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राईड ऑफ होप – कैंसर के मरीजों को जीने की कला सीखाता 26 साल का युवक !

कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का अगर किसी को पता चल जाये, तो आदमी जीने की उम्मीद छोड़ देता है़ उसके मन में सिर्फ यही आता है कि अब जिंदगी समाप्त हो गयी है़। लेकिन हौसला हो तो कैंसर को भी मात दिया जा सकता है़।

कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का अगर किसी को पता चल जाये, तो आदमी जीने की उम्मीद छोड़ देता है़ उसके मन में सिर्फ यही आता है कि अब जिंदगी समाप्त हो गयी है़। लेकिन हौसला हो तो कैंसर को भी मात दिया जा सकता है़ ।

जिद, जज्बा और जुनून को हौसले से जोड़कर कैंसर को मात देने की ऐसी ही कहानी है हरतीज भारतेश की। जिन्होंने पहले तो कैंसर को मात दिया और अब कैंसर से पीड़ित मरीजों को हौसला देने के लिए पूरे देश का दौरा राईड ऑफ होप के जरिए कर रहे हैं।

23 साल की उम्र में मध्य प्रदेश के रीवा के निवासी हरतीज भारतेश को कैंसर ने जकड़ लिया।

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नोएडा के एक प्रतिष्ठित विश्वविधालय में वकालत की पढ़ाई कर रहे हरतीज को साल 2013 में जब इसकी जानकारी हुई तो उसके पांव के नीचे से जमीन खिसक गई। ईलाज के दौरान पता चला कि कैंसर तीसरे स्टेज में है, जो कैंसर हरतीज को हुआ था उसे हॉजकिन्स ल्यूमफोनिया कहा जाता है। पहले 6 महीने हरतीज ने ईलाज के कई तरीकों को अपनाया पर कोई फायदा नहीं हुआ और कैंसर चौथे स्टेज में पहुंच गया।

कैंसर पीड़ित हरतीज ने हार नहीं मानी और 6 महीने में 12 कीमोथेरेपी ली और कुछ परहेज किए, परिवार और दोस्तों का साथ रहा और मन में जीने के जज्बे से हरतीज ने एक साल में ही कैंसर को मात दे दिया।

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हरतीज आज लाखों कैंसर पीड़ितों की मदद  के लिए अपने जीवन को समर्पित करना चाहते है इसी कड़ी में वो अपनी बाईक से भारत के हर राज्य में घूम-घूम कर राईड ऑफ होप के जरिए कैंसर मरीजों का हौसला बढ़ाना चाहते है और उनके हौसलो को अपनी जिंदगी की कहानी के जरिए पंख देना चाहते है ।

हरतीज देश भर के मरीजों को ये बताना चाहते है कि कुछ भी असंभव नहीं है बस जरुरत है तो हौसले की।

राईड ऑफ होप की पहली कड़ी में हरतीज रायपुर के भीम राव अंबेडकर अस्पताल के कैंसर मरीजों से मिलकर उनके हौसलों को हिम्मत दे चुके है, वहीं उन्हें कीमोथेरेपी से न डरने की सलाह भी दी है। hartej1

टीबीआई से खास बातचीत में हरजीत ने बताया, “मेरा राईड ऑफ होप कैंपेन कैंसर से जुड़ी भ्रांतियों को मरीजों के दिमाग से दूर करने में सफल रहेगा, जिसकी शुरुआत मैंने रायपुर से कर ली है। लोगों को कीमोथेरेपी के बारे में भी सही जानकारी का अभाव है, ईलाज के लिए सही जानकारी नहीं होने की वजह से आधे से ज्यादा मरीज मौत को गले लगा लेते है। कीमोथेरेपी में दर्द तो होता है लेकिन वो हमें जीवन देता है मैं उसका उदाहरण हूं।”

कैंसर के दिनों को याद करते हुए हरतीज बताते है,  “मैने 6 महीने में 12 कीमोथेरेपी करवाई है, कभी कभी दर्द से मैं इतना परेशान हो जाता था कि जीने की आस धूमिल हो जाती थी लेकिन मैने हार नहीं मानी और डटकर मुकाबला किया, नतीजा- कैंसर आज मुझसे कोसो दूर है।”

अपने बुरे दिनों को याद करते हुए हरतीज बताते है कि हौसला और जीने की हिम्मत तो मेरी थी लेकिन उसके पीछे मेरे पिता, भाई और भाभी दिव्या चंद्रण की ताकत थी जिन्होनें उन दिनों  चौबीसो घंटें मेरे साथ गुजारें  ।

हरतीज बताते है कि जब वो कैंसर से पीड़ित थे तो कुछ दोस्तों और पारिवारिक मित्रों ने उनसे दूरी बना ली थी उनको शायद ये अहसास था कि हर्तीज जिंदा नहीं बच पायेंगे। जिंदगी में हर तरह के लोग होते है लेकिन बुरे पलों में अपनों का हौसला और साथ से  बहुत हिम्मत मिलती है।

हरतीज कैंसर से पीड़ित लोगों को ये संदेश देना चाहते है कि लोहा को लोहा काटता है और कीमोथेरेपी में दर्द तो है लेकिन वो दर्द ही हमें नई जीवन देता है।

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बिना हौसला हारे, सही अस्पताल से सही ईलाज मिलने पर हम कैंसर को परास्त कर सकते है। तो फिर घबराना किस बात का।

कीमोथेरेपी के बारे में भी बहुत सारी गलतफहमिया है तो इसका शिकार बने बिना सही जानकारी लें और ईलाज कराएं, कैंसर को आप मात देंगे ये मेरा विश्वास है।

कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए हरतीज भारतेश आज मिसाल है कि कैसे कैंसर को मात देकर दूसरी जिंदगी पाई जा सकती है। हरतीज को भी इस बात का अंदाजा है कि देश में अब भी कैंसर को लेकर कई तरह की भ्रांतियां है।

राईड ऑफ होप इन्हीं गलतफहमियों और कैंसर पीड़ित मरीजों को नई जिंदगी की राह पर लाने के लिए उठाया गया एक कदम है।

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अपनी बाईक से शहर- शहर घूमकर कैंसर से जुड़े विषयों पर जागरुकता फैलाना एवं अपनी कहानी से उनको हिम्मत देने की यह पहल जो हरजीत भारतेश ने की है वो काबिले तारिफ है। वो खुद तो कैंसर को मात देकर मौत के मुंह से बाहर आ चुके है और अब वो देश के दूसरे कैंसर के मरीजों को भी दूसरा जीवन जीने के लिए प्रेरित और जागरुक करना चाहते है। अपनी नई जिंदगी को कैंसर पीड़ितों के लिए समर्पित कर चुके हरतीज, रायपुर के बाद जल्द ही अगले शहर के लिए निकलेंगे।

हरतीज के हौसले की कहानी और कैंसर मरीजों के प्रति समर्पण इस बात का सबूत है कि जब सारे रास्ते बंद हो जाते है तब भी अपनी हिम्मत और अपनों के साथ से असंभव को संभव किया जा सकता है। 26 साल का हरतीज अब शहर –शहर घूमेगा और कैंसर पीड़ितों की मदद के लिए हाथ बढ़ाएगा।

अगर आप भी हरजीत के कैंसर हटाओ कैंपेन राईड ऑफ होप से जुड़ना चाहते है या कैंसर से जुड़ी कोई जानकारी लेना चाहते है तो उन्हें नीचे दिए ईमेल पर लिखें।

harteij.bhartesh@gmail.com

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