में तितलियां, मधुमक्खियां और कई तरह के पक्षी आते हैं। लोगों के लिए यह बहुत ही हैरानी की बात हो जाती है कि गुरुग्राम जैसी जगह पर किसी के घर में पक्षियों की आवाज आप सुन पा रहे हैं,” उन्होंने बताया।
डंपयार्ड को बनाया ग्रीनयार्ड
दिलचस्प बात यह है कि पौधे लगाने का आभा का शौक सिर्फ अपने घर तक सीमित नहीं है। बल्कि अपने घर के आसपास उन्हें जो खाली जगह दिख जाती है, उसे वह हरियाली से भरना शुरू कर देती हैं। घर के समीप स्थित एक पार्क में जब उन्होंने देखा कि काफी कचरा फेंका हुआ है तब अपने आसपास के लोगों से बात करने की कोशिश की। सबके पास शिकायतें तो थी लेकिन कोई भी समाधान नहीं ढूंढ़ना चाहता था।
ऐसे में उन्होंने खुद नगर निगम के कर्मचारियों से कहकर उस कचरे को साफ़ कराया। लेकिन कुछ दिनों बाद उन्होंने देखा कि लोगों ने फिर से उस जगह पर कचरा डालना शुरू कर दिया है। आभा कहती हैं, “मैंने तय किया कि इस बार सिर्फ सफाई से काम नहीं चलेगा बल्कि कुछ ऐसा करना होगा, जिससे कि लोग इस जगह पर कचरा न फेंक सकें। इसके लिए मैंने उस जगह को साफ़ करने के बाद कुछ पेड़-पौधे लगा दिए। नियमित रूप से देखभाल करने से ये पौधे बढ़ने लगे। अब जब लोगों ने पौधों को बढ़ते देखा तो कचरा फेंकना बंद कर दिया।”
धीरे-धीरे सोसाइटी के अन्य लोग भी आभा की इस मुहिम से जुड़ने लगे। उन्होंने बताया, “मैंने उस जगह पर गेंदे के फूल लगाए थे और जब ये खिलने लगे तो लोगों को भी अच्छा लगा। इसके बाद उन्होंने भी इस कम्युनिटी पार्क की देख-रेख में भाग लेना शुरू कर दिया। हमने पार्क की दूसरी खाली जगहों पर भी फूलों के और फलों के पौधे लगाना शुरू किया। सबसे पहले मैंने अपने बगीचे में तैयार मीठी नीम, पपीता के पौधे पार्क में लगाए और फिर हमने आसपास के घरों से कुछ केले के पौधे लेकर लगाए।”
एक बार उन्होंने इस कम्युनिटी पार्क में कुछ सूरजमुखी के बीज डाल दिए थे और जब ये पौधे बड़े हुए तो पार्क की खूबसूरती का कोई ठिकाना नहीं रहा। आभा कहती हैं कि बागवानी के लिए आपको बहुत मेहनत या पैसे लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। आपका दिल बस ऐसा होना चाहिए कि जहां खाली जगह दिखे, वहां हरियाली भरने का मन करे।
“आने वाले कुछ दिनों में हम भोपाल में बसने वाले हैं। लेकिन वहां के लिए भी मेरे बगीचे का प्लान तैयार है। इसलिए अब मैंने अपने बगीचे के बहुत से पौधे उन लोगों को दे दिए हैं, जिन पर मुझे विश्वास है कि वे पौधों का अच्छा ख्याल रखेंगे। कुछ पौधों को हम साथ लेकर जायेंगे और घर में शिफ्ट होते ही मैं फिर से बागवानी शुरू कर दूंगी। क्योंकि मेरे लिए बागवानी मेरे जीवन के बाकी जरुरी कामों की तरह ही है,” आभा ने कहा।
बागवानी के टिप्स
बागवानी शुरू करने की चाह रखने वाले लोगों के लिए आभा कहती हैं कि अक्सर लोगों को इंडोर या कठिन पौधों से शुरुआत करने की सलाह दी जाती है। लेकिन वह कुछ अलग मानती हैं। उनका मानना है कि अगर किसी को भी बागवानी की शुरुआत करनी है तो अपने घर की ऐसी जगह देखें जहां धूप आती हो। इस जगह वे किसी फूल के पौधे जैसे गेंदे से शुरुआत करें। जरुरी नहीं कि आप नर्सरी से कोई महंगे गमले लाये या पौधे खरीदें। आप अपने घर में ही पड़े किसी पुराने डिब्बे या किसी बर्तन से भी प्लांटर बना सकते हैं।
- इसमें अच्छी मिट्टी डालें। जैसे आप सामान्य मिट्टी में कोई खाद या कोकोपीट मिला सकते हैं।
- इसमें कोई भी आसान सा फूलों का पौधा जैसे गेंदा लगा दें। वह कहती हैं कि गेंदे के पौधे का विकास लोगों को दिखता है। जब पौधा बढ़ेगा और इसमें कलियां आएंगी तो लोगों का खुद पर विश्वास बढ़ता है।
- धीरे-धीरे अपने बगीचे को बढ़ाएं। इससे आपको बगीचे की देखभाल की आदत होने लगेगी।
- अक्सर लोगों को लगता है कि बागवानी में बहुत समय जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है। आप सुबह और शाम में एक-एक घंटा भी समय देंगे तो यह पर्याप्त है।
आभा कहती हैं, “बगीचे के लिए फूल लगाना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि फूल होने से ज्यादा जीव आते हैं जो पोलीनेशन में मदद करते हैं। साथ ही, फूल अगर बगीचे में रहते हैं तो कीटों से आपकी सब्जियां बची रहती हैं। इसलिए हमेशा पहले फूलों से शुरुआत करें और फिर सब्जियां लगाएं।” आप आभा से संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें इंस्टाग्राम पर फॉलो कर सकते हैं।
संपादन- जी एन झा
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