साल 2018 में केरल में रहनेवाले लोगों को विनाशकारी बाढ़ का सामना करना पड़ा, जिसमें करीब 400 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और राज्य भर में जान-माल का नुकसान हुआ। हजारों घर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। यही वह समय था, जब लोग ऐसी नई तकनीक या डिजाइन के बारे में विचार करने लगे, जो बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर सके।लगभग यही समय था, जब तिरुवनंतपुरम की रहनेवाली ननमा गिरीश अपने मास्टर की थीसिस ‘Amphibious Floating House’ पर काम कर रही थीं। एम्फिबियस हाउस यानी पानी पर तैरने वाले घर।
ननमा, उनके दोस्त और साथ में पढ़ने वाले, बेन के. जॉर्ज ने बाढ़ में होने वाले घर के नुकसान जैसी समस्या का हल निकालने की कोशिश की है।
साल 2018 में दोनों दोस्तों ने, नेस्ट एबाइड नाम के एक स्टार्टअप की शुरुआत की, जो पानी पर तैरने वाले घर बनाता है।उनका स्टार्टअप उन टेक्नोलोजीज़ पर काम करने वाला एक इंटरडिसिप्लिनरी फर्म है, जो बाढ़ से पहले, बाढ़ के दौरान और बाढ़ के बाद की स्थिति में इस्तेमाल की जाती हैं।
इसके अलावा, यह भारत में एकमात्र ऐसा फर्म है, जो मुख्य रूप से लोगों के लिए ऐम्फिबियस यानी पानी पर तैरने वाले घर और अडैप्टेशन टेक्नोलोजी पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
बाद में सितंबर 2021 में, उन्होंने एम्फीनेस्ट का निर्माण किया। यह एक बहते हुए नींव के साथ एम्फिबिअस निर्माण तकनीक का भारत का पहला वर्किंग प्रोटोटाइप है।
कैसे हुई ननमा और बेन की मुलाकात?

बाढ़ से पहले भी अपनी थीसिस पर काम कर रही ननमा को बाढ़ के बाद, साल 2018 में अपनी थीसिस प्रस्तुत करने पर काफी ज्यादा सराहना मिली।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए ननमा कहती हैं कि 2018 की बाढ़ ने लोगों को ऐसी निर्माण तकनीकों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया, जो इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं का मुकाबला कर सके। उस समय यह चर्चा का मुख्य विषय बन गया था। ननमा कहती हैं, “यही कारण था कि अपनी थीसिस प्रस्तुत करते समय मुझे इतनी सराहना मिली।”
उन्होंने बताया, “केरल जैसे राज्य को हर साल अक्सर बाढ़ का सामना करना पड़ता है, इसलिए पानी पर तैरने वाले घर (Amphibious Floating House) जैसी तकनीकों को लाना काफी ज़रूरी था।”
ननमा और बेन की मुलाकात बार्टन हिल गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, तिरुवनंतपुरम से ट्रांसलेशनल इंजीनियरिंग में पोस्ट-ग्रेजुएशन के दौरान हुई थी। 28 वर्षीय ननमा कहती हैं, “हम दोनों एक साथ पढ़ते थे और दोनों का एक ही उद्देश्य था। इसलिए हमने साथ मिलकर काम करने का फैसला किया।”
बिना किसी कैपिटल फंडिंग के शुरू किया पानी पर तैरने वाले घर बनाने का बिज़नेस
बेन कहते हैं, “हमारी यह शुरुआत, पानी के खिलाफ लड़ने के बजाय, पानी के साथ रहने के लिए एम्फिबिअस जीवन को बढ़ावा देने का एक मिशन था।”
स्टार्टअप को अक्टूबर 2018 में बिना किसी आय या कैपिटल फंडिंग के अनौपचारिक रूप से लॉन्च किया गया था। उन्होंने एक छोटी टीम को काम पर रखा और पानी पर तैरने वाले घर पर अपनी रीसर्च जारी रखी।
उन्होंने बताया, “पोस्ट-ग्रेजुएशन के बाद, हम दोनों ने अपने कॉलेज में काम करते हुए रिसर्च जारी रखा। हमने रिसर्च के लिए टीम में दो सदस्य रखे थे और उन्हें अपने वेतन से भुगतान करते थे।” उन्होंने बताया कि एक साल से ज्यादा समय ऐसे ही चला जब तक कि उन्होंने 2019 में नौकरी नहीं छोड़ी। इसके तुरंत बाद, अक्टूबर 2019 में, उन्होंने आधिकारिक तौर पर अपने स्टार्टअप को रजिस्टर किया।
साल 2020 में जब महामारी ने दस्तक दी, तो स्टार्टअप को फुलटाइम में बदल दिया। वह कहते हैं, “हमने नदियों के बाढ़ मॉडलिंग पर प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि बाढ़ कब आती है और पानी कब तेज़ी से बढ़ता है। यह केरल जल प्राधिकरण के लिए एक निजी कंपनी के साथ साझेदारी में किया गया था।”
क्या है पानी पर तैरने वाले घर बनाने वाले एम्फी नेस्ट का मकसद?

ननमा और बेन ने एक अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट पर भी काम किया – एम्फिबीअस एंड फ्लोटिंग बिल्डिंग रिसर्च प्रोजेक्ट, जिसे कनाडा सरकार द्वारा नेशनल रिसर्च काउंसिल ऑफ कनाडा और वॉटरलू विश्वविद्यालय, ओंटारियो के सहयोग से फंड किया गया था। ननमा कहती हैं कि यह उनके लिए काफी सौभाग्य की बात थी कि वह उस प्रोजेक्ट का हिस्सा बन सकीं, जहां उन्हें वाटरलू विश्वविद्यालय के असोसिएट प्रोफेसर, डॉ एलिजाबेथ सी इंग्लिश और बुयंट फाउंडेशन प्रोजेक्ट के प्रमुख के नेतृत्व में काम करने का मौका मिला।
ननमा बताती हैं कि इसके साथ-साथ, वह अपने स्टार्टअप के रिसर्च में भी लगी हुई थीं। बाद में 2021 में, स्टार्टअप ने केरल के कोट्टायम जिले के कुराविलांगड में एक एम्फिबियस बिल्डिंग का एक वर्किंग प्रोटोटाइप बनाया।
बेन बताते हैं, “एम्फी नेस्ट जनता को यह दिखाने का एक प्रयास था कि कैसे पानी पर तैरने वाले घर (Amphibious Floating House) किसी भी पारंपरिक घर की तरह ज़मीन पर रहती है और साथ ही बाढ़ का पानी आने पर तैर भी सकती है। इसका उद्घाटन केरल के कृषि मंत्री पी प्रसाद ने किया।
ननमा बताती हैं कि इसे बनाने के लिए उन्होंने अपने फंड का इस्तेमाल किया। उनके इस प्रोटोटाइप को बीबीसी के वर्ल्ड पॉडकास्ट, ‘द क्लाइमेट क्वेश्चन’ में भी दिखाया गया था।
एक फ्यूचर-प्रूफ टेक्नोलोजी

अपनी पोस्ट-ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान, ननमा को नीदरलैंड में डेल्फ़्ट यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी (टीयू डेल्फ़्ट) में इंटर्नशिप करने का मौका मिला।
वह बताती हैं, “यही वह समय था, जब मुझे पहली बार नीदरलैंड्स के मासबोमेल में Amphibious Floating House का काम देखने को मिला। वहां लगभग 32 घर ऐसे थे, जो ज़मीन पर टिके हुए सामान्य घरों की तरह दिखते थे। लेकिन जब बाढ़ का पानी आता है, तो घर की नींव उठ जाती और पानी में तैरने लगती।”
पानी पर तैरने वाले घर मजबूत कंक्रीट से बने होते हैं, लेकिन इसकी नींव हल्की उछाल वाली होती है, जो बाढ़ के दौरान अस्थायी रूप से तैरने में सक्षम होते हैं। ये गाइडेंस पोस्ट या पिलर के माध्यम से उठते हैं, जो उन्हें घर को तैरने दिए बिना उसी स्थिति में रहने में मदद करते हैं। बाद में जब पानी घटता है, तो इमारत वापस जमीन पर आ जाती है।
ननमा बताती हैं कि यह विधि साइट की स्थितियों के आधार पर तय की जाती है। वह कहती हैं, उन क्षेत्रों में जो अक्सर बाढ़ का सामना करते हैं, यह तकनीक ऊंची इमारतों से बेहतर है। ये एक कंक्रीट खोखले बॉक्स के रूप में या ईपीएस (एक्सपेंडेबल पॉलीस्टाइरीन) ब्लॉक के साथ कंक्रीट मिलाकर बनाए जाते हैं।
हालांकि यह तकनीक पानी पर तैरने वाले घर की तरह सामान्य नहीं है, लेकिन नीदरलैंड और यूके जैसे देशों में कई एम्फिबियस हाउस हैं। इन घरों को तीन मंजिल तक बनाया जा सकता है और ये सामान्य कंक्रीट के घरों की तुलना में सस्ते होते हैं। पारंपरिक तरीकों के विपरीत, सीमेंट का कम इस्तेमाल होता है, क्योंकि घर बनाने के लिए पूर्वनिर्मित पैनलों का उपयोग किया जाता है।
इस पत्रकार को बेहद पसंद आई यह तकनीक
कोट्टायम के पत्रकार और नेस्टएबाइड के एक ग्राहक, हरि मोहन कहते हैं, “मैं मीनाचिल नदी के तट के पास एक नया घर बनाने की योजना बना रहा हूं और इस इलाके में स्वाभाविक रूप से बाढ़ आने की संभावना है। जब इलाके में बाढ़ आती है, तो पानी 6 फीट की ऊंचाई तक भी बढ़ सकता है। इसलिए, जब मैंने एक नया घर बनाने का फैसला किया, तो मुझे NestAbide बारे में पता चला।”
हरिमोहन कहते हैं कि उन्होंने ननमा और बेन के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की और पानी पर तैरने वाले घर बनाने का फैसला किया। वह कहते हैं, “मैंने पानी पर तैरने वाले घर बनाने का फैसला किया, जो मेरी आवश्यकताओं के अनुसार हो और एक पारंपरिक घर की तुलना में ज्यादा किफायती हो। मेरा घर दो मंजिला होगा और एक मंजिल पिलर के अंदर जमीन के नीचे होगा जो बाढ़ की स्थिति में ऊपर उठ जाएगा। योजना पूरी हो चुकी है और हम बारिश के बाद सितंबर तक निर्माण शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं।”
अभी किस प्रोजेक्ट पर कर रहे हैं काम?

पानी पर तैरने वाले घर बनाने के अलावा, NestAbide इंटरडिसिप्लिनरी इंजीनियरों, आर्किटेक्चरों, साइंस ग्रेजुएट आदि वाली एक आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल डिजाइन कंस्लटेंसी फर्म भी है। 10 फुलटाइम कर्मचारियों और 33 ऑन-कॉल कंस्लटेंट के साथ ये फर्म बाढ़ से जुड़े अन्य टेक्नोलोजी पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
ननमा और बेन, वर्तमान में डेल्फ़्ट यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी में टीयू डेल्फ़्ट और यूनेस्को आईएचई, डेल्फ़्ट में प्रोफेसर डॉ. क्रिस ज़ेवेनबर्गेन की देख-रेख में पीएचडी कर रहे हैं। हाल ही में उन्हें, उनकी पहल के लिए फोर्ब्स 30 अंडर 30 एशिया लिस्ट 2022 में शामिल किया गया था।
बेन कहते हैं, “वर्तमान में, हम कुट्टनाड और मुनरो द्वीप के बाढ़ संभावित क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों के लिए एक एम्फिबियस हाउसिंग प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जिसे केडीआईएससी (केरल डेवलपमेंट इनोवेशन एंड स्ट्रैटेजिक काउंसिल) द्वारा फंड किया गया है।”
दोनों क्षेत्रों के चुने गए लाभार्थियों के लिए घरों को या तो पूरी तरह से या आंशिक रूप से सरकार द्वारा KDISC के ज़रिए फंड किया जाएगा, जिसके लिए आवेदन अभी खुले हैं। टीम, मेंटर और एक विशेषज्ञ समिति द्वारा गाइड की जा रही है, जो प्रसिद्ध आर्किटेक्चर, मरीन इंजीनियरों, सरकारी इंजीनियरों और स्ट्रक्चर इंजीनियरों सहित केडीआईएससी के तहत गठित की गई है।”
अधिक जानकारी और पूछ ताछ के लिए आप उनकी वेबसाइट पर जा सकते हैं।
मूल लेखः अंजली कृष्णन
संपादनः अर्चना दुबे
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