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विदेश की नौकरी छोड़ 100 साल पुराने घर को बनाया सस्टेनेबल होमस्टे

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फरीदाबाद के रहने वाले देवेश जोशी कहते हैं, “मैं खुद को एक लाइफटाइम ट्रैवलर और फुलटाइम लर्नर मानता हूँ।” कमाल की बात यह है कि वह खुद एक ट्रैवलर होने के साथ-साथ बाकी कई ट्रैवेलर्स को सपोर्ट करते हैं और इसलिए उन्होंने मनाली की वादियों में बनाया है फुटलूज़ कैंप्स और हॉस्टल। 

बचपन से देव को घूमने का बहुत ज़्यादा शौक़ नहीं था। वह सिर्फ़ अपनी जर्नलिज्म की पढ़ाई करने इंग्लैंड गए और कोर्स पूरा कर वहीं पर अपने फ़िल्म-मेकिंग करियर की शुरुआत की और एक डाक्यूमेंट्री प्रोड्यूसर के तौर पर काम करने लगे। इसी के साथ, अपने लिखने के शौक़ के चलते उन्होंने एक ट्रैवल ब्लॉग भी शुरू किया।

इसके बाद, वह काम के सिलसिले में जहाँ भी जाते, कोई भी नई जगह देखते तो अपना अनुभव इस ब्लॉग के ज़रिए लोगों तक पहुंचाने लगे।  

क्यों किया नौकरी छोड़ने का फ़ैसला?

देव बताते हैं, “अपनी नौकरी छोड़ मैंने ट्रैवल करने का फ़ैसला इसलिए लिया, क्योंकि मैं अपनी 9 टू 5 कॉर्पोरेट जॉब से बोर हो गया था और 60 की उम्र तक सिर्फ़ यह नौकरी करते रहने के बजाय मैं लाइफ में इससे ज़्यादा कुछ करना चाहता था।”

अब देव के मन में दुनिया देखने की, नए लोगों से मिलने की और अपने समाज और सिस्टम को समझने की इच्छाएं पैदा हो गईं थीं; इसलिए 2015 में उन्होंने ज़िंदगी का नया सफ़र शुरू करने का फैसला किया और नौकरी छोड़ वापस भारत आ गए। 

100 साल पुराने घर से की फुटलूज़ कैंप्स की शुरुआत 

2018 में  25 से ज़्यादा देश घूमने और ट्रैवलिंग में कई मुकाम हासिल करने के बाद, एक ट्रिप पर जब देव मनाली पहुंचे, तो उनको हिमालय की गोद में बना एक हिमाचली घर मिला, जो पारंपरिक काठ कुनी आर्किटेक्चर पर बना हुआ था और लगभग 100 साल पुराना था। पत्थर, मिट्टी और लड़की जैसी प्राकृतिक चीज़ों से बने इस घर ने उनका मन मोह लिया और उन्होंने यहाँ ठहरने का फैसला किया। 

सस्टेनेबल लिविंग सिखाता है फुटलूज़ कैंप्स

बाहर से आने वाले ट्रैवलर्स को भी मनाली की असली खूबसूरती से रूबरू करा सकें, इसलिए उन्होंने इस मड हाउस को एक सुंदर होमस्टे में बदला और इसे फुटलूज़ कैंप्स नाम दिया। 

आज यहाँ आने वाले मेहमानों को प्रकृति के करीब सस्टेनेबल जीवन का अनुभव मिलता है। सालों पुराने लगभग डेढ़ सौ सेब, अखरोट, आड़ू और चेरी के पेड़ों के बीच बने इस खूबसूरत होमस्टे में ऑर्गेनिक फार्मिंग के ज़रिए कई तरह की सब्जियां भी उगाई जाती हैं। यहाँ बनाए गए जिओडेसिक डोम में रहने का अुनभव भी काफ़ी नया और अनोखा है। 

इसके अलावा, देश-विदेश से इस होमस्टे में ठहरने आने वाले लोग प्रकृति के बीच, खुले आसमान के नीचे वक़्त बिताने के अलावा यहाँ स्कींग और स्नोबोर्डिंग जैसी एडवेंचरस एक्टिविटीज़ में भी हिस्सा लेते हैं। 

अगर आप भी कुल्लू-मनाली आकर यहाँ का पूरा मज़ा लेना चाहते हैं, तो Footloose Camps में समय ज़रूर बिताएं।

संपादन- अर्चना दुबे

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