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सिर्फ 8 साल में घर में उगा दिए 1400 पेड़-पौधे; आम, अनार, एवोकैडो, चीकू, सब मिलेंगे यहाँ

Couple Created Mini Jungle

बात जब गार्डनिंग की हो, तो बहुत से लोगों का मानना होता है कि घर में बगीचे के लिए, एक अलग जगह होनी चाहिए। ताकि घर में मिट्टी, खाद या पत्तों से गंदगी न हो। लेकिन, आज हम जिस ‘अर्बन गार्डनर’ से आपको मिलवा रहे हैं, उनकी कोशिश है कि वह अपने घर की हर एक खाली जगह को हरियाली से भर दें। आँगन, छत, और बालकनी के अलावा, उन्होंने घर के अंदर भी ढेरों पौधे लगाए हुए हैं। बाहर से देखने पर लोगों को उनका घर किसी ‘अर्बन जंगल’ से कम नहीं लगता है। 

हम बात कर रहे हैं, बेंगलुरु में रहने वाले दंपति सुमेश नायक और मीतू नायक की, जिनकी ख्वाहिश न सिर्फ अपने घर में बल्कि अपने आसपास के वातावरण में भी ज्यादा से ज्यादा हरियाली भरने की है। मल्टी नेशनल कंपनी में कार्यरत सुमेश और मीतू, पिछले आठ सालों से गार्डनिंग कर रहे हैं। उन्होंने अपने घर में इंडोर प्लांट के साथ-साथ, मौसमी सब्जियां और लगभग 25 किस्म के फलों के पेड़ भी लगाए हुए हैं। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए सुमेश नायक ने अपने गार्डनिंग के सफर के बारे में विस्तार से बताया। 

सुमेश और मीतू नायक अपनी बेटी के साथ अपने गार्डन में

साल 2007 में जब सुमेश नायक केरल से बेंगलुरु आए, तो उन्हें इस शहर के घरों में हरियाली की कमी खली। केरल में जहाँ हर घर में आपको पेड़-पौधे तथा खूबसूरत लताएं आदि दिखती हैं, वहीं बेंगलुरु के घरों में ऐसा नहीं था। साथ ही, वह एक अपार्टमेन्ट में रह रहे थे, जहाँ वह सीमित पौधे ही लगा सकते थे। सुमेश कहते हैं, “इससे पहले मुझे कभी पेड़-पौधों से इतना ज्यादा लगाव महसूस नहीं हुआ था। केरल में हमारे घर में एक बगीचा है। जिसकी देखभाल मम्मी-पापा ही करते थे, मैं कुछ नहीं करता था। लेकिन, बेंगलुरु में हरियाली कम और इमारतें ज्यादा थीं। मीतू भी केरल से हैं और वह भी बेंगलुरु में यह समस्या झेल रही थीं।” 

लगाए 1400 से ज्यादा पेड़-पौधे: 

उन्होंने साल 2013 में जब अपना घर खरीदा, तो पहले साल से ही उन्होंने इसमें पेड़-पौधे लगाना शुरू कर दिया। वे कहते हैं, “हमारे पास 1500 वर्ग फ़ीट जगह है, जिसमें हमारा घर और गार्डन दोनों हैं। इसमें घर की जगह ज़्यादा है और बाहर थोड़ी खाली जगह है। इस खाली जगह को हमने सबसे पहले हरियाली से भरने का काम शुरू किया। कुछ सामान्य पेड़-पौधे लगाने के बाद, हमने फलों के पेड़ लगाना शुरू किये। क्योंकि, हम चाहते थे कि यहाँ पर घने और बड़े पेड़ हों, जिनसे हमें अच्छी छांव और खाने के लिए शुद्ध और स्वादिष्ट फल मिले।” 

उन्होंने अपने बगीचे में आम, अनार, चीकू, अंजीर, पैशन फ्रूट, तीन तरह के अमरूद, स्टार फ्रूट, बिलिम्बी, सीताफल, पपीता, अंगूर, आंवला, केला, शहतूत, चेरी, जमरूल (वाटर एप्पल), चकोतरा (पोमेलो), एवोकैडो, नींबू और ड्रैगन फ्रूट जैसे फलों के पेड़ लगाए हुए हैं। उन्हें अपने लगभग सभी पेड़ों से फल मिल रहे हैं। वह बताते हैं कि उन्हें पिछले साल, अपने बगीचे में लगे दो एवोकैडो के पेड़ों से 100 एवोकैडो मिले थे। इसी तरह, उन्हें आम, चीकू, अनार, अमरूद, सीतफल, शहतूत, चेरी आदि की भी अच्छी उपज मिलती है। 

लगभग 25 तरह के फलों के पेड़

उन्होंने बताया कि फलों के पेड़ों के बाद, उन्होंने बगीचे में ऐसे पेड़-पौधे लगाए, जिन्हें कम धूप की जरूरत होती है। क्योंकि, फलों के पेड़ों की छांव से कुछ छोटे पौधों को ज्यादा धूप नहीं मिल पाती है। इसके अलावा, उन्होंने अपने घर की बालकनी और छत पर भी पेड़-पौधे लगाए हुए हैं। बालकनी में ज्यादातर सजावटी और खूबसूरत लताएं हैं, तो वहीं छत पर उन्होंने फूलों के पेड़-पौधे लगाए हैं। साथ ही, टमाटर, मिर्च, बैंगन, भिंडी जैसी मौसमी सब्जियां भी वह छत पर ही लगाते हैं। 

उनका कहना है, “अगर आपके पास आँगन में जगह उपलब्ध है, तो फलदार और छांवदार पेड़ लगाना ज्यादा सही रहता है। क्योंकि, पौधों को सीधा जमीन में लगाने पर ये अच्छी तरह से विकसित होते हैं। हालांकि, आप छत पर भी बड़े गमलों और कंटेनरों में फलों के पेड़ लगा सकते हैं। सब्जियां मौसमी होती हैं और तीन-चार महीने में ही इनकी खपत के बाद, आप नए सिरे से दूसरी सब्जियों के पौधे लगा सकते हैं। इन्हें आप कम से कम जगह में भी उगा सकते हैं।” 

उनके घर में आज अलग-अलग प्रजाति के 1400 से ज्यादा पेड़-पौधे हैं। इनकी देखभाल सुमेश और मीतू खुद ही करते हैं। सुमेश और मीतू की आठ साल की बेटी भी गार्डनिंग में उनका हाथ बटाती है। यह दंपति रसोई और बगीचे के जैविक कचरे से होम-कंपोस्टिंग करते हैं। अपने बगीचे में गिरने वाले सभी पत्तों को फेंकने की बजाय, एक कंटेनर में इकट्ठा करते हैं और खाद बनाते हैं। 

घर के बाहर- भीतर सब जगह है पेड़-पौधे

सोसाइटी में भी लगाए पेड़-पौधे: 

वे आगे कहते हैं कि आज उनके घर के बगीचे में चिड़िया, मधुमक्खी, तितली, गिलहरी जैसे जीव भी आते हैं। लेकिन एक अच्छा ‘इकोसिस्टम’ बनाने के लिए, सिर्फ अपने घर में ही नहीं बल्कि इसके आसपास भी पेड़-पौधे लगाने की जरूरत होती है। उन्होंने बताया, “अगर आप सिर्फ अपने घर में ही पेड़ लगाते रहेंगे, लेकिन आसपास हरियाली न हो तो यह सही नहीं है। इसलिए, हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि आप अपने घर के आसपास की जगहों को भी हरियाली से भरें।” 

इस बात को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने अपनी सोसाइटी में लोगों से बात की। सभी ने मिलकर तय किया कि घर के बाहर, सड़कों के किनारे खाली जगहों में कुछ पेड़-पौधे लगाए जाएं। सुमेश बताते हैं, “हम सबने मिलकर, 2014 में एक पौधरोपण अभियान चलाया। सभी ने मिलकर फंड इकट्ठा किया और 150 पौधे सोसाइटी में लगाए। आज ये सभी पौधे बड़े होकर छांवदार पेड़ बन गए हैं। जिससे हरियाली तो बढ़ी है साथ ही, पक्षियों के लिए भी बसेरा बन गया है।” 

सुमेश का कहना है कि आसपास पेड़-पौधे होने से घर के तापमान में भी फर्क पड़ता है। गर्मी के मौसम में, अपने आँगन और बालकनी में वह दिन के समय भी बैठ पाते हैं। क्योंकि, पेड़-पौधे होने से छांव और ठंडक बनी रहती है। बगीचे में समय बिताने से मानसिक तौर पर भी शांति मिलती है। दिनभर कंप्यूटर स्क्रीन को देखकर थक चुकी आँखों के लिए, प्राकृतिक हरियाली किसी थेरेपी से कम नहीं होती है। 

लोगों को गार्डनिंग करने की सलाह देते हुए वे कहते हैं, “सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि गार्डनिंग में धैर्य की बहुत जरूरत होती है। अगर आप किसी और के गार्डन को देखकर, नकल करना चाहते हैं तो यह सही तरीका नहीं है। क्योंकि, हर एक गार्डन अपने आप में अलग होता है। मैं और मेरी पत्नी हफ्ते में पाँच दिन व्यस्त रहते हैं और गार्डनिंग का ज्यादातर काम, हम वीकेंड पर करते हैं। इसके लिए भी हमने एक रूटीन बनाया हुआ है कि कब हमें खाद बनानी है, कब पेड़ों को खाद देनी है या फिर कब नए पौधे लगाने हैं। इसलिए सबसे पहले, आप ‘प्लानिंग’ करें कि अपनी दिनचर्या के हिसाब से आपको किस तरह के पेड़-पौधे लगाने चाहिए।” 

इसके बाद, वह सलाह देते हैं कि लोगों को पौधों को भी समझना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि किस पौधे को कितनी देखभाल की जरूरत होगी, इन्हें किस तरह के मौसम या धूप की जरूरत है। इसके बाद ही, लोगों को अपने घर के लिए पौधे लगाने चाहिए। उनका कहना है कि हम छोटी शुरुआत करें, लेकिन इसमें स्थिरता रखें। नियमित रूप से पौधों की देखभाल करें और कुछ न कुछ नया सीखते रहें। 

अगर आप सुमेश और मीतू से संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें इंस्टाग्राम पर फॉलो कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

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