तमिलनाडु का नया पंबन ब्रिज (Pamban Bridge) यानी देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज (First Vertical Lift Railway Sea Bridge) जल्द ही बनकर तैयार होने वाला है। इसका निर्माण 9 नवंबर 2019 को शुरु हुआ था और संभावना है कि यह परियोजना अगले साल मार्च माह तक पूरी हो जाएगी।
परियोजना के तहत बने पंबन पुल से तीर्थयात्रियों और माल परिवहन ट्रेनों के लिए रामेश्वरम (Rameswaram) आने-जाने में आसानी हो सकेगी। तीर्थ यात्रियों (Pilgrims) के लिए यह स्थान आस्था का केंद्र है। अरब सागर का एक छोटा सा द्वीप रामेश्वरम, मुख्य रूप से अपने प्रसिद्ध रामनाथस्वामी मंदिर के कारण काफी महत्व रखता है।
हालांकि, अब तक यह शहर, सदियों पुराने पंबन ब्रिज (Pamban Bridge) द्वारा मुख्य रास्ते से जुड़ा हुआ था। अगर इतिहास के नज़रिये से देखें, तो 1914 में इस पुल पर आवाजाही शुरू हुई थी। बांद्रा-वर्ली सी लिंक (Bandra-Worli Sea Link) पर बना यह पुल, देश का पहला समुद्री पुल होने के साथ-साथ सबसे लंबा ब्रिज भी है।
नए और पुराने पुल में क्या है अंतर
अगर इस पुल की विशेषता की बात करें, तो यह Scherzer rolling lift मॉडल पर काम करता है और 90 डिग्री के कोण पर ऊपर की ओर खुलता है। पुल के नए मॉडल का निर्माण पहले तैयार किए गए मॉडल के समानांतर है, जो कि ट्रेन और समुद्री जहाजों के बीच क्रॉस कम्यूटिंग की अनुमति देगा।
नए पुल की खूबी यह है कि यात्रा के दौरान जहाजों को गुजरने की अनुमति देने के लिए इसके मध्य भाग को ऊपर उठाया जाता है। जबकि पुराने मॉडल में Scherzer rolling lift मॉडल मैन्युअल रूप से संचालित होता था।
रेल मंत्रालय की परियोजना में इस पुल को 101 पियर्स के साथ पुराने पुल की तुलना में 3 मीटर ऊंचा करने को कहा गया है। इसके अलावा. यह पुल समुद्री जहाजों, जैसे- स्ट्रीमर को पार करने के लिए ज्यादा से ज्यादा जगह देगा।
यह परियोजना रेल विकास निगम लिमिटेड द्वारा शुरू की गई है। इस परियोजना के सलाहकार एस अंबालागन ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि ट्रैक को मजबूत बनाया जा रहा है।
जानिए इस पुल की विशेषताएं
- परियोजना के अनुसार यह पुल 2.2 किमी लंबा होगा।
- इसकी नई तकनीक ट्रेनों को तेज गति के साथ, अधिक भार ढोने की अनुमति देगी। जिससे पर्यटकों के आवागमन को बढ़ावा मिलेगा।
- यह पुल 63 मीटर लंबा होगा, जो समानांतर रूप से समुद्र तल से 22 मीटर की ऊंचाई के साथ ऊपर की ओर उठेगा।
- पुराने पुल के विपरीत, नए पुल में एक ही गर्डर (girder) होगा।
- यह इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम पर चलेगा, जो ट्रेन कंट्रोल सिस्टम के साथ तालमेल बिठाकर काम करता है।
- इसकी सबस्ट्रक्चर और नेविगेशनल लाइन, दोनों का निर्माण डबल लाइन ट्रैक से मिलकर किया जा रहा है।
- निर्माण कार्य में स्टेनलेस स्टील का प्रयोग किया जा रहा है।
- रेल मंत्रालय के अनुसार इस परियोजना पर 250 करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान लगाया गया है।
मूल लेख : रिया गुप्ता
संपादन : जी एन झा
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