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ट्री हाउस में रहने से लेकर जैविक खेती तक, जीवन का अलग अनुभव कराता है यह अनोखा फार्मस्टे

कर्नाटक के केपू गांव में मंगलुरु से 50 किमी दूर, 50 एकड़ का एक अनोखा फार्म है। 200 साल पुराने इस ‘वारानाशी फार्म’ को पार्था वारानाशी चलाते हैं, जो इसके छठी पीढ़ी के मालिक हैं। पार्था कहते हैं कि उनके परिवार को हमेशा से ही खेती से काफ़ी लगाव रहा है।

वह बताते हैं, “1960 में मेरे दादाजी ने कैंपको नाम के एक किसान समाज की शुरुआत की थी। मेरे माता-पिता भी हमेशा एग्रीकल्चर के बारे में ज़्यादा जानने और पढ़ने में लगे रहते, मेरे पिताजी ने माइक्रोबायोलॉजी में पीएचडी की, वहीं मेरी माँ ने  मैक्रोबायोलॉजी में।” यही कारण था कि उन्हें भी बचपन से ही काफ़ी प्राकृतिक और एग्रीकल्चरल माहौल मिला।

इसी ज़मीन पर जन्में पार्थ ने तब से लेकर अब तक, सालों में इस फार्म पर कई बदलाव होते देखे हैं। वैसे तो वारानाशी फार्म पर पिछले 30 सालों से रिश्तेदारों और मेहमानों का आना-जाना लगा था, लेकिन एक घटना ने उन्हें इसे बिज़नेस में बदलने के लिए प्रेरित कर दिया।

एक टूरिस्ट की विज़िट के बाद, पार्था वारानाशी को यह एहसास हुआ कि उनके फार्म की जीवनशैली लोगों के जीने के तरीके को किस हद तक बदल सकती है। दरअसल, साल 2006 में 12वीं पास कर एक लड़की उनके फार्म पर कुछ दिन बिताने आई और उसे यहां ऑर्गेनिक फार्मिंग और खेती इतनी पसंद आई कि उसने वापस जाकर हॉर्टिकल्चर इंजीनियरिंग करने का फैसला किया। 

इत्तिफ़ाक़ से आया वारानाशी फार्म का आईडिया

पार्था के दिमाग में यह बात बैठ गई अगर इस स्टे कुछ दिन बिताकर उस लड़की के जीवन में इतना बड़ा बदलाव आ सकता है, तो क्यों न और लोगों के लिए एक प्रोग्राम डिज़ाइन किया जाए। तब पार्था ने 28 दिनों का एक प्रोग्राम शुरू किया, जिसके तहत टूरिस्ट्स एक 55 फ़ीट ऊंचे ट्री हाउस में रहते हुए, ऑर्गेनिक फार्मिंग, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग, पारंपरिक पर्माकल्चर जैसी कई चीज़ें सीख सकते हैं।

वारानाशी परिवार, स्थानीय लोगों के साथ जुड़कर यहाँ आने वाले मेहमानों को सस्टेनेबिलिटी के गुर सिखाता है। इस फार्म का सारा कचरा कम्पोस्ट किया जाता है, साथ ही यहाँ बायोगैस प्लांट्स और सोलर पैनल्स भी लगाए गए हैं। यहां आप कायाकिंग और स्विमिंग जैसी कई एक्टिविटीज़ भी कर सकते हैं। इतना ही नहीं, यहां परोसा जाने वाला 95% खाना इसी फार्म में उगाया जाता है। आज यहां भारत के अलावा, अमेरीका, कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी जैसे देशों से भी लोग ऑर्गेनिक खेती सीखने आते हैं। 

तो अगर आप भी ज़िंदगी की भाग-दौड़ से दूर सस्टेनेबल लाइफस्टाइल का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो एक बार वारानाशी फार्म पर ठहरने ज़रूर जाएँ। यहाँ क्लिक करके आप वेबसाइट के ज़रिए उनसे संपर्क कर सकते हैं। 

संपादन- अर्चना दुबे

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