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पापियों का नाश करने भगवान् आये न आये; आपको ही कुछ करना होगा!

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‌ ॥

(हे भरतवंशी अर्जुन जब जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है तब तब ही मैं अपने आपको साकार रूप से प्रकट करता हूँ।)

मैं भगवान् में विश्वास रखती हूँ, अतः गीता में भगवान् श्री कृष्ण के कहे इस श्लोक पर भी मेरा विश्वास था! मेरे मुसलमान और इसाई दोस्त भी मुझे अल्लाह और ईसा मसीह के दुबारा आने की बातें बताते हैं।

पर यदि एक आठ साल की बच्ची का मंदिर जैसी पाक जगह पर कई दिनों तक बलात्कार और फिर निर्ममता से हत्या अधर्म की पराकाष्ठा नहीं है तो अभी और क्या बाकी है?

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्‌ । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥

(साधू पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पाप कर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ)

पर यदि एक मासूम बच्ची को निर्दयता से मारने वालों का विनाश करने भगवान् प्रकट नहीं होंगे तो कब होंगे?

10 जनवरी 2018 की दोपहर को बच्ची जंगल से अपने घोड़ो को वापस लाने गयी थी। शाम तक घोड़े तो लौट आये पर बच्ची नहीं आई।

17 जनवरी की सुबह उस बच्ची के पिता, कठुआ (Kathua Rape) में बसाए अपने छोटे से घर के बाहर बैठे अपनी बिटिया के बारे में सोच ही रहे थे कि उनका एक पड़ोसी हांफता हुआ उनके पास आया।

बच्ची मिल चुकी थी…. गाँव से कुछ दूर ही जंगल में उसकी लाश पड़ी थी!

खोजकर्ताओ का मानना हैं कि इस निष्पाप, निर्दोष बच्ची को कई दिनों तक एक मंदिर में बेहोशी की दवा देकर रखा गया! चार्जशीट के मुताबिक़ इस फूल सी बच्ची के साथ कई लोगों ने कई दिनों तक बलात्कार किया और अंत में उसकी बर्बरता से हत्या कर दी!

खबर सुनते ही बच्ची की माँ नसीमा अपने पति के साथ जंगल की ओर बदहवास सी भागी…. “उसके पैर तोड़ दिए गए थे… उसके नाखून काले पड़ चुके थे… उसके हाथों और उँगलियों पर नीले और लाल निशान थे…”

मुझे नहीं पता एक माँ ने यह सब कैसे देखा होगा…

कहते हैं विवाद ज़मीन का था। इलाके के हिन्दू इन मुसलमान चरवाहा गुज्जरों को डरा कर अपनी ज़मीन से निकालना चाहते थे। मुझे हैरत हैं कि इन मुसटंडो को एक आठ साल की बच्ची ही मिली डराने के लिए???

बहरहाल ! गुज्जरों का तो पता नहीं पर वे मासूम बच्ची को तो कठुआ की ज़मीन से बेदखल करने में कामयाब रहें!

बच्ची को कठुआ (Kathua Rape) में दफ़नाने नहीं दिया गया। उसके पिता को उसकी लाश को उठाकर 7 मील तक चलना पड़ा! तब कहीं जाकर बच्ची को दो गज़ ज़मीन नसीब हुई!

जाति, मज़हब, धर्म, तेरी ज़मीन- मेरी ज़मीन …. न जाने ये लड़ाई हमें अधर्म की किस सीमा तक ले जाए। न जाने मानव के बनायें इस जंजाल से बचाने प्रभु आये न आये… पर यदि इन पापियों को सज़ा देनी हैं तो हमें एकजुट होना होगा, हमें मिलकर इनके खिलाफ़ लड़ना होगा।।।

बच्ची को इंसाफ़ दिलाने में हमारी मदद करें…. निचे दिए पेटीशन पर हस्ताक्षर कर बच्ची को न्याय दिलाएं!

Justice

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