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पुणे: छह साल पहले तक एक पौधा लगाना भी नहीं आता था, आज बालकनी में बनाया अर्बन फॉरेस्ट

MANASI PUNE GARDENING

पुणे की मानसी दुनाखे एक डेटा साइंटिस्ट हैं और तक़रीबन 20 लोगों की एक टीम की लीडर भी हैं। हर रोज़ सुबह उठकर वह पूरे दिन की प्लानिंग करती हैं और उन्हें उस समय काफी शांति की ज़रूरत होती है। कोरोनाकाल से वर्क फ्रॉम होम कर रहीं मानसी कहती हैं, “मैं अपने गार्डन में दिन का सबसे ज्यादा प्रोडक्टिव समय बिताती हूँ। मेरी हर एक मीटिंग मेरे गार्ड(Balcony Garden In Pune) में ही होती है।”

साल 2016 से पहले तक मानसी को गार्डनिंग के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन उन्हें घूमना बेहद पसंद था,  खासकर जंगलों में। समय मिलने पर वह किसी भी हरियाली वाली जगह में घूमने चली जाया करती थीं। उनके पार्टनर एक वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर हैं।  इसलिए दोनों ने हरियाली के पास रहने के लिए घर पर ही पौधे उगाना शुरू किया।  

Manasi At Her Balcony Garden

कई शुरुआती दिक्कतों के बाद बनाया गार्डन 

मानसी हमेशा से पढ़ाई और नौकरी के सिलसिले में बिजी ही रही थीं। इसलिए उन्हें कभी खुद का गार्डन बनाने का ख्याल नहीं आया। लेकिन साल 2016 में जब वह अपने पार्टनर के साथ नए घर में शिफ्ट हुईं, तो उन्हें दो बालकनी एरिया मिला, जहां वह आराम से गार्डनिग कर सकती थीं। 

उनके इस घर की एक बालकनी 150 स्क्वायर फ़ीट की है और दूसरी 180 स्क्वायर फ़ीट की। यहां उन्होंने एक-दो पौधों के साथ गार्डन बनाना शुरू किया था। 

पहले जब वह नर्सरी में जाती थीं, तो जो पौधा अच्छा लगता उसे उठाकर घर ले आती थीं। लेकिन घर आकर कुछ दिनों में पौधे मर जाते थे। इसके बाद उन्होंने हर पौधे के बारे में पढ़ना शुरू किया और धीरे -धीरे उनकी रुचि गार्डनिंग में बढ़ने लगी।  

वह कहती हैं, “एक डेटा साइंटिस्ट होने के नाते, मैं पुराने डेटा को ध्यान में रखकर नए डेटा बनाती हूँ और इस थ्योरी को अपने गार्डन में भी अप्लाई करती हूँ। यानी जो दिक्कतें पहले आईं, उसे ध्यान में रखकर पौधों और खाद का चुनाव करती हूँ और हर चीज़ पर बारीकी से ध्यान देती हूँ।”

Two Balcony Gardens

इस तरह शुरुआती तीन साल तो उन्हें पौधों की प्रकृति को जानने में ही लग गए। उन्होंने अपनी गार्डनिंग हॉबी को सस्टेनेबल बनाने के लिए अपने घर में भी कई बदलाव किए। जैसे- पहले बालकनी गार्डन में जो फर्नीचर लगा था,  वह पानी से ख़राब हो रहा था, इसलिए उन्होंने बालकनी फर्नीचर को बदल दिया और ऐसा फर्नीचर ख़रीदा जो पानी में ख़राब न हो।  

साथ ही उन्होंने अपनी बालकनी में ग्रीन नेट भी लगाया क्योंकि उनके पास ज्यादातर शेड वाले पौधे ही हैं। उन्होंने एक लकड़ी का फ्रेम बनवाकर बालकनी में लगाई है, जिसमें हैंगिंग प्लांट्स लगे हैं।  

बालकनी में बनाया मिनी जंगल 

Green Balcony

कोरोना के समय, जब उनके पास थोड़ा ज्यादा समय था, तब उन्होंने पौधों पर अधिक ध्यान देना शुरू किया। इससे पौधों के विकास में भी फर्क पड़ा। कई पौधे जो पहले सूख जाया करते थे, कोरोना के समय वह और हरे भरे हो गए। 

फ़िलहाल, उनके पास फूलों की करीब 10 से ज्यादा किस्मे हैं, जिसमें बोगनवेलिया से लेकर जिरेनियम, थनबेर्गिया, कर्वी, मॉर्निंग ग्लोरी सहित कई मौसमी पौधे शामिल हैं। 

इसके साथ ही हरियाली के लिए उनके पास फ़र्न, फिलॉडेंड्रॉन और पोथोस की कई किस्में लगी हैं।  उन्हें हरियाली का बहुत शौक़ है इसलिए वह ऐसे पौधे ज्यादा लगाती हैं, जो कम देखभाल में ज्यादा हरियाली दें। वह ज्यादा किस्मों के बजाय, एक किस्म के ज्यादा पौधे लगाने पर जोर देती हैं।  

Balcony Transformation

उन्होंने बताया, “जो पौधा मेरे घर में आराम से उग जाता है, मैं उसकी ज्यादा किस्में लगाती हूँ।”

उनके पास टिलैंडसिया और Spanish moss एयर प्लांट्स के भी कई पौधे लगे हैं। इससे बालकनी को जंगल जैसी हरियाली मिलती है। इसके अलावा, उनके गार्डन में 50 से ज्यादा हैंगिंग प्लांट्स भी लगे हैं। 

लॉकडाउन में शुरू किया कम्पोस्ट बनाना   

पहले मानसी अपनी सोसाइटी के कम्पोस्टर से खाद लेकर आती थीं, लेकिन कोरोना के समय उन्होंने घर पर भी कुछ प्रयोग किए और खाद बनाना भी शुरू किया। जिसके बाद बाहर से खाद खरीदने की जरूरत बेहद ही कम पड़ती है। मानसी कहती हैं कि काफी बिजी होने के बाद भी मैं आराम से खाद बना लेती हूँ। साथ ही घर की बनी खाद पौधों के लिए काफी अच्छी भी होती है। 

फ़िलहाल, उनकी दोनों बालकनी में करीब 500 से ज्यादा पौधे लगे हैं, जो उन्हें घर में भी जंगल का एहसास देते हैं। 

तो देर किस बात की आप भी अपने घर में एक मिनी जंगल बना लीजिए, जहां आप परिवार के साथ कुछ समय सुकून से बिता सकें।  

हैप्पी गार्डनिंग! 

संपादनः अर्चना दुबे

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