क्या आप कभी हवाई जहाज पर नही बैठे? आइये हम आपको बताते हैं कि महज ६० रूपये में आप कैसे जहाज पर बैठ सकते हैं। अगर आपके पास ६० रूपये भी नहीं हैं तो कोई बात नही,आप इसमें मुफ़्त में भी बैठ सकते हैं। रिटायर्ड वायुयान इंजिनियर बहादुर चंद गुप्ता आपको ख़ुशी ख़ुशी ये जहाज दिखाएंगे।
“मैं पहली बार हवाई जहाज में बैठा हूँ। मैंने अंदर बहुत सारी चीज़ें देखी। ”
-जतिन इस कहीं न जाने वाले हवाई जहाज में बैठने के बाद चहकते हुए कहता है।
जतिन उन साधनहीन बच्चों में से एक है जिन्हें शायद ही कभी असली हवाई जहाज पर बैठने का मौका मिले। वह एक ऊँची सीढ़ी पर चढ़ कर एक नारंगी और सफेद रंग के हवाई जहाज में पंहुचा जो दिल्ली के एक सूदूर इलाके में स्थित है।
यह हवाई जहाज बेशक कहीं नही जाता पर यह हवाई जहाज शहर के आसपास के गरीब तबके को उन जेट विमानों में बैठने का अनुभव प्रदान करता हैं जिन्हें उन लोगों ने सिर्फ आसमान में उड़ते देखा है।
जब हरियाणा के एक छोटे से गाँव कासना के रहने वाले रिटायर्ड वायुयान इंजीनियर बहादुर चन्द गुप्ता ने कई वर्ष पहले अपने करियर की शुरवात की थी तब गांव के लोगों ने उत्सुकता से उन से पूछा था की विमान में बैठ कर कैसा लगता है। उन लोगों ने कभी हवाई जहाज नहीं देखा था और वे गुप्ता की आँखों से हवाई जगत की एक झलक पाना चाहते थे।
सुरक्षा कारणों से गुप्ता कभी अपने गांववालों को असली हवाई जहाज के अंदर नही ले जा सके। लेकिन वो हमेशा से चाहते थे कि कुछ ऐसा करें जिस से उन गांववालों को उड़ने का अनुभव मिले।
आखिरकार २००३ में गुप्ता ने कुछ जमीन बेच कर एक एयरबस A300 खरीदी। उन्होंने इसे एक खाली जमीन जो शहर कि डोमस्टिक एअरपोर्ट के पास ही थी, उसपर खड़ा कर दीया। फिर शुरू हुआ सिलसिला आम लोगो की काल्पनिक उड़ान का।
इस अनुभव को और वास्तविक बनाने के लिए यात्रियों को बोर्डिंग पास दिए जाते हैं, सुरक्षा सम्बंधित निर्देश दिए जाते हैं और स्नैक्स भी दिए जाते हैं। कुछ लोगों को कॉकपिट देखने का भी मौका मिलता है।
यात्रियों को इस हवाई जहाज पर बैठने के लिए केवल ६० रूपये देने पड़ते हैं और कुछ लोग इसमें मुफ़्त में भी बैठ सकते हैं (उनकी आर्थिक स्थिति के अनुसार)। इस वायुयात्रा को और भी रोमांचक बनाने के लिए बच्चों को अनूठे तरीके से बाहर निकाला जाता है जहाँ वो सीढ़ियों से उतरने के बजाय फिसल कर हवाई जहाज से बाहर आते हैं।
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