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65 की उम्र में दादी माँ के नुस्खों से छत पर करती हैं 150+ पौधों की देखभाल

Terrace Gardening

इंदौर में रहने वाली 65 वर्षीया चेतना भाटी को बचपन से ही बागवानी से काफी लगाव था। उन्होंने टेरेस गार्डनिंग की शुरुआत, 4 साल पहले सात-आठ फूलदार पौधों से की थी और आज उनके पास 150 से अधिक पौधे हैं। पढ़िए बागवानी की यह प्रेरक कहानी!

कहते हैं कि जिन्हें गार्डनिंग का शौक होता है, उनके लिए उम्र कभी बाधा नहीं बनती है। आज हम आपको एक ऐसी ही बुजुर्ग महिला से मिलवाने जा रहे हैं जो 65 की उम्र में भी बहुत ही सुंदर तरीके से टेरेस गार्डनिंग (Terrace Gardening In Indore) कर रही हैं।

चेतना भाटी मूल रूप से मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने वाली हैं। चेतना एक हाउसवाइफ होने के साथ ही, एक साहित्यकार भी हैं। लिखने के अलावा, 65 वर्षीय चेतना को बागवानी का भी काफी शौक है और उनके सुबह की शुरुआत हमेशा अपने घर में लगे 150 से अधिक पौधों से होती है।

चेतना ने अपने छत पर गुलाब, गेंदा, गुलदाउदी, रातरानी, रजनीगंधा, मोगरा, चमेली जैसे फूलों के अलावा अंगूर, बैर, अनानास जैसे फल भी लगाए हुए हैं। इतना ही नहीं, उनके पास बोनसाई बरगद, मनी प्लांट जैसे कई सजावटी पौधे भी हैं। 

साथ ही, चेतना अपने 20×40 फीट की बालकनी में पुदिना, मीठी नीम, टमाटर, मिर्च जैसी कई सब्जीदार पौधों की भी बागवानी करती हैं, जिससे उन्हें हर महीने कम से कम 500 रुपए की बचत होती है। 

Chetna Bhati Does Terrace Gardening in Indore
चेतना भाटी

अपने टेरेस गार्डनिंग (Terrace Gardening In Indore) के बारे में चेतना ने द बेटर इंडिया को बताया, “मुझे बचपन से ही पेड़-पौधों से काफी लगाव रहा है। बागवानी की सीख मुझे अपनी दादी और नानी माँ से मिली। मेरी दादी और नानी को घर में जहां भी खाली जगह मिलता, वे वहां कोई पौधा लगा देती थीं। जैसे, बर्तन धोने के जगह पर दादी ने एक पौधा लगा दिया था, जिससे बेकार पानी का अच्छा इस्तेमाल हो रहा था।”

वह आगे बताती हैं, “मेरे पति जेल सुपरिटेंडेंट थे और शादी के बाद, मैंने अपने सरकारी बंगले में कई पेड़-पौधे लगाए थे। चार साल पहले उनके रिटायर होने के बाद, हम एक निजी अपार्टमेंट में शिफ्ट हो गए। हमारा घर तीसरी मंजिल पर था। इसलिए हमने पहली बार छत पर गार्डनिंग (Terrace Gardening In Indore) शुरू की।”

Lots of Plat pots on terrace
चेतना के पौधे

चेतना ने अपने टेरेस गार्डनिंग (Terrace Gardening In Indore) की शुरुआत गुलाब, गेंदा जैसे सात-आठ फूलदार पौधों से की थी। लेकिन, आज उनके छत पर 150 से अधिक पौधे लगे हैं। पौधों को लगाने के लिए उन्होंने बाजार से कुछ गमले खरीदे हैं, जबकि कई पौधों को उन्होंने पानी, पेंटिंग, तेल, फिनाइल की बेकार बोतलों में लगा दिया है। 

इसके अलावा, वह गेहूं की बेकार बोरी का भी इस्तेमाल गमले को ढकने के लिए करतीं हैं। 

नहीं करती केमिकल का इस्तेमाल

चेतना अपने टेरेस गार्डनिंग (Terrace Gardening In Indore) के लिए केमिकल का इस्तेमाल नहीं करती हैं। बताती हैं, “मैं अपने पौधों के लिए मिट्टी अपने आस-पास के खेतों से लाती हूं। फिर, पास के गौशाला से गोबर लाकर, इसमें आधा गोबर और रेत मिला देती हूं। गमले में मिट्टी भरने से पहले, उसके निचले हिस्से में एक छेद करती हूं, ताकि ड्रेनेज सिस्टम सही हो और अधिक पानी से पौधे खराब न हों।”

Planting in waste containers
बेकार डिब्बे से लेकर थैले तक में पौधा लगाती हैं चेतना

वह बताती हैं कि उनकी बालकनी के आधे हिस्से में अच्छी धूप आती है और आधे में नहीं। इसलिए वह सब्जी और फलदार पौधों को धूप में लगाती हैं, जबकि सजावटी पौधों को सेमी शेड एरिया में, क्योंकि सजावटी पौधों को ज्यादा धूप की जरूरत नहीं होती है। 

वह बताती हैं, “घर में सिर्फ मैं और मेरे पति रहते हैं। हमारी उम्र अधिक है। इसलिए पौधे हमारे सबसे अच्छे साथी हैं। हम ऐसे पौधों को चुनते हैं, जिसे कम देखभाल में भी कोई दिक्कत न हो।”

कैसे करते हैं देखभाल

चेतना बताती हैं कि वह पौधों को बीजों से तैयार करने के साथ ही, कलम काटकर भी तैयार करती हैं। पौधों की देखभाल के लिए वह हर महीने प्याज, लहसुन और लाल मिर्च पाउडर को रात पर भिगोकर रखती हैं और सुबह स्प्रे कर देती हैं। 

Planting in Oil container
चेतना की छत पर लगा बोनसाई बरगद

यदि पौधे में ज्यादा कीट लग रहे हों, तो वह नीम के पत्तों को उबालकर ठंडा कर लेती हैं और उसे पौधों पर स्प्रे कर देती हैं। इसके लिए वह पौधों को कीटों से बचाने के लिए गोबर की राख का इस्तेमाल भी करती हैं।

उन्होंने छत पर हैंगिंग प्लांटर्स में पानी देने के लिए भी एक देसी तरकीब खोजी है। चेतना ने मटके से पानी निकालने में इस्तेमाल होने वाले कुंडी को पीवीसी पाइप से बांध दिया है, जिससे पौधों की सिंचाई आसानी से हो जाती है और पानी भी बर्बाद नहीं होता है। 

छत पर आती रहती हैं चिड़ियां

चेतना बताती हैं, “सूरज उगने से लेकर ढलने तक, मेरा अधिकांश समय पौधों के बीच ही गुजरता है। मैं यहां किताबें पढ़ती हूं। अपनी किताबें लिखती हूं। सब्जियां काटती हूं। पौधों से पर्यावरण को लाभ होने के साथ ही, घर में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।” 

hanging Plants in a terrace garden
हैंगिंग प्लांट्स की सिंचाई करती चेतना

वह आगे बताती हैं, “मेरे बगीचे में कई पक्षी आते हैं। वे हमारे गेस्ट हैं, क्योंकि अकेलेपन में वे हमें कंपनी देते हैं। जब भी आपका मूड खराब हो, आप बगीचे में आ जाइये। पौधों और पक्षियों के बीच समय गुजार, आप सभी चिन्ताओं को भूल जाएंगे। ये मेरा व्यक्तिगत अनुभव है।”

कोरोना काल में मिली मदद

चेतना बताती हैं कि कोरोना काल में लोगों का कहीं आना-जाना न के बराबर है। इस वजह से तनाव काफी बढ़ गया है। लेकिन उन्हें बागवानी (Terrace Gardening In Indore) के जरिए, खुद को चिन्ताओं से दूर रखने में काफी मदद मिली।

gulab ka phool
चेतना के घर में लगा गुलाब

इसके अलावा, लॉकडाउन के दौरान बाजार में जब सब्जियां नहीं मिल रही थी, तो लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन चेतना अपने घर में टमाटर, बैंगन, अरबी जैसे सब्जियों को उगाती हैं, जिससे बाजार पर उनकी निर्भरता काफी कम हो गई। 

वह कहती हैं, “घर में उगाकर खाने का एक अलग ही आनंद होता है। इसमें किसी केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है। इसलिए यह टेस्टी होने के साथ ही, शरीर के लिए भी फायदेमंद हैं।

क्या देती हैं संदेश

वह अंत में कहती हैं, “आज हर इंसान को पौधा लगाना चाहिए। आपके पास जितनी भी जगह हो, जितनी भी रोशनी आती हो, आप कोशिश करें। आज बाजार में हर तरह के पौधे मिलते हैं, जिन्हें न ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है और न ही ज्यादा धूप की। पौधे लगाइये और अपना ऑक्सीजन खुद उगाइये।”

संपादन- जी एन झा

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