मेरी दादी माँ अक्सर कहती थीं कि हॉबी और करियर एक नहीं हो सकते। यदि ऐसा होता तो वह शायद ज़िंदगी भर कढ़ाई-बुनाई करतीं और पुराने सिक्के जमा करतीं! हाँ, एक ज़माना था जब लोगों को लगता था कि पैसे सिर्फ़ इंजीनियर, डॉक्टर और बैंकर जैसे पारंपरिक पेशों को अपना कर ही कमाया जा सकता है। लेकिन वक़्त के बदलाव और लोगों की जिज्ञासा ने मार्केट में कई तरह के डिमांड पैदा किये और आज आप ऐसे कई लोगों को देखेंगे जो अपनी हॉबी को ही अपना करियर बनाकर आगे बढ़ रहे हैं — कोई घूम कर पैसे कमाता है तो कोई वीडियो बना कर।
बेंगलुरु की स्वाति द्विवेदी उन्हीं उत्साही लोगों में से हैं जो अपनी हॉबी को ही अपना करियर, प्रोफेशन और पैशन बनाकर आगे बढ़ रही हैं।
लखनऊ में पली-बड़ी स्वाति आज से 11 साल पहले शादी के बाद बेंगलुरु आईं थी। एमबीए की डिग्री के साथ उन्होंने एक्सेंचर और आईबीएम जैसी कंपनियों में बतौर एचआर (HR) काम किया। लेकिन बेटे के जन्म के बाद अपने बच्चे और परिवार पर फोकस करने के लिए उन्होंने अपना जॉब छोड़ दिया।
स्वाति को बचपन से गार्डनिंग का शौक था। अपने जेब ख़र्च में से पैसे बचाकर तरह-तरह के पौधे लेकर आती थीं। अपनी जॉब के दौरान भी घर के कोनों को हरी पत्तियों से सजाना कभी नहीं छोड़ा। अपने दोस्तों के बीच ‘माली काका’ नाम से प्रसिद्ध स्वाति जब अपने परिवार के साथ ख़ुद के घर में शिफ्ट हुई उन्होंने अपने इस हॉबी के एक्सपेरिमेंट करने का सोचा।
स्वाति ने द बेटर इंडिया को बताया, “हमारा घर एक विला सोसाइटी में है जहाँ हर घर के आगे और पीछे में थोड़ा गार्डन स्पेस भी है। आमतौर पर हमारे पड़ोसी उन जगहों को यूँ ही खाली छोड़ देते थे लेकिन मैंने उसका इस्तेमाल बेहतर तरीके से करने का सोचा।”
स्वाति ने अपने बैक गार्डन को किचन गार्डन स्पेस बनाने का निश्चय किया और सामने के गार्डन में कई तरह के फूल-पौधे उगाने शुरू कर दिए। एक वक़्त के बाद स्वाति के बैक गार्डन के उत्पाद इतने बढ़िया और ज़्यादा होने लगे कि उन्होंने उसे अपने पड़ोसियों के साथ शेयर करना शुरू कर दिया।
“मेरे सामने के बगीचे, किचन गार्डन और टेरेस गार्डन में 200 से भी अधिक क़िस्म के पौधे हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार के फूल वाले पौधे, लताएँ, हाउसप्लांट, जड़ी-बूटियाँ जैसे तुलसी, लेमनग्रास, रोजमेरी, गिलोय, पान, एलो वेरा, करी पत्ता आदि हैं। इतना ही नहीं अमरूद, पपीता, चीकू, आंवला, गन्ना, स्ट्रॉबेरी जैसे फल और लौकी, बीन्स, बॉटलगॉर्ड, बैंगन, मिर्च, टमाटर, खीरा, कॉर्न, करेला आदि जैसी सब्जियाँ भी शामिल हैं। आप किसी भी दिन मेरे घर के अंदर हमेशा 25-30 से अधिक बड़े आकार के हाउसप्लांट देख सकते हैं क्योंकि मुझे हमेशा प्रकृति से घिरा रहना पसंद है,” स्वाति आगे कहती हैं।
लोग उनसे बढ़ती सब्जियों और अन्य पौधों के लिए टिप्स पूछने लगे और साथ ही उन्हें यूट्यूब पर अपना चैनल शुरू करने का सुझाव भी देने लगे। स्वाति ने लोगों की बढ़ती दिलचस्पी को ध्यान रखते हुए अपना चैनल ‘बैकयार्ड गार्डनिंग’ शुरू किया। उन्हें वीडियो बनाने और चैनल प्रोमोशन का कुछ ख़ास आइडिया नहीं था इसलिए शुरुआत में उन्हें काफ़ी कुछ सीखना पड़ा। जब भी उन्हें फुर्सत मिलता, वह वीडियो बना लिया करती थी। वक़्त के साथ उन्हें यूट्यूब मार्केटिंग के बढ़िया टैक्टिस समझ आने लगे और वह वीडियो बनाती चली गयी।
तीन साल पहले शुरू हुआ उनका चैनल आज 95 हज़ार से भी ज़्यादा लोगों द्वारा सब्सक्राइब किया जा चुका हैं। भाषा की समझ को ध्यान में रखते हुए वह वीडियो अंग्रेज़ी में ही बनाती हैं लेकिन दो साल पहले उन्होंने हिंदी-भाषियों के लिए ‘बैकयार्ड गार्डनिंग हिंदी’ की शुरुआत की थी जिन्हें तकरीबन 130k लोगों ने सब्सक्राइब किया है। उनके कुछ वीडियो को तो कई लाख बार देखा गया है।
अपने चैनल पर वह हर तरह के वीडियो डालती हैं — सब्ज़ियाँ और फूल उगाने से लेकर, होम डेकॉर, हर्ब्स, गार्डन टिप्स आदि, आपको सबके सुझाव व अनूठे टिप्स मिल जायेंगे।
स्वाति बताती हैं, “मैं अपने चैनल से बहुत खुश हूँ क्योंकि बहुत से लोग मेरी तारीफ करते हुए कहते हैं कि वीडियो सच में उनके लिए काफ़ी मददगार साबित हुए हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से 50 से अधिक लोगों को जानती हूँ जिन्होंने मुझसे प्रेरित होने के बाद गार्डनिंग शुरू कर दी। वे मेरे साथ अपने पौधों की तस्वीरें शेयर करते हैं और उनमें से कुछ ने तो सब्ज़ियाँ और फल भी उगाने शुरू कर दिए हैं। यह देखकर मुझे काफ़ी ख़ुशी मिलती है।”
आजकल के समय में लोग ऑर्गनिक फार्मिंग और गार्डनिंग को काफ़ी महत्त्व देने लगे हैं और इस कोरोना काल ने काफ़ी लोगों को यह पता चल गया है कि नेचुरल चीज़ों से बेहतर कुछ भी नहीं। ऐसे वीडियो और चैनलों से प्रभावित हो कर बहुत से लोग गार्डनिंग मे रूचि दिखाते तो हैं लेकिन आधे से ज़्यादा ज्ञान की कमी, उचित गाइडेंस और धैर्य की कमी के कारण जल्द ही छोड़ भी देते हैं। दरअसल ऐसे लोग यह नहीं समझते कि सब्ज़ियाँ दो दिन में नहीं उगती और ना ही पानी और मिट्टी भरने से। स्वाति कहती हैं कि इसमें समय और लगातार प्रयास लगता है और उतावलेपन की वज़ह से मेहनत बेकार हो जाती है।
सही बात है! जब कॉलेज में डिग्री और ऑफिस में प्रोमोशन के लिए हम सालों इंतज़ार करते हैं तो गार्डनिंग और स्टार्टअप जैसी चीज़ों में इंस्टेंट परिणाम की आशा क्यों रखते हैं?
स्वाति का किचन गार्डन क्षेत्र सिर्फ़ 100 वर्ग फुट का है लेकिन वह उसमें वह तरह -तरह की सब्ज़ियाँ उगा लेती हैं। उनके हिसाब से कोई चाहे तो बालकनी में भी अपना किचन गार्डन बना सकता है – ज़रुरत बस प्रॉपर स्पेस मैनेजमेंट की है।
यह स्वाति की सालों की मेहनत और धैर्य का नतीजा है कि आज उन्हें फ्लिपकार्ट और नर्सरीलाइव जैसे ब्रांड्स भी वीडियो बनाने के लिए कहते हैं। वह आगे कई और तरह की गार्डनिंग जैसे कि हाइड्रोपोनिक्स भी आज़माना चाहती हैं और साथ ही एक छोटा फार्मलैंड खरीदने की प्लानिंग भी कर रही हैं जहाँ वह और भी बहुत सारी सब्ज़ियाँ और फल उगा सके।
स्वाति कहती हैं, “फार्मिंग/ गार्डनिंग बस सब्र के बारे में है। अगर कोई पौधा अच्छी तरह से नहीं बढ़ रहा है तो हार मत मानिये। कोशिश करते रहिए। कोशिश करने पर जितना अधिक आप वक़्त देते हैं उतना ही अधिक सीखते भी हैं। अपने बच्चों को भी गार्डनिंग में शामिल करें। उन्हें आत्मनिर्भर बनाये ताकि बच्चे यह भी जान सकें कि हमारे किसान हमारे लिए सब्ज़ियाँ और अनाज उगाने के लिए कितना प्रयास और मेहनत करते हैं। इस तरह वह भोजन के मूल्य को समझेंगे।”
स्वाति उनके जैसे प्रकृति के प्रति उत्साहित लोगों को बस कहती हैं कि लोगों को अपनी खूबियों को पहचानना चाहिए न कि दूसरों की हॉबी/ पसंद की नक़ल करनी चाहिए। कुछ ऐसा भी करें जो आपको ख़ुशी दे। हर क्षेत्र में अवसर हैं, बस आपको इसे तलाशने की ज़रूरत है।
स्वाति ने जब अपनी हॉबी को अवसर में बदलने की कोशिश तब वह शायद यह नहीं जानती थी कि आगे परिणाम क्या होने वाला है। लेकिन हाँ, उन्हें यह पता था कि जो भी होगा वह सीखने लायक ही होगा। वह यह भी कहती है कि लोगों को उत्साह में ज़्यादा पैसे भी ख़र्च नहीं करना चाहिए। स्मार्ट गार्डनिंग की तरह स्मार्ट लाइफ हैक्स अपनाने चाहिए। जैसा कि उन्होंने फ़ोन से वीडियो बनाने की शुरुआत की थी और तीन साल बाद एक ट्राइपॉड, DSLR, और आइपैड लेना ज़रूरी समझा।
स्वाति से बात करके मुझे इतना समझ तो आ गया कि किसी बेसिक गार्डनिंग करने के लिए एक्सपर्ट बनने की ज़रूरत नहीं और न ही अधिक जगह की ज़रूरत है। आप केवल मिर्ची और धनिया पत्ता से भी शुरुआत कर सकते हैं और वह भी अपने घर की छत पर ही।
तो दोस्तों मैं तो कल से अपने पसंदीदा हर्ब्स उगाने की तैयारी कर रही हूँ। आप क्या-क्या फल-फूल उगाएंगे, यह हमें कमेंट्स में ज़रूर बताये और हाँ, उम्दा गार्डनिंग टिप्स के लिए आप स्वाति के यूट्यूब चैनल की सहायता ले सकते हैं या फिर फेसबुक पेज या फिर इंस्टाग्राम को फॉलो कर सकते हैं।
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