/hindi-betterindia/media/post_attachments/uploads/2015/10/selvi.png)
“समाज क्या कहेगा” ये तीन शब्द आज भी कई महिलाओं को घरेलु हिंसा सहने पे मजबूर कर देते है। इनमे से कुछ सारी ज़िन्दगी ज़ुल्म सहती रहती है और कुछ इस ज़िल्लत भरी ज़िन्दगी से छुटकारा पाने के लिए आत्महत्या का सहारा ले लेती है।
१४ साल की छोटी सी उम्र में ही ब्याहायी गयी ‘सेल्वी’ ने भी यही सोचा था कि उसकी ज़िन्दगी इन्ही दोनों उदाहरणों में से एक बनकर रह जाएगी। पर फिर एक दिन सेल्वी ने एक तीसरा विकल्प चुना.... सिर उठाकर जीने का विकल्प।
कर्नाटक के बहोत ही गरीब परिवार से आने वाली, सेल्वी का विवाह, महज़ १४ साल की उम्र में, एक जोड़ी झुमके और कुछ बर्तन की एवज़ में कर दिया गया। जिस उम्र में उसे गुड्डे गुडियों के साथ खेलना चाहिए था, उस उम्र में उसका शारीरिक और मानसिक शोषण किया गया। सेल्वी के इस शोषण में सिर्फ उसका पति ही नहीं बल्कि उसके माँ और भाई भी बराबर के भागिदार थे।
सेल्वी की शुरुवाती जीवन की ये कहानी किसी भी और घरेलु हिंसा की शिकार महिला की कहानी की तरह ही लगती है। लेकिन इसके आगे की कहानी किसी और अन्याय की कहानी से बिलकुल अलग है।
बरसो तक अपने पति, माँ और भाई के हाथो ज़ुल्म सहने के बाद एक दिन सेल्वी ने घर से भाग जाने का फैसला किया। घर से भाग कर उसका कोई ठिकाना नहीं था। सड़क पर पहुंचकर सेल्वी ने एक बस के नीचे आकर अपनी जान दे देने की सोची। पर बस के सामने आते ही अचानक सेल्वी का मन बदल गया। उसने बस के नीचे आने के बजाय अपना हाथ दिखाकर बस को रोकने का इशारा किया। और इसी बस में बैठकर अपनी ज़िन्दगी के नए सफ़र की शुरुवात की।
इसके बाद जो हुआ उससे सेल्वी की ज़िन्दगी ही बदल गयी। बस में बैठकर सेल्वी, मैसुर पहुंची। वहां उसे ओदानादी नामक संस्था ने शरण दी। इसी संस्था में रहकर सेल्वी ने गाडी चलानी सीखी।
कुछ ही महीनो में सेल्वी की मेहनत रंग लायी, और वह कर्नाटक की प्रथम महिला टैक्सी ड्राईवर बनी। इसके अलावा वह ट्रक और बस भी चलाने लगी।
सिर्फ अपनी तकदीर बदलना ही सेल्वी का मकसद नहीं था। वह अपने जैसी और भी पीड़ित महिलाओ की मदत करना चाहती थी। इसके लिए वह जगह जगह जाकर महिलाओ के सशक्तिकरण के विषय पर बोलने लगी।
सेल्वी ने सारे दकियानूसी सामाजिक बन्धनों को तोड़कर अपने पसंद के लड़के से दुबारा शादी भी की। आज सेल्वी के दो बच्चे है और वह एक खुशहाल ज़िन्दगी जी रही है। अपने बच्चो के लिए भी उसके बड़े बड़े सपने है। वह अपनी बेटी को पायलट बनाना चाहती है।
सेल्वी के इस प्रेरणादायी जीवन की कहानी कैनडा की एक फिल्म निर्माता, एलिसा पलोशी ने अपनी डाक्यूमेंट्री ‘ड्राइविंग विथ सेल्वी’ में बहुत ही बेहतरीन तरीके से दर्शाया है। इस डाक्यूमेंट्री को बनाने में एलिसा को करीबन दस साल लगे है।
ये डाक्यूमेंट्री सेल्वी की कहानी है! उसके संघर्ष की कहानी है! उसके हिम्म्त की और उसके जीत की कहानी है! ये कहानी हर उस औरत के लिए एक प्रेरणा है जो समाज के ज़ुल्म को सहना अपनी किस्मत मानती है। सेल्वी के जीवन पर आधारित ये डाक्यूमेंट्री लन्दन के रैन्दांस फेस्टिवल में सबसे पहले दिखायी जा चुकी है।
इस फिल्म के रिलीज़ होने के बाद अब सेल्वी अलग अलग जगहो पर जाकर इस फिल्म के बारे में बताती है। निर्माता, एलिसा इस फिल्म को सडको पर दिखाकर दुनिया भर के दर्शको तक पहुचना चाहती है। उनका मानना है कि इस डाक्यूमेंट्री का इस्तेमाल समाज में जागरूकता फैलाने के लिए महिलाओ से जुड़े गैर सरकारी संस्थाओ द्वारा भी होना चाहिए।
इस डाक्यूमेंट्री का ट्रेलर देखे -
हमें यकीन है कि सेल्वी की इस जीत की कहानी से और भी कई महिलाए प्रेरित होंगी और शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाकर अपनी और दुसरो की मदत करेंगी!