अब बस एक क्लिक के साथ पाईये अपने रुके हुए कोर्ट केस की जानकारी !

अब बस एक क्लिक के साथ पाईये अपने रुके हुए कोर्ट केस की जानकारी !

अब देश के आम नागरिक विभिन्न जिलो के कोर्ट में रुके मामलों पर नज़र रख पायेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे पोर्टल का उद्घाटन किया है जिससे आम नागरिको एवं कोर्ट के बीच में पारदर्शिता बनाये रखने में मदद मिलेगी।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) के लांच होने से यह सुविधा मिलने जा रही है। इस से न्यायिक प्रक्रिया आम जनता के लिए सरल हो पाएगी। इस सुविधा का उद्देश्य न्याय प्रणाली के सभी भागीदारों के लिए सूचना मुहैया कराना है तथा पारदर्शिता को प्रोत्साहन देना है।

इससे आम जनता न्यायिक प्रक्रिया पर नज़र रखने के साथ ही बहोत समय तक चल रहे अथवा रुके हुए मुकदमो की जानकारी भी ले पाएगी। भविष्य में वह इन प्रक्रियाओं में लगने वाले समय को कम करने की सलाह भी दे सकती है।

इस वक़्त इस पोर्टल पर सभी मध्य प्रदेश और दिल्ली  के केसेस को छोड़कर देश के बाकि सभी हाई कोर्ट के कुल २.७ करोड केसेस में से १.९४ केसेस का ब्यौरा है।

१९ सितम्बर को, राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड का उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मदन बी लोकुर ने किया. इसे मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तु के मार्गदर्शन में बनाया गया है। इस पोर्टल द्वारा देश में कानूनी प्रक्रिया से जुड़ा हर व्यक्ति लंबित केस पर नज़र रख सकता है। नेशनल जुडिशल डाटा ग्रिड (NJDG) के इस पेज पर, राष्ट्रीय इ कोर्ट पोर्टल,  ecourts.gov.in. पर क्लिक कर के पंहुचा जा सकता है।

"ई-कोर्ट परियोजना के तहत आने वाली केसेस के इन आंकड़ों को कोर्ट में ही रोज़ अपडेट किया जाएगा। इन आंकड़ों को  सिविल और क्रिमिनल मामलों के तहत बांटा जायेगा।  इतना ही नहीं इसमें समय सीमा के हिसाब से दो  साल तक, दो से पांच साल के बीच, पांच से दस साल के बीच और दस साल  से अधिक -वर्ग में आंकड़े बंटे हुए रहेंगे।"

- सुप्रीम कोर्ट के दिए गए इस स्टेटमेंट के मुताबिक 

यह पोर्टल एक महीने के अन्दर  निपटाए गए मामलो की सूचना देश, राज्यों, जिलो एवं कोर्ट के हिसाब से बांटेगा।

इस पोर्टल द्वारा, वरिष्ट नागरिक और महिलाओं द्वारा दायर किये गए तथा कई समय तक चल रहे  मुकदमो की जानकारी ली जा सकती है।  इस पेज में अलर्ट की सुविधा भी डाली गयी है। इससे लोग रोज़  दायर किये गए मुकदमो की, या किसी विशेष मुक़दमे की, जिसकी तारीख तय नहीं की गयी हो, उसकी तारीख तय होने पर सूचना पा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि अभी सभी कोर्ट में आपस में संयोग स्थापित नहीं कर पाए है, इसलिए इस पोर्टल को अपडेट करने में कुछ समय लग सकता है ।

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