भारत के लगभग हर घर में दिन में एक बार तो चाय बनती ही है। इसके अलावा, हर गली-नुक्क्ड़ पर चाय सर्व करने वाले छोटे-बड़े स्टॉल आपको मिल ही जाएंगे। इस तरह से अगर हम हिसाब लगाएं तो सोचिए कि कितनी ज़्यादा चायपत्ती इस्तेमाल होने के बाद कचरे में जाती होगी। वैसे यह सच है कि चायपत्ती आसानी से डीकम्पोज हो जाती है इसलिए अगर लैंडफिल में जाए तो कोई परेशानी की बात नहीं है। पर सवाल यह है कि क्या इसे फिर से इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता है?
इसका जवाब है, हाँ। हम चायपत्ती को दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं और वह भी बहुत से अच्छे काम में। उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में गार्डनिंग करने वाले ब्रह्मदेव कुमार काफी समय से चाय पत्ती को खाद के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। जी हाँ, आप चायपत्ती को पेड़-पौधों के लिए पोषक खाद बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। ब्रह्मदेव बताते हैं कि चायपत्ती को इस्तेमाल करके अक्सर लोग फेंक देते हैं लेकिन अगर वह चाहें तो इससे अपने घर की हरियाली को कई गुना बढ़ा सकते हैं।
ब्रह्मदेव ने द बेटर इंडिया को बताया, “चायपत्ती में 4% नाइट्रोजन होता है और पोटासियम, फॉस्फोरस भी होता है। साथ ही, इसमें बहुत से माइक्रोनुट्रिएंट भी होते हैं। इसे पौधों में डालने से पौधों को नाइट्रोजन भरपूर मात्रा में मिलती है। अगर आप इसे मिट्टी में मिलाते हैं तो लाभदायक माइक्रोऑर्गैनिस्म भी इनमें पनपते हैं।”
चाय की पत्ती को या तो आप दूसरे गीले कचरे के साथ मिलाकर खाद बना सकते हैं या फिर आप सिर्फ चायपत्ती की भी खाद बना सकते हैं। इसे बनाने का तरीका बहुत ही आसान है। ब्रह्मदेव बताते हैं कि आपको चायपत्ती से खाद बनाने में ज़्यादा कोई मेहनत नहीं करनी होती है। बस आपको इसे स्टोर करना है लेकिन इसका भी एक तरीका है।
क्या-क्या चाहिए:
- इस्तेमाल चायपत्ती
- मिट्टी का घड़ा
- ढकने के लिए कोई ढक्कन
- घड़े में छेद करने के लिए कोई नुकीली चीज़
प्रक्रिया:
ब्रह्मदेव कहते हैं कि चाय बनाने के बाद जो चाय पत्ती बचती है, उसमें अदरक, तुलसी और इलायची जैसे हर्ब्स होते हैं। साथ ही, इसमें दूध और चीनी की भी कुछ मात्रा होती है। हर्ब्स पौधों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाते लेकिन दूध की वजह से बदबू हो सकती है और चीनी की वजह से चींटियां लग सकती हैं। इसलिए सबसे पहले दिन भर की चायपत्ती को एक जगह इकट्ठा करते रहें। फिर इसे पानी से धो लें।
- चायपत्ती को पानी से धोने के बाद अच्छे से निचोड़ लें।
- अब इसे एक मिट्टी के घड़े में डाल दें।
- वैसे तो मिट्टी के बर्तन पहले ही पोरस होते हैं लेकिन फिर भी अगर आप चाहें तो एक-दो छेद हवा के आवागमन के लिए कर सकते हैं।
- इस घड़े को आप किसी ढक्कन से ढक दें और इसे ऐसी जगह रखें जहाँ सीधी धूप न पड़ती हो और न ही यह बारिश में भीगे।
- हर रोज़ आप चायपत्ती इस्तेमाल के बाद पानी से धोकर और निचोड़कर इसमें डालते रहें।
“आपको बाकी और कुछ डालने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि चायपत्ती खुद ही बहुत जल्दी डीकम्पोज होने लगती है,” ब्रह्मदेव ने कहा।
- जब एक घड़ा चायपत्ती से भर जाए तो इसे साइड में रखकर, दूसरे किसी घड़े में चायपत्ती डालना शुरू करें।
- लगभग एक-डेढ़ महीने बाद जब आप पहले घड़े को देखेंगे तो उसमें ऊपर आपको सफ़ेद रंग की परत दिखेगी, जो फंगस है और उससे ही चायपत्ती खाद बनने लगती है।
- चाय की पत्ती से खाद बनने में लगभग ढाई-तीन महीने लग जाते हैं।
- इतने दिन बाद आप जब घड़े को देखेंगे तो मिलेगा कि इसमें इकट्ठी की गयी चायपत्ती सुखकर लगभग आधी हो चुकी है।
- अब इस खाद को आप घड़े से निकालकर धूप में सूखा सकते हैं।
- चाहें तो इसे मिक्सर में हल्का सा ग्राइंड करके इस्तेमाल करने या फिर सीधा मिट्टी में मिलाकर पॉटिंग मिक्स तैयार कर लें।
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संपादन – जी. एन झा
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