30 मई 2022 को, UPSC ने सिविल सेवा परीक्षा 2021 के परिणामों की घोषणा की। इस परीक्षा में जो सफल रहे, वे अभी भी अपनी कामयाबी का जश्न मना रहे हैं, जबकि कई यूपीएससी की तैयारी करने वाले जो इस साल चूक गए, उन्होंने अपने अगले प्रयास की योजना पहले ही बना ली होगी। दूसरी ओर पिछले कुछ सालों में, यूपीएससी कोचिंग इंस्टीट्यूट की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है, जो छात्रों की सफलता का श्रेय लेने की रेस में शामिल हैं।
जैसे ही परीक्षा के परिणाम घोषित हुए, टॉपर्स के साथ टीवी इंटरव्यू, फोटो सेशन और बेसब्री से इंतजार कर रहे उम्मीदवारों के लिए टॉपर्स के गेस्ट लेक्चर का सिलसिला शुरू हो गया।
और हो भी क्यों न, आखिर अब यह एडमिशन का सीज़न है और नए उम्मीदवारों को आकर्षित करने के लिए टॉप रैंक का दावा करने से बेहतर तरीका क्या हो सकता है?
अगर आप समाचार या मुख्य रूप से, अखबारों में विज्ञापनों को देखते होंगे, तो पाएंगे कि हर दूसरा आईएएस कोचिंग इंस्टीट्यूट दावा कर रहा है कि परीक्षा में सफल होने वाले टॉप 5 या टॉप 10 रैंक होल्डर्स उनके ही यहां से हैं। पिछले साल के टॉप रैंकर्स की तस्वीरों में से एक छात्र की तस्वीर तो दिल्ली से बेंगलुरु तक के कोचिंग संस्थानों में चिपका दी गई थी। ऐसे विज्ञापन देखकर लगता है कि कुछ तो गड़बड़ है।
तो, अब सवाल यह है कि कोचिंग इंस्टीट्यूट्स, रैंक का दावा कैसे करते हैं और अपनी मेहनत की कमाई इन कोचिंग सेंटर्स में देने से पहले यूपीएससी की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स कैसे वेरिफाई कर सकते हैं कि कोचिंग सेंटर का दावा सच है या नहीं?
यूपीएससी कोचिंग इंस्टीट्यूट की आम टैक्टिक्स
कई कोचिंग संस्थान, विशेष रूप से ऑनलाइन क्लास चलानेवाले, अक्सर उन लोगों को फ्री में रिकॉर्ड किए गए वीडियोज़ देते हैं, जिन्होंने कम से कम एक बार मेन्स परीक्षा दी हो। इसका कारण यह है कि उनके फिर से परीक्षा पास करने की संभावना अधिक होती है और वास्तविक ऑफ़लाइन क्लास चलाने वालों से उलट, रिकॉर्ड किए गए वीडियोज़ मुफ्त देने के लिए उन्हें कुछ भी अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ता है।
रिकॉर्ड किए गए वीडियोज़ के लिए उन्हें केवल एक बार के निवेश करना होता है और फिर इन्हें सामूहिक रूप से वितरित किया जा सकता है। एक छात्र के रूप में, जब हम पढ़ाई, डेडलाइन और दबाव से जूझ रहे होते हैं, उस समय कोई चीज़ मुफ्त में मिलती है, तो हम उसे स्वीकार कर लेते हैं।
अगर ये छात्र परीक्षा पास कर लेते हैं, तो क्या ऐसे संस्थानों के लिए उनकी सफलता का दावा करना उचित है? यह पता लगाने का कोई तरीका नहीं है कि वीडियो से उम्मीदवार को फायदा हुआ या नहीं, जब तक कि वह विशेष रूप से इसका उल्लेख नहीं करता है। यह ठीक वैसा ही है जैसे कि मैं एक उम्मीदवार को मुफ्त में एक किताब दे दूं और बाद में उसकी सफलता पर दावा करूं।
फ्री मॉक इंटरव्यू कराकर यूपीएससी कोचिंग इंस्टीट्यूट करते हैं दावा
एक और टैक्टिक्स है- फ्री मॉक इंटरव्यू। प्रीलिम्स परीक्षा में सफलता दर बहुत कम है, प्रीलिम्स देने वालों में से 2 प्रतिशत से भी कम लोग मेन्स परीक्षा में सफल होते हैं, जबकि इंटरव्यू स्टेज में सफलता दर लगभग 40 प्रतिशत होती है। इसलिए, मेन्स की परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों को मुफ्त मॉक इंटरव्यू की पेशकश करना आम बात है। कई बार ये फ्री मॉक इंटरव्यूज़ उस स्तर के नहीं होते, जो परीक्षा में सफल होने के लिए चाहिए।
लेकिन जब परिणाम घोषित किए जाते हैं, तो ये कोचिंग संस्थान टॉप रैंक का दावा करते हैं और उन वास्तविक संस्थानों को श्रेय देने से इनकार करते हैं, जिन्होंने तैयारी में उम्मीदवारों की असल में मदद की। उम्मीदवारों को आमतौर पर परीक्षा की तैयारी के लिए एक साल का समय लगता है और बाद में परीक्षा तीन चरणों में 11 महीने में आयोजित की जाती है, जिससे यह 2 साल की प्रक्रिया बन जाती है।
दूसरी ओर, मॉक इंटरव्यू 30 मिनट की प्रक्रिया है, जो यूपीएससी की तैयारी करने पर खर्च किए गए समय का एक अंश मात्र है। इसके अलवा, यह उम्मीदवारों द्वारा उनके वर्षों के प्रयास को कम करके उनकी कड़ी मेहनत और प्रयास का भी अनादर करना है। कई कोचिंग संस्थान उम्मीदवारों को वॉक-इन के दौरान व्यक्तिगत जानकारी देने के लिए मजबूर करते हैं।
ऐसा कई ई-संस्थान भी करते हैं, जो उम्मीदवारों को किसी भी कोर्स से संबंधित जानकारी तक पहुंचने के लिए वेबसाइटों पर उनके नाम और संपर्क विवरण के साथ रजिस्ट्रेशन करने के लिए मजबूर करते हैं। उम्मीदवारों की जानकारी स्टोर की जाती है और बाद में रिजल्ट का दावा करने के लिए उपयोग की जाती है।
यूपीएससी कोचिंग इंस्टीट्यूट का गुडविल जेस्चर के ज़रिए दावा

कुछ यूपीएससी कोचिंग इंस्टीट्यूट ने एक ऐसी प्रथा बनाई है, जहां वे उन यूपीएससी की तैयारी करनेवालों को आमंत्रित करते हैं जो अपने इंटरव्यू का इंतजार कर रहे हैं और ‘गुडविल जेस्चर’ और ‘प्रेरणा’ के रूप में उन्हें मोमेंटो या गुलदस्ता भेंट करते हैं। कई बार यह मॉक इंटरव्यू के समय भी किया जाता है। बाद में इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर इस तरह प्रसारित किया जाता है, जैसे कि उम्मीदवार की सफलता के पीछे वे ही थे।
तो अब एक और अहम सवाल है कि यह वास्तविक संस्थानों और उम्मीदवारों को कैसे प्रभावित करता है?
कई कोचिंग संस्थान ईमानदार हैं और कड़ी मेहनत के बाद एक मुकाम पर पहुंचे हैं। प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता कमाने में उनका काफी पैसा, समय और ऊर्जा लगी होगी। ऐसे संस्थान यूपीएससी की तैयारी करनेवालों के साथ अंत तक रहते हैं और रिसोर्स, मेटेरियल, स्कॉलरशिप, सही मार्गदर्शन के साथ उनका समर्थन करते हैं और भावनात्मक रुप से सहारा भी देते हैं। उनके क्रेडिट को छीनना और उस पर अपना दावा करना ग़लत है।
बिज़नेस भी नैतिकता के साथ होना चाहिए
जब कुछ यूपीएससी कोचिंग इंस्टीट्यूट शॉर्टकट अपनाते हैं, तो यह कोचिंग इंडस्ट्री में वास्तविक संस्थानों को भी हतोत्साहित करता है और उन्हें अनैतिक साधनों का सहारा लेने के लिए मजबूर करता है। बेशक, कोचिंग एक बिज़नेस बन गया है, लेकिन बिज़नेस भी नैतिकता के बिना नहीं होना चाहिए।
इसके अलावा, अगर अच्छे, मेहनती संस्थानों को वह पहचान नहीं मिलती, जिसके वे हकदार हैं, तो इसका सबसे ज्यादा प्रभाव यूपीएससी की तैयारी करनेवालों पर पड़ेगा, क्योंकि उन्हे गुणवत्ता/सही मार्गदर्शन देने वाले नहीं होंगे।
हाल ही की एक घटना दिमाग में आती है, जहां एक कोचिंग संस्थान ने दो दर्जन से अधिक परिणामों का क्रेडिड ले लिया। मज़े की बात तो यह है कि यह बमुश्किल छह महीने पुराना है और यूपीएससी की पूरी परीक्षा प्रक्रिया में ही 11 महीने लग जाते हैं। अन्य संस्थानों के परिणामों पर दावा करना एक शैक्षणिक संस्थान को नष्ट करना है। यह और कुछ नहीं बल्कि उम्मीदवारों के पूरे समुदाय और उन वास्तविक संस्थानों के लिए नुकसान है।
अगर यह अनैतिक प्रथा जारी रहती है, तो कई उम्मीदवार, खासतौर पर गरीब और ग्रामीण पृष्ठभूमि के नए और भोले-भाले उम्मीदवार (यूपीएससी की तैयारी करनेवाले) ऐसे संस्थानों के झूठे दावे के जाल में फंसते जाएंगे। ऐसे उम्मीदवारों को न केवल शुरू से ही खराब मार्गदर्शन प्राप्त होगा, बल्कि उन्हें इस सच्चाई का एहसास होने में भी कुछ साल लगेंगे और तब तक वह अपने मेहनत की कमाई और कीमती समय का नुकसान कर चुके होंगे।
क्या किए जाने की ज़रूरत है?
आज का समय इंटरनेट का है। इसके अलावा, कई तरह के दूसरे सोर्स भी उपलब्ध हैं। ऐसे में यह संभावना बहुत कम है कि एक उम्मीदवार ने किसी यूपीएससी कोचिंग इंस्टीट्यूट की सामग्री का उपयोग नहीं किया होगा।
ऐसे में टॉपर्स का यह कर्तव्य है कि वे सार्वजनिक रूप से इस बात की जानकारी दें कि किस कोर्स और किस संस्थान ने उनकी सफलता को संभव बनाया है। यह आभार प्रकट करने का सबसे अच्छा तरीका होगा और इसे सोशल मीडिया के माध्यम से आसानी से किया जा सकता है।
परीक्षा पास करने वालों को भी कई कोचिंग संस्थानों द्वारा भाषण/वार्ता देने के अनुरोधों को स्वीकार करने से पहले सावधान रहना चाहिए और यह स्पष्ट होना चाहिए कि किसी भी तरह के भाषण को संस्थान दूसरे तरीके से इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
दूसरी ओर, कोचिंग संस्थान, सफल उम्मीदवारों के डिटेल्स उनके कोर्स के साथ प्रकाशित कर सकते हैं, ताकि सब कुछ खुला और स्पष्ट हो।
अंत में, यह यूपीएससी की तैयारी करनेवालों का कर्तव्य है कि कहीं भी एडमिशन लेने से पहले संस्थानों की विश्वसनीयता को वेरिफाई करें।
ये कुछ पॉवइंट्स हैं, जो सही कोचिंग संस्थान चुनने में मदद कर सकते हैं:
- डेमो क्लास का अनुरोध करें।
- संस्थान के पूर्व छात्रों से बात करें और उनके द्वारा प्रदान की गई सामग्री का अध्ययन करें।
- इंटरनेट पर उनके रिव्यू देखें।
- अगर संभव हो, तो टॉपर्स के साथ वेरिफाई करें कि क्या उनके परिणाम का दावा करने वाले संस्थान ने वास्तव में उनकी सफलता में सहायता की है।
- परीक्षा को क्रैक करना कठिन है, लेकिन सही मार्गदर्शन से यह आसान हो जाता है। सुनिश्चित करें कि आपको सही गुरू और मार्गदर्शन मिले।
संपादनः अर्चना दुबे
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