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पटना का यह घर नहीं है किसी टूरिस्ट प्लेस से कम, 88 वर्षीय कलाकार की मेहनत का है नतीजा

Home Garden In Patna By Krupa Sharan

बिहार की राजधानी पटना के किदवईपुरी इलाके में एक ऐसा घर है, जहां पहुंचकर आपको लगेगा कि आप किसी पार्क में पहुंच गए हैं। इस घर की सबसे बड़ी खासियत गार्डन है, जिसे देखने के लिए देश से ही नहीं, बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं। यह अनोखा आशियाना 88 वर्षीय कृपा शरण का है। उन्हें पेड़-पौधों से खास लगाव है और यही वजह है कि उम्र के इस पड़ाव में भी वह पूरे जोश और उमंग से बागवानी कर रहे हैं। 

इस घर को कृपा शरण ने साल 1961 में बनवाया था। उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, ” यदि आपके घर में थोड़ी सी भी जगह है तो बगीचा जरूर तैयार करना चाहिए। गार्डन पर्यावरण के साथ-साथ मानसिक शांति के लिए भी जरूरी है। इसलिए मेरा मानना है कि हर घर में एक गार्डन का होना बेहद जरूरी है।”

उनके घर के इस अनोखे गार्डन में तक़रीबन 1000 पेड़-पौधे लगे हैं। लेकिन जो बात उनके गार्डन को सबसे खास बनाती है, वह है गार्डन में बनी अलग-अलग कलाकृतियां। उन्होंने अपने गार्डन में मूर्ति, झरना और कई तरह की झांकियां तैयार की है। 

कृपा शरण का यह गार्डन 2000 स्क्वायर फ़ीट में फैला हुआ है। वहीं उन्होंने कुछ पौधे छत पर भी लगाए हैं। 

कृपा शरण

पहले तैयार करते थे 26 जनवरी और 15 अगस्त की झांकी

कृपा शरण ने साल 1955 में आर्ट की पढ़ाई पूरी करने के बाद, कुछ समय पटना कॉलेज में आर्ट पढ़ाया। फिर वह बिहार सरकार के जनसम्पर्क विभाग में बतौर कलाकार काम करने लगे।

इस पद पर रहते हुए वह 15 अगस्त, 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में बिहार की झांकी तैयार करने का काम करते थे। वह अपने काम के सिलसिले में देश के अलग-अलग राज्यों में भी घूमते थे। 

उन दिनों को याद करते हुए कृपा शरण कहते हैं, “मैं फूलों के बिना नहीं रह सकता। अलग-अलग फूलों के पौधे उगाने का मुझे इतना शौक है कि नौकरी के दौरान मैं कहीं भी जाता, वहां से एक पौधा लेकर जरूर आता था। यही वजह है कि मेरे गार्डन में आपको फूल के कई किस्म दिख जाएंगे।”

अपने गार्डन की झांकियों के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया, “मैंने पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए इन झांकियों को तैयार किया हैं। जिसमें पेड़ लगाने, प्रदूषण को कम करने और हरियाली फैलाने जैसे संदेश होते हैं।”

उनके गार्डन में फूलों के अलावा पांच आम के पेड़, मौसमी सब्जियां और कई सजावटी पौधे लगे हैं।  इस गार्डन को देखने के लिए कई लोग आते हैं। उन्होंने गार्डन में एक विज़िटर बुक भी है। जहां लोग आकर अपने विचार लिखते हैं।

वह कहते हैं, ” देश के अलग-अलग हिस्से से लोग तो आते ही हैं, विदेश से भी लोग मेरे गार्डन को देखने आते हैं। मुझे याद है कि एक बार फ़्रांस से आए एक व्यक्ति ने मेरे घर को सपनों का घर कहा था।” 

उनकी पत्नी श्यामा देवी कहतीं हैं, “मुझे भी गार्डनिंग का शौक है। मेरे दोनों बेटे दिल्ली में रहते हैं और घर पर बस हम दोनों हैं। हम बैगन, भिंडी और लौकी जैसी सब्जियां अपने गार्डन में ही उगा लेते हैं। हमें बाजार से बहुत ही कम सब्जी खरीदनी पड़ती है। “

रिटायरमेंट के बाद गार्डन में बनाने लगे कलाकृति

कृपा शरण की बेटी जयश्री पटना में ही रहती हैं और अपने पिता की तरह ही पेंटिंग और बागवानी का शौक भी रखती हैं। उन्होंने बताया, “हम बचपन से ही हरे-भरे वातावरण में बड़े हुए हैं, इसलिए स्वाभाविक रूप से हमें भी गार्डनिंग में रूचि है।  लेकिन जिस तरह से मेरे पिताजी ने गार्डन को सजाया है, यह देखकर हर कोई दंग रह जाता है। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने गार्डन में नई जान फूंक दी है। वह तरह-तरह की कलाकृति बनाते रहते हैं।”

उम्र के इस पड़ाव में कृपा शरण अब ज्यादा मेहनत नहीं कर पाते हैं, इसलिए उन्होंने एक माली को काम पर रखा है। लेकिन इसके बावजूद वह पूरी सक्रियता से बागवानी की निगरानी करते हैं। किस जगह कौन सा पौधा होगा या फिर मौसम के अनुसार किस पौधे को तैयार करना है, इसके बारे में वह माली को बताते रहते हैं। 

घर में ही तैयार होता है कम्पोस्ट

गार्डन में लगे इतने सारे पौधों के लिए कृपा शरण घर में ही कम्पोस्ट तैयार करते हैं। इसके लिए वह घर का गिला कचरा और पेड़ के सूखे पत्ते इस्तेमाल करते हैं। 

कई लोग शूटिंग आदि के लिए भी उनके गार्डन में आते रहते हैं। इसके बारे में उन्होंने बताया, “मेरे घर में आया कोई मेहमान घर के अंदर जाता ही नहीं हैं। सभी को बाहर बैठना ही पसंद है। इसलिए मैंने बगीचे में बैठने की बढ़िया व्यवस्था कर दी है। जहां लोग घंटों बैठकर बातें करते हैं।” 

कृपा शरण और उनकी पत्नी

पिछले साल कोरोनाकाल में समय बिताना कई लोगों के लिए मुश्किल का काम था। लेकिन कृपा शरण और उनकी पत्नी का पूरा समय पौधों की देखभाल में आराम से कट गया।

उन्होंने घर की बॉउंड्री पर सुंदर बोगनवेलिया के फूल लगाए हैं। प्रकृति प्रेमी कृपा शरण गमलों को ऑक्सीजन बॉक्स कहते हैं। कई लोगों को वह मुफ्त में पौधे की कटिंग और खाद भी देते रहते हैं। 

कंक्रीट के जंगल में पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे कृपा शरण के काम की जितनी तारीफ की जाए, कम है। आशा है कि आपको भी इस कहानी से प्रेरणा मिली होगी।

हैप्पी गार्डनिंग!

संपादन- जी एन झा

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