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क्या आपके दिमाग में कभी यह ख्याल आया है कि बरसात के दिनों में सोलर एनर्जी से एयर कंडीशनर चला सकते हैं या नहीं? YouTuber मयंक चौधरी ने अपने चैनल, 'डिस्कवर विद मयंक' पर इसके बारे में विस्तार से बताया है।
मयंक कहते हैं, "हां, आप सोलर एनर्जी से चलने वाले एयर कंडीशनर और कई दूसरे उपकरणों व गैजेट्स को छांव या बारिश के समय भी चला सकते हैं।"
इसके लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि सोलर पैनलों की बाहरी सतह का रख-रखाव अच्छी तरह से हो और उन पर धूल न जमे। ऐसा करने से बिजली का उत्पादन स्थिर रहता है।
सोलर पैनल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सोलर एनर्जी या सूरज की रोशनी का इस्तेमाल करते हुए बिजली उत्पन्न कर सकते हैं, हालांकि प्रत्यक्ष सूर्य के प्रकाश में वे सबसे प्रभावी रूप से काम करते हैं। लेकिन सोलर पैनल तब भी काम करते हैं, जब प्रकाश प्रतिबिंबित होता है या बादल आंशिक रूप से उन्हें ब्लॉक करते हैं।
जिस दिन बादल घिरे होते हैं, उन दिनों आमतौर पर सोलर पैनल सामान्य स्थिति की तुलना में 30 से 50 प्रतिशत ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, जबकि भारी बारिश के दिन बिजली उत्पादन का अधिकतम स्तर 10 से 20 प्रतिशत के बीच होता है।
मयंक कहते हैं कि सबसे पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके घर में सौर पैनल, ग्रिड से जुड़े हों, तब यह बारिश के दिनों में भी एयर कंडीशनर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का उपयोग करने में मदद करेगा।
ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम का उपयोग करना
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ऑन-ग्रिड या ग्रिड-टाईड सोलर सिस्टम, एक ऐसा सिस्टम है, जो ग्रिड के साथ काम करता है। इसका मतलब है कि बिजली की अधिकता या कमी को नेट मीटरिंग के ज़रिए ग्रिड में फीड किया जा सकता है। कई रेजिडेंशियल यूज़र, ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम का विकल्प चुन रहे हैं, क्योंकि ऐसा कर उन्हें अपने सिस्टम द्वारा बनाई गई अतिरिक्त बिजली और अपने बिजली बिलों की बचत करने का मौका मिलता है।
नेट मीटरिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें बिजली बोर्ड सोलर एनर्जी उत्पन्न और खपत करने वाले घरों का ट्रैक रखता है। यह कंस्यूमर को खपत के बाद, बचे हुए सोलर एनर्जी को राज्य के पावर ग्रिड को देने की अनुमति देता है।
सोलर एनर्जी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने के लिए किन बातों का रखें ध्यान
- सोलर पैनल लगाने से पहले देखें कितनी आती है धूप:
सोलर पैनल लगाने से पहले शैडो एनालिसिस यानी छाया का विश्लेषण करवाना ज़रूरी होता है। इससे सुनिश्चित हो पाएगा कि आपको सोलर एनर्जी का ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले। ऊंचे पेड़ों या इमारतों से घिरी जगह पर सोलर पैनल लगाने से बचें। सुनिश्चित करें कि सोलर पैनलों के रास्ते में कोई सीधी रुकावट न हो। पहले को ऐसी जगह पर लगाएं, जहां सबसे कम छाया हो औऱ धूप अधिक आती हो।
- सोलर पैनल लगाने से पहले, बेहतर पैनलों पर रिसर्च करें:
हाइब्रिड सोलर पैनल लगाने पर विचार करें। इन्हें ऑल वेदर सोलर पैनल के नाम से भी जाना जाता है, जो धूप और बारिश, दोनों से बिजली पैदा करते हैं। ये पैनल छतों पर भी लगाए जाते हैं, वे दिन के दौरान सूरज की रोशनी से अपना काम करते हैं और जब बारिश होती है, तो इसकी सतह पर गिरने वाले बारिश के पानी के फोर्स से भी बिजली बनाते हैं।
- पैनलों को साफ रखें:
सोलर पैनलों की सतह को साफ रखने से अधिक धूप को अवशोषित करने में मदद मिलेगी। इससे बिजली का उत्पादन भी बढ़ेगा। वातारण में पाए जाने वाला और सोलर पैनलों पर जमा पार्टिकुलेट मैटर( धूल, ब्लैक कार्बन और बायोमास बर्निंग व जीवाश्म ईंधन से निकलने वाला ऑर्गेनिक कार्बन) भारत में सोलर एनर्जी उत्पादन में लगभग 17 प्रतिशत की कमी के लिए जिम्मेदार है।
मूल लेखः विद्या राजा
संपादनः अर्चना दुबे
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