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ओडिशा की 500 साल पुरानी ‘तारकसी’ अब है विदेशियों की फेवरेट सिल्वर फिलीग्री ज्वेलरी

Tarakasi

क्या आप जानते हैं कि ओडिशा के कटक शहर को ‘सिल्वर सिटी’ कहा जाता है? दरअसल कटक चांदी के आभूषणों के लिए सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में मशहूर है। इस शहर में बनने वाले चांदी के आभूषण सामान्य नहीं होते हैं बल्कि इन्हें बनाने में ख़ास तरह की कारीगरी की जाती है। चांदी के तारों से बहुत ही बारीकी से डिज़ाइन तैयार की जाती है, जिसे ‘सिल्वर फिलीग्री’ कहते हैं।

इस कला को स्थानीय भाषा में ‘तारकसी’ कहते हैं। जिस तरह आभूषणों में मीनाकारी और कुंदन की डिज़ाइन होती है, वैसे ही चांदी के महीन तारों की बारीक डिज़ाइन से बहुत ही खूबसूरत और आकर्षण आभूषण तैयार किए जाते हैं। यही कला ‘तारकसी’ या ‘तारकशी’ कहलाती है। कहा जाता है कि जब मुग़ल शासन के दौरान ओडिशा में इस कला की शुरूआत हुई थी। इससे सिर्फ आभूषण ही नहीं बल्कि बर्तन और सजावट का सामान भी तैयार किया जाता है।

कैसे होती है फिलीग्री

सबसे पहले सामान्य चांदी की ईंट या बिस्कुट खरीदे जाते हैं। फिर इसे पिघलाकर अलग-अलग डिज़ाइन के आधार पर चांदी के तार तैयार किए जाते हैं। कारीगर इन तारों को महीन बनाते हैं ताकि इन्हें आभूषण, बर्तन या अन्य कलाकृति के डिज़ाइन में इस्तेमाल किया जा सके। इन तारों से आभूषण तैयार करने के लिए कारीगर कुछ औजार इस्तेमाल करते हैं। यह ज्यादातर काम हाथ से ही होता है। खासकर कि चांदी के तारों से आभूषण बनाने का काम हाथ से किया जाता है। तारों को आकार देने के लिए अलग-अलग डाई का प्रयोग किया जाता है। 

Silver Filigree Work (Source)

इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय और मेहनत लगती है। कई बार एक छोटे से डिज़ाइन पर ही दो-तीन कारीगर काम करते हैं। ताकि जब वह चीज बनकर तैयार हो तो किसी सवाल की कोई गुंजाइश न रह जाए। इस काम में आग और गर्मी की जरूरत होती है। ज्यादातर कारीगर अपनी छोटी-छोटी वर्कशॉप या दुकानों में काम करते हैं। इसलिए उनकी कोशिश रहती है कि फिलीग्री बनाने का अधिकतम काम सर्दियों के मौसम में किया जाए। क्योंकि ओडिशा में गर्मी में यह काम करना नामुमिकन सा लगता है। 

आभूषणों या कलाकृतियों के तैयार होने के बाद इन्हें अच्छे से साफ़ करके धोया जाता है और फिर इस पर पॉलिश किया जाता है। फिलीग्री में आप कान, गले, हाथ और पैर के आभूषणों से लेकर कई तरह के बर्तन और सजावटी वस्तुएं खरीद सकते हैं। एक समय हुआ करता था जब कारीगरों के पास सांस लेने की भी फुरसत नहीं थी क्योंकि उन्हें इतने ज्यादा ऑर्डर मिलते थे। लेकिन आधुनिक जमाने में बढ़ती आर्टिफिशियल ज्वेलरी की मांग और हर रोज बदलते ट्रेंड के कारण कहीं न कहीं ओडिशा की यह नायाब तारकसी भी सीमित होने लगी है। 

नृत्य से लेकर शादी-ब्याह तक

कहा जाता है कि ओडिशी नृत्य करने वाले कलाकारों के आभूषण फिलीग्री के बने होते हैं। प्राचीन समय में ओड़िया संस्कृति के अनुसार विवाह में तारकसी द्वारा तैयार सिंदूर दान का उपयोग अनिवार्य था। वहीं, ओडिशा में किसी भी दुल्हन का साज-श्रृंगार तारकसी बिछिया और पायलों के बिना पूरा नहीं होता है। साथ ही, कटक में दुर्गा पूजा में तारकसी कला का विभिन्न पांडालों में प्रयोग किया जाता है। माँ दुर्गा के आभूषण भी तारकसी द्वारा ही तैयार किए जाते हैं जो बेहद आकर्षक होते हैं। 

कटक में सैकड़ों परिवारों को तारकसी से ही रोजगार मिलता है। हालांकि, समय के साथ आभूषणों के डिज़ाइन और मांग में काफी बदलाव आया है। आज के जमाने में जहां नए तरीके की ज्वेलरी के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। वहीं, विदेशियों का रुझान भारतीय शिल्पकलाओं की तरफ बढ़ रहा है। आज कई छोटे-बड़े स्टार्टअप दूसरे देशों में सिल्वर फिलीग्री ज्वेलरी की बिक्री कर रहे हैं।

Odissi Dancer wearing tarakasi jewellery (Source)

Silver Linings की को-फाउंडर निशा अग्रवाल बताती हैं कि उन्हें लगातार न सिर्फ भारतीय ग्राहकों बल्कि विदेशों से भी ऑर्डर मिल रहे हैं। एमबीए ग्रैजुएट निशा बताती हैं कि उनका परिवार काफी सालों से फिलीग्री के काम से जुड़ा हुआ है। “हालांकि, मेरा कभी इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं रहा था। मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की और इनफ़ोसिस जैसी कंपनियों में काम किया। लेकिन एक बार मैं कटक में थी तो एक कारीगर ने मुझसे कहा कि वह चाहता है कि उनका बेटा एमबीए करे और बड़े एसी वाले दफ्तर में काम करे,” उन्होंने कहा।

निशा ने उनसे जब वजह पूछी तो उन्होंने कहा कि फिलीग्री के काम से मुश्किल से महीने का खर्च निकलता है जबकि वे दिन-रात मेहनत करते हैं। वहीं, कंपनियों में एसी में बैठकर काम करने वालों को कहीं ज्यादा सैलरी मिलती है। निशा कहती हैं, “उनकी बात बिल्कुल सही थी। इस क्राफ्ट में जितनी मेहनत है, उतनी कमाई नहीं है। क्योंकि कारीगरों के पास ऐसे मंच ही नहीं जहां उनका काम देश-दुनिया तक जा सके। तब मुझे लगा कि फिलीग्री को सिर्फ भारत के दूसरे हिस्सों तक नहीं बल्कि दुनिया के हर हिस्से तक पहुंचाने की जरूरत है।”

विदेशों में बढ़ रही है तारकसी की मांग:

साल 2016 से उन्होंने अपने स्टार्टअप की शुरुआत की और तारकसी को सिर्फ भारत में नहीं बल्कि ग्लोबल लेवल पर प्रोमोट किया। युवाओं को इस क्राफ्ट से जोड़ने पर उनका फोकस है। उन्होंने बताया, “वैसे पिछले कुछ समय से घटती तारकसी की मांग के कारण हमने इसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लॉन्च करने का फैसला किया। हर क्षेत्र में बदलते जमाने के हिसाब से चलने की जरूरत है तो सिल्वर फिलीग्री में पीछे क्यों रहा जाए? हम लोगों तक पारंपरिक गहनों के साथ आधुनिक ब्रेसलेट, एंक्लेट और नोज पिन जैसी ज्वेलरी पहुंचा रहे हैं।” 

Modern Touch to Silver Filigree (Source)

निशा कहती हैं कि फ़िलहाल उन्हें अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से ऑर्डर मिल रहे हैं। खासकर कि ऐसे देशों से जहां पर डांस स्कूल हैं और इनमें भारतीय नृत्य कला ओडिशी भी सिखाई जाती है। उन्हें ओडिशी डांस ज्वेलरी के लिए बहुत ही अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। “ओडिशी डांस फॉर्म काफी मशहूर है। दूसरे देशों में भी लोग इसे प्रैक्टिस करते हैं, लेकिन अब तक उनके पास कोई जरिया नहीं था जिससे वह इसके दौरान पहनी जाने वाली ख़ास फिलीग्री ज्वेलरी ले सकें। पर अब हम उन्हें ऑनलाइन यह ज्वेलरी उपलब्ध करा रहे हैं,” उन्होंने बताया।

इसके अलावा, उन्हें विदेशों से रिटेल ऑर्डर भी मिल रहे हैं। निशा ने बताया कि धीरे-धीरे उनके आर्डर बढ़ रहे हैं और अब उन्हें काफी बल्क ऑर्डर भी मिलना शुरू हो गये हैं। सिल्वर लाइनिंग्स से ज्वेलरी ऑर्डर करने वाले लंदन के जॉनेथन कहते हैं कि उन्होंने क्रिसमस के लिए कुछ आइटम खरीदे थे और उन्हें व उनकी पत्नी को सभी ज्वेलरी बहुत पसंद आई। वहीं, अमेरिका की अरिथरा ने उनसे डांस के लिए बाजूबंद ऑर्डर किए थे और उनका कहना है कि जब उन्हें बाजूबंद मिले तो तो ये तस्वीरों से भी ज्यादा खूबसूरत थे।

सिल्वर फिलीग्री दिखने में जितनी भरी-भरी लगती है, असल में ज्वेलरी उतनी ही हल्की होती है। इसलिए आजकल यह फिलीग्री सिर्फ चांदी नहीं बल्कि सोने और प्लैटिनम में भी की जा रही है। बदलते ट्रेंड के साथ इसका रूप भी बदल रहा है और भारत इस बात का फायदा अपने क्राफ्ट को आगे बढ़ाने के लिए कर सकता है। 

अगर आप तारकसी ज्वेलरी खरीदना चाहते हैं तो https://silverlinings.in/ पर क्लिक कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

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