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#गार्डनगिरी: पहली बार पेड़-पौधे लगा रहे लोगों के लिए एक्सपर्ट की सलाह!

रियाणा के सोनीपत में रहने वाले राजेंद्र सिंह का टेरेस गार्डन, ‘बेस्ट आउट ऑफ़ वेस्ट’ का एक बेहतरीन उदहारण है। उनके गार्डन में छोटे-बड़े 2000 गमले हैं, जिनमें लगभग 400 किस्म के पेड़-पौधे लगे हुए हैं। उन्होंने बेकार पड़ी चीजें जैसे पुराने टायर, प्लास्टिक की बोतल, डिब्बे और टूटी टाइल्स का इस्तेमाल करके 100 से भी ज्यादा गमले बनाए हैं।

इसके अलावा, अपने गार्डन को खूबसूरत और हरा-भरा रखने के लिए वह और भी बहुत से रचनात्मक तरीके अपनाते हैं। द बेटर इंडिया ने उनसे गार्डनिंग पर खास बातचीत की और उनसे जाना कि अगर किसी को अपने घर में गार्डनिंग शुरू करनी है तो कैसे कर सकते हैं।

वैसे भी देश में कोरोना वायरस की वजह से सभी नागरिकों को घरों में रहने के दिशा-निर्देश मिले हैं। नौकरी-पेशे वाले अधिकतर लोगों को भी घर पर रहकर ही काम करना है। इसलिए लोगों के पास इस समय को किसी अच्छे काम में लगाने के लिए यह अच्छा मौका है।

Rajendra Singh

राजेंद्र सिंह से हमारी बातचीत के कुछ अंश आप यहाँ पढ़ें:

1. अगर कोई अपना गार्डन/बगीचा लगाना चाहता है तो उसे सबसे पहले क्या करना चाहिए?

राजेंद्र सिंह: सबसे पहली और ज़रूरी बात है कि आपको गार्डनिंग करना पसंद है या नहीं, ये तय करें। ज़रूरी नहीं कि गार्डनिंग से आपको कोई आर्थिक लाभ मिले, लेकिन इसका सकारात्मक प्रभाव ज़रूर है। पेड़-पौधे लगाने से आपको अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में काफी मदद मिलती है, चाहे वह शारीरिक हो या फिर मानसिक।

मेरा एक फेसबुक गार्डनिंग ग्रुप (44000 सदस्य) है और इसके एक सर्वे के मुताबिक, लगभग 70% लोगों को गार्डनिंग करने से मानसिक तनाव को कम करने में मदद मिली है। कुछ लोग कहते हैं कि गार्डनिंग उनके लिए ध्यान (Meditation) करने की तरह है।

शहरों में आजकल जगह कम होती जा रही है, ज़रूरी नहीं कि आपके घर में पेड़-पौधे लगाने के लिए खाली जगह हो। इसलिए आप बालकनी में या फिर छत पर पेड़-पौधे लगा सकते हैं।

Some plants of his terrace garden

सबसे पहले तो आप यह तय करें कि आप किचन गार्डनिंग करना चाहते हैं या फिर टेरेस गार्डनिंग। दूसरा, तय करें कि आपको किस तरह के पेड़-पौधे लगाने हैं, फूलों के या सिर्फ पत्तेदार पेड़ या फिर फल-सब्ज़ियाँ। आप अपनी पसंद उपलब्ध साधनों के हिसाब से तय कर सकते हैं।

पेड़ों के लिए जगह तय करने के बाद आप गमलों पर ध्यान दें। पेड़ लगाने के लिए पहले से ही तैयार ग्रो बैग भी आजकल उपलब्ध हैं।

2. अगर कोई पहली बार गार्डनिंग कर रहा है तो उन्हें किस तरह के पेड़-पौधे लगाने चाहिए?

राजेंद्र सिंह: शुरुआत में आपको ऐसे पेड़-पौधे लगाने चाहिए, जिन्हें कम देखभाल की ज़रूरत होती है। आप पीस लिली, स्पाइडर प्लांट, डेविल्स बैकबोन, बौगेनवेलिया, तुलसी और गुलाब जैसे पौधे लगा सकते हैं। किचन गार्डन के लिए आप बीन्स, शलगम, मूली, लेटिष, और मेथी उगा सकते हैं। इससे आपको हर दिन ताज़ी सब्ज़ी मिलेगी। आप प्याज और लहसुन भी लगा सकते हैं।

खरीफ के मौसम में आप लौकी और भिंडी आसानी से उगा सकते हैं। इस मौसम में नमी होती है, इसलिए अपनी सब्ज़ियों को कीटों से बचा कर रखें। इसके लिए आप घर पर ही जैविक पेस्टीसाइड बना सकते हैं।

3. गार्डनिंग के लिए मिट्टी कैसे तैयार करें?

राजेंद्र सिंह: जहाँ तक बागवानी के लिए मिट्टी तैयार करने का सवाल है, तो यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कौन-से पौधे बो रहें हैं। किचन गार्डनिंग के लिए आप बगीचे की मिट्टी, नदी की रेत और गोबर की खाद को मिलाकर उपजाऊ मिश्रण तैयार कर सकते हैं। याद रखें कि इन तीनों को बराबर मात्रा में मिलाएं। इस मिश्रण में आप एक चम्मच एनपीके (नाइट्रोजन-फॉस्फोरस-पोटासियम) भी मिला सकते हैं। अगर गोबर की खाद उपलब्ध न हो तो आप वर्मीकंपोस्ट मिलाएं, लेकिन इसकी मात्रा थोड़ी कम रखें।

4. अगर हम छत पर पेड़-पौधे लगा रहे हैं तो क्या इससे हमारी छत में लीकेज हो सकता है या फिर किसी भी तरह से यह खराब हो सकती है?

राजेंद्र सिंह: मैं अपने अनुभव से बात करूँ तो अगर आप गमलों में पेड़-पौधे लगा रहे हैं या फिर ग्रो किट्स इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपकी छत को कोई नुकसान नहीं होगा। लेकिन, अगर आप बिना गमलों के सीधा छत पर मिट्टी डालकर पेड़ लगा रहे हैं, तो ऐसे में आपको किसी एक्सपर्ट से सलाह-मशवरा करके छत को वाटरप्रूफ करवाना चाहिए।

साथ ही, अगर आपके गमले बहुत भारी हैं तो कोशिश करें कि आप इन गमलों को उस जगह पर रखें, जहां छत को नीचे से दीवारों का सपोर्ट मिल रहा है। ऐसा करने से आपकी छत पर कोई भार नहीं होगा।

5. गार्डनिंग करने के कुछ आसान और कम लागत के तरीके क्या हैं?

राजेंद्र सिंह: गार्डनिंग में आपको बहुत ज्यादा पैसे खर्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। सबसे पहले, अगर हम गमलों की बात करें तो आपको किफायती दाम में भी आसानी से गमले मिल जाएंगे। साथ ही, आप खुद अपने घर की चीजों को भी पेड़-पौधें लगाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

आपको बस थोड़ा-सा हटके सोचना है और फिर आपको हर बेकार पड़ी चीज में कोई न कोई नई काम की चीज नज़र आएगी। आप बेकार पड़ी प्लास्टिक की बोतलों को छोटे-छोटे गमलों की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। पुराने टायरों को बड़े गमलों का रूप दे सकते हैं। PVC पाइप, टूटी टाइल्स, पुरानी बेकार बाल्टी, जैसी चीजों को आप आसानी से अपने गार्डन के लिए उपयोग में ला सकते हैं।

Planters made from plastic bottles, containers and Tyres

इसके बाद बात आती है बीजों की। इस पर बस एक बार ही पैसे खर्च करने हैं। फिर आप अच्छे से फल- फूल और सब्ज़ियां उगाइए। उपज आने के बाद कुछ फल और सब्ज़ियों को थोड़ा ज़्यादा पकने दें ताकि इनके बीजों को आप सहेज सके। अगर हर मौसम में आप यह करेंगे तो आपको बार-बार बीज खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

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इसके अलावा, आप घर में ही किचन से निकलने वाले गीले कचरे जैसे सब्जियों या फलों के छिलके या फिर बचा हुआ खाना मिलाकर खाद बना सकते हैं। आपको बाहर से कुछ भी खरीदने की ज़रूरत नहीं है।

6. पौधों को पानी देने के कुछ ऐसे तरीके, जिससे कि पानी बर्बाद न हो?

राजेंद्र सिंह: दिन-प्रतिदिन हो रही पानी की किल्लत को देखते हुए, यह बहुत ज़रूरी है कि हम ज्यादा से ज्यादा पानी बचाएं। इसलिए पेड़-पौधों को पानी देते समय भी हम ऐसे तरीके अपना सकते हैं, जिससे कि पानी बर्बाद न हो।

अगर हम एक साथ पानी पेड़ों में डाल देते हैं तो वह मिट्टी के सोखने से पहले ही भाप बन जाता है। इससे पेड़ों को बार-बार पानी देने की ज़रूरत पड़ती है। इस समस्या से बचने के लिए कुछ #DIY (Do It Yourself) तरीके आप अपना सकते हैं।

सबसे पहले आप कोई बेकार पड़ी प्लास्टिक की बोतल लें, इसे अच्छे से साफ़ करें। अब इसके ढक्कन में दो-तीन छेद करें और इसके निचले भाग को काट लें। अब इसे उल्टा करके पेड़ों के पास मिट्टी में हल्का-सा गाड़ दें और इसमें पानी भर दें। यह पेड़-पौधों को पानी देने का सबसे अच्छा तरीका है क्योंकि इससे धीमे-धीमे पानी सीधा पौधों की जड़ों में पहुंचेगा और मिट्टी में नमी भी बनी रहेगी।

#DIY to water the plants

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दूसरा #DIY है कि आप एक पाइप लें और इसका एक सिरा नल से लगाएं। दूसरे सिरे के मुंह को एक प्लास्टिक की बोतल में डालें। अब इसे टेप से चिपका दें और इस बोतल में में छोटे-छोटे छेद कर लें और नल खोल दें। पौधों को पानी देने के लिए आपका स्प्रिंकल सिस्टम तैयार है।

Bottle Sprinkler System

7. गार्डनिंग शुरू करने का सबसे बेहतर समय कौन-सा है?

राजेंद्र सिंह: गार्डनिंग शुरू करने का सबसे अच्छा समय है 15 जनवरी-15 फरवरी और 15 जुलाई- 15 अगस्त के बीच का समय। यह सबसे अच्छा मौसम होता है जब आप पेड़ लगा सकते हैं या फिर पेड़ों के गमले बदल सकते हैं। 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच बोए गये पौधों में अगर कोई खराबी भी हो, तब भी वे विकसित हो जाते हैं क्योंकि इस वक़्त हवा में नमी रहती है।

अगर आपको ग्राफ्टिंग और ट्रांसप्लांटेशन करना है तो अप्रैल और मई का महीना सबसे बेहतर रहता है।

8. पेड़-पौधों की देखभाल कैसे करें, कब पानी दें और कितनी धूप उनके लिए ज़रूरी है?

राजेंद्र सिंह: पानी देने के तरीके तो मैंने आपको पहले ही बता दिए हैं। इसके अलावा, धूप की बात करें तो यह पेड़ों पर निर्भर करता है कि उन्हें कितनी धूप चाहिए। जैसे सब्ज़ियों को अच्छी धूप की ज़रूरत होती है। वहीं कुछ पौधे जैसे पीस लिली, फ़र्न आदि को छांव में रखा जाता है। इन पर सीधी धूप नहीं पड़नी चाहिए।

9. कोई घरेलू नुस्खा बताइए जिससे पेड़-पौधों को पोषण दिया जा सकता है?

राजेंद्र सिंह: घरेलू नुस्खों की बात करें तो आप अंडे के छिलके, चाय की पत्तियां, केले के पत्ते आदि मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आपको कीटों से पेड़ों को बचाना है तो आप शैम्पू और पानी का घोल पेड़ों पर स्प्रे करें।

हल्दी को पानी में घोलकर पेड़ों पर स्प्रे करने से इनमें फंगस/फंफूद नहीं लगती।

10. अंत में, हमारे पाठकों के लिए कुछ ज़रूरी टिप्स!

राजेंद्र सिंह: जो लोग पहली बार गार्डनिंग कर रहे हैं, उनसे मैं यही कहना चाहूँगा कि सबसे पहले आप इस बारे में पढ़ें। आजकल गार्डनिंग के बारे में बहुत-से युट्यूब चैनल हैं, आप वहां से भी जानकारी ले सकते हैं। कोई भी पेड़-पौधों के मामले में सबकुछ नहीं जानता है, सब अपने अनुभवों से सीखते हैं। इसलिए शुरुआत करें और सीखते रहें!

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राजेंद्र सिंह से जुड़ने के लिए आप उनका फेसबुक ग्रुप, ‘Terrace Gardening Tips’ जॉइन कर सकते हैं और समय-समय पर उनसे सलाह ले सकते हैं।

अगर आपको भी है बागवानी का शौक और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी hindi@thebetterindia.com पर!

संपादन – अर्चना गुप्ता


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