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दिल्ली शहर के बीचोंबीच प्रकृति से घिरा है यह अनोखा मिट्टी का घर

जैसे ही आप वन भोज में प्रवेश के लिए बढ़ेंगे, आपको अंदर जाने के लिए लकड़ी से बना एक दरवाज़ा मिलेगा। यह कोई डिज़ाइन किया हुआ मॉडर्न गेट नहीं है; बल्कि एक साधारण लड़की को ही यहाँ गेट की तरह इस्तेमाल किया गया है। अंदर घुसते ही चारों ओर हरियाली का दृश्य दिखाई देता है। और इस मिनी फॉरेस्ट से गुज़रता रास्ता दो मंज़िला मिट्टी के घर तक ले जाता है। 

यही है दिल्ली-NCR के फरीदाबाद क्षेत्र में स्थित इस घर की खासियत! मिट्टी का यह घर बेहद साधारण और प्राकृतिक तरीकों से बना है और सालों से इसी तरह चलता आ रहा है। लेकिन गुणों में यह बिलकुल साधारण नहीं है। यहाँ कई ऐसी चीज़ें हैं जिन्हें देख और अनुभव कर आप खुद को नेचर के बेहद करीब पाएंगे और सस्टेनेबल जीवन का महत्व समझ पाएंगे।

सालों से मजबूती से खड़ा मिट्टी का वन भोज 

शहर में होकर भी जंगलों के बीचों-बीच स्थित इस घर को करीब 27 साल पहले प्रसिद्ध आर्किटेक्ट जोड़ी- रेवती और वसंत कामथ ने बनाया था। इससे पहले यहाँ एक माइनिंग खदान हुआ करती थी जिसके बंद होने के बाद 1.25 एकड़ की यह ज़मीन पूरी तरह बंजर हो चुकी थी। लेकिन कामथ दंपति ने इसे फिर से उपजाऊ बनाया और फिर यहाँ स्थानीय चीज़ों- जैसे पत्थर, लकड़ी और मिट्टी से 2000 स्क्वायर फ़ीट का एक इको-फ्रेंडली घर बनाया।

यही घर आज वन भोज के नाम से जाना जाता है और इसे देखने के लिए अलग-अलग जगहों से लोग आते हैं। 

प्रकृति की दुनिया में ले जाता है सस्टेनेबल चीज़ों से बना यह अनूठा घर

इसे बनाने के लिए लगभग 80 प्रतिशत लोकल चीज़ों का इस्तेमाल किया गया है। मिट्टी, लकड़ी, बदरपुर रेत, पत्थर और बाकी सभी निर्माण सामग्री इसी घर के आस-पास से ली गई हैं।

जिस तरह पुराने ज़माने में ज़्यादातर घर मिट्टी से बनते थे, उसी तरह वन भोज में भी मिट्टी का उपयोग मुख्य रूप से किया गया है। समय-समय पर फ़र्श और दीवारों को गीली मिट्टी, भूसी और गाय के गोबर से लीपा जाता है। यानी यह घर राजधानी दिल्ली के पास होकर भी गाँव वाले अनुभव देता है, शुद्ध और देसी! 

वन भोज में देसी पेड़-पौधे दिखाई देते हैं, क्योंकि ये इस क्षेत्र के मौसम और जलवायु परिस्थितियों के लिए सबसे उपयुक्त हैं और कई पक्षियों और जानवरों को घर और भोजन भी देते हैं।

पशु-पक्षी, पेड़-पौधों से घिरा है यह घर

पीपल, नीम, नींबू के कई पेड़ों से घिरा यह घर इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यहाँ सुबह-शाम सूरज की किरणें सीधे अंदर आतीं हैं और हर एक कमरे को प्राकृतिक रौशनी मिलती है। भोर हो या सांझ, दिन के हर पहर में इस घर का एक अलग ही रूप नज़र आता है। 

हर मौसम में रहता है अनुकूल!

हर समय यह अद्भुत घर पशु-पक्षियों की आवाज़ से गूंजता रहता है। शहर में मुश्किल से दिखने वाले नीलकंठ, गिलहरी, तितलियाँ, तोते और मोर जैसे जीव यहाँ आराम से देखे जा सकते हैं। घर में मौजूद बड़ी-बड़ी काँच की खिड़कियों से बाहर की हरियाली का बेहतरीन नज़ारा हर किसी का मन मोह लेने वाला है। 

मिट्टी और सस्टेनेबल मटेरियल्स के कारण वैसे भी वन भोज गर्मी में बिना पंखे-एसी के भी ठंडा रहता है और सर्दियों में घरवालों को गर्म रखता है। इसके अलावा, घर की छत पर हरी घास की परत तापमान को नियंत्रित रखने में मदद करती है और घर को अंदर से ठंडा रखती है। 

वन भोज: सस्टेनेबिलिटी की मिसाल

रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए घर के परिसर में ही तीन तालाब मौजूद हैं। इनकी मदद से बारिश के पानी को इकट्ठा कर कई कामों में उसका इस्तेमाल किया जाता है।

साथ ही, घर के दो बाथरूम और एक किचन से निकलने वाले वेस्ट वॉटर को एनारोबिक बैक्टीरिया की मदद से उचित कामों में इस्तेमाल किया जाता है और साफ पानी से जंगल के पेड़-पौधों की सिचाई की जाती है। वन भोज सोलर कूकर, कम्पोस्टिंग और वॉटर कंज़र्वेशन के सिद्धांतों पर चलता है।

आप भी यहाँ आकर पूरा दिन बिता सकते हैं और मिट्टी के इस घर व आस-पास के प्राकृतिक नज़ारों को करीब से देख सकते हैं। घर की शालीनता, खूबसूरती और सस्टेनेबिलिटी को बनाए रखने के लिए यहाँ आने वाले मेहमान रात में स्टे तो नहीं कर सकते लेकिन दिन भर वन भोज की सैर करने और यहाँ के शुद्ध और ऑर्गेनिक भजन का स्वाद चखने के लिए आप ecoplore.com पर इसकी बुकिंग कर सकते हैं। 

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