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द बेटर इंडिया से सीखी कम्पोस्टिंग और टेरेस को बना दिया हरा-भरा गार्डन

Rinki gardening

गांव से लोग शहर में, काम और पढ़ाई के सिलसिले में आते हैं और शहर के ही होकर रह जाते हैं। अक्सर ऐसे लोग गांव के परिवेश और वहां की हरियाली याद करते हैं। वहीं कुछ लोग अपने गांव की तरह शहर को भी हराभरा बना देते हैं। आज हम आपको गार्डनिंग के शौक़ीन, ऐसे ही एक दम्पति के बारे में बताने वाले हैं। 

पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर और पटना में अपनी कोचिंग क्लास चलानेवाली, रिंकी और अशोक सिंह दोनों ही पेड़-पौधों के शौकीन हैं। 

हालांकि, रिंकी सालों से पौधे लगा रही हैं, लेकिन पहले फ्लैट में रहते हुए उनके पास जगह की कमी थी। बावजूद इसके रिंकी ने सोसाइटी की छत का उपयोग करके गमले में तक़रीबन 150 पौधे लगाए थे। वहीं, उनके घर की बालकनी में भी कुछ पौधे लगे थे। वह सोसाइटी की छत पर सर्दियों के समय कुछ मौसमी सब्जियां भी लगाती थीं।  लेकिन चूँकि, यह एक सोसाइटी का गार्डन था, इसलिए उनकी कुछ चुनौतियां भी थीं।

वहीं तीन साल पहले जब उन्होंने खुद का घर बनाया, तब उन्हें काफी जगह मिल गई। फिलहाल उनके घर की छत पर 2000 स्क्वायर फिट से ज्यादा की जगह है। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए रिंकी कहती हैं, “मैं पुराने घर से एक गुलाब का पौधा लाई थी, जिससे कटिंग करके नए घर में मैंने गुलाब के 50 पौधे लगा लिए हैं। मुझे फूलों का बेहद शौक है, इसलिए जो भी नया फूल दिखता है, मैं उसे जरूर लगाती हूँ। गुड़हल की कई किस्में तो मैंने आस-पास के गार्डन से कटिंग लाकर लगाई हैं।”

Rinky Singh’s Terrace Garden

रिंकी के गार्डन में आपको, गुलाब की 12 किस्में, चांदनी, गुड़हल, लिली, मोगरा, बोगनवेलिया, डालिया, जरबेरा, गुलमेहंदी, अडेनियम, ब्लैंकेट फ्लावर जैसे कई फूलों के पौधे दिख जाएंगे। इन फूलों की खूबसूरती के कारण उनके छत का माहौल काफी खुशनुमा रहता है। उनके घर आने वाले मेहमान भी गार्डन की खूबसूरती देखकर खुश हो जाते हैं। 

जहां रिंकी को फूलों का शौक है, वहीं उनके पति रॉक बोन्साई के शौकीन हैं। 

इंटरनेट से पढ़कर सीखा रॉकबोन्साई ग्रो करना

आमतौर पर बोन्साई तो कई लोग लगाते हैं। लेकिन इनके गार्डन में आपको बेहतरीन रॉक बोन्साई का कलेक्शन भी दिख जाएगा। अशोक ने इंटरनेट और किताबों से सीखकर रॉकबोन्साई तैयार करना शुरू किया था। वह वियतनाम, जापान और इंडोनेशिया के गार्डनिंग से जुड़े चैनल से इसकी जानकारी लेते रहते हैं।  अशोक कहते हैं, “मैं गुजरात और दूसरे राज्यों से इसके लिए पत्थर मंगाता हूँ। यह देखने में बेहद सुंदर लगते हैं। मुझे इसका शौक़ हमेशा से था, लेकिन नए घर में शिफ्ट होने के बाद मैंने इसे करना शुरू किया। आप अपनी रचनात्मकता का उपयोग करके इसे अलग-अलग रूप दे सकते हैं।”

Rock Bonsai

उनके पास फिलहाल 50 रॉकबोन्साई के गमले हैं। फूलों और बोन्साई के अलावा, रिंकी मौसमी सब्जियां भी लगाती हैं। वहीं, फलों में अभी उनके पास मात्र अमरुद और स्ट्रॉबेरी मौजूद हैं। 

बच्चों को भी पसंद है गार्डनिंग 

रिंकी और उनके पति अपना ज्यादातर खाली समय पेड़-पौधों के साथ ही बिताते हैं। लॉकडाउन के दौरान तो उन्हें पौधों की देखभाल करने का अच्छा समय भी मिला। माता-पिता को गार्डनिंग करता देख, बच्चों की भी गार्डनिंग में रुचि हो गई है। उनकी बेटी चार साल की है और बेटा आठ साल का। 

रिंकी कहती हैं, “मेरा बेटा फल खाकर उसके छिलके सीधे कम्पोस्ट बिन में डालता है और उसके बीज को गमले में उगा देता है। वहीं मेरी बेटी कभी पेड़ से कोई फूल या पत्ती नहीं तोड़ती न ही किसी और को तोड़ने देती है।”

Rinky Singh’s children

चूँकि उनके बच्चों को स्ट्रॉबेरी खाना बेहद पसंद है, इसलिए उन्होंने आठ से दस गमलों में स्ट्रॉबेरी लगाई है।

रिंकी का मानना है कि बचपन से ही अगर बच्चों में पेड़-पौधों के लिए सकारात्मक विचार होंगे, तो वे आगे चलकर पर्यावरण के प्रति भी जिम्मेदार बनेंगे। जगह की कमी के कारण अगर वे पौधे लगा ना पाएं, तो कम से कम लगे हुए पौधों की रक्षा तो जरूर करेंगे।

घर के कचरे से बनता है कम्पोस्ट 

रिंकी जब सोसाइटी में रहती थीं, तब से वह कम्पोस्ट बनाना चाहती थीं। लेकिन उन्हें लगाता था कि यह एक झंझट वाला काम होगा। इसलिए चाहते हुए भी वह कम्पोस्ट नहीं बना रही थीं।  लेकिन अचानक ऑनलाइन इसके बारे में जानकारी लेने के बाद, वह पिछले तीन सालों से घर के गीले कचरे से कम्पोस्ट बना रही हैं। 

रिंकी कहती हैं, “मैंने द बेटर इंडिया के एक लेख को पढ़कर ही कम्पोस्ट बनाना सीखा था। मेरे घर में पुरानी पेंट की कई बाल्टियां पड़ी थीं, उसी में मैंने कम्पोस्ट बनाने की शुरुआत की थी।”

गार्डनिंग से जुड़ी जानकारी के लिए वे इंटरनेट और किताबें पढ़ते रहते हैं और नए-नए प्रयोग भी करते रहते हैं। रिंकी और उनके पति अपने बिजी रूटीन से समय निकालकर गार्डनिंग का सारा काम करते हैं। उन्होंने इस काम के लिए कभी कोई माली नहीं रखा। 

अंत में रिंकी कहती हैं, “ज्यादातर लोग अपार्टमेंट में रहने का बहाना देकर पौधे नहीं लगाते, लेकिन अगर हम अपार्टमेंट में रहते हुए कुत्ता या बिल्ली पाल सकते हैं, तो तीन-चार पौधे तो आराम से लगा सकते हैं। इसके लिए शौक़ का होना बेहद जरूरी है।”

संपादन- अर्चना दुबे

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