Site icon The Better India – Hindi

27 लाख में बन गया स्टाइलिश और टिकाऊ घर! न प्लास्टर लगा, न पेंट

Eco friendly homes in kerala

केरल के कोचीन में रहने वाले अजय एबे और तारा पंडाला पेशे से आर्किटेक्ट है। इस दंपति का उद्देश्य लोगों के लिए पर्यावरण के अनुकूल किफायती घर बनाना है। इसलिए वे घर निर्माण की अलग-अलग तकनीकों पर काम कर रहे हैं ताकि आम लोग भी अपने बजट में सस्टेनेबल घर बनवा पाएं। साल 2020 में उन्होंने अपने  परिवार के लिए एक घर बनाया, जो हर तरह से प्रकृति के करीब है। साथ ही, वे इस घर को ‘वोकल फॉर लोकल’ का उदाहरण भी बताते हैं क्योंकि इसे बनाने में उन्होंने स्थानीय कामगारों को लगाया और लगभग सभी रॉ मटीरियल भी लोकल जगहों से लिया गया। 

तारा ने द बेटर इंडिया को बताया, “हम हमेशा से ही किफायती खर्च में प्रकृति के अनुकूल घर-निर्माण की सोच रखते हैं। अगर ‘ग्रीन सर्टिफाइड घर’ की बात करें तो इसमें बहुत खर्च आता है। इसलिए हमारी कोशिश है कि हम इन रेटिंग्स में न पड़कर लोगों की जरूरत के हिसाब से कम से कम साधनों में घर का निर्माण करें। यह घर हम अपने ही परिवार के लिए बना रहे थे तो हमें कुछ अलग प्रयोग करने की छूट भी थी। इसलिए हमने सोचा कि हम इस घर को इस तरह बनाएंगे कि यह दूसरे लोगों के लिए एक मॉडल की तरह होगा।” 

साल 2020 की शुरुआत में बनकर तैयार हुए इस घर की नींव सामान्य तरीके से नहीं बनी है और न ही सामान्य तरह की ईंटों का इस्तेमाल हुआ है। घर के निर्माण में सीमेंट का प्रयोग सामान्य से 67% तक कम तो वहीं स्टील का 75% तक कम इस्तेमाल हुआ है। घर को तैयार होने के बाद फिनिशिंग के लिए किसी पेंट या पुट्टी की जरूरत नहीं पड़ी। बल्कि उन्होंने बिना प्लास्टर के ही दीवारों पर मिट्टी के गारे से पेंट कर दिया। किफायती और प्रकृति के अनुकूल होने के साथ-साथ इस घर में जगह की भी बहुत ज्यादा बचत हुई है। 

Family in their Eco-Friendly Home

कम साधनों में ज्यादा अच्छा काम 

अजय कहते हैं, “अक्सर लोग घर की नींव बनाने में ही काफी ज्यादा मात्रा में ग्रेनाइट, रेत और सीमेंट का प्रयोग कर लेते हैं। जमीन के अंदर जितनी नींव बनाई जाती है, लगभग उतनी ही ऊंचाई पर जमीन के ऊपर भी नींव बनाई जाती है। इस नींव को भरने के बाद घर का निर्माण शुरू होता है। लेकिन हमने अपने इस घर में जमीन के ऊपर की इस नींव को भरने की बजाय इसे ‘स्टिल्ट फ्लोर‘ का रूप दिया है।” 

उन्होंने बताया, “हमने जमीन के ऊपर नींव को भरने की बजाय, बीम का इस्तेमाल किया है। बीम्स को प्लास्टर की मदद से आपस में जोड़ा गया है। दीवारों को जोड़ने के लिए पाइप का इस्तेमाल किया है और फिर तार की जाली लगाई गयी हैं। इस कारण, इस जगह को लोग जानवर रखने के लिए, या फिर किसी अन्य काम जैसे मछली पालन या हाइड्रोपोनिक आदि के लिए इस्तेमाल में ले सकते हैं।” 

स्टिल्ट फ्लोर के ऊपर स्लैब बनाने में कम से कम स्टील, सीमेंट या ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया गया है। इसमें प्लास्टिक, कांच जैसी चीजों का भी इस्तेमाल हुआ है। उन्होंने बताया कि इस काम में सिर्फ एक मिस्त्री और दो मजदूरों की जरूरत पड़ी और मात्र दो दिनों में यह काम हो गया। साथ ही, इस तकनीक में सीमेंट, रेत और पानी का भी 60% तक कम प्रयोग हुआ है। 

Stilt Floor to use for many activities

बात अगर अब दीवारों की करें तो उन्होंने बताया, “हमने दीवारों के निर्माण के लिए AAC ब्लॉक का इस्तेमाल किया है। इन ब्लॉक से बनी दीवार कम जगह लेती है और सामान्य ईंटों की तरह इन्हें किसी भी तरह के जल शोधन (water curing) की जरूरत नहीं पड़ती है। साथ ही, इन ब्लॉक्स को आसानी से कटर से काटा जा सकता है, इसलिए प्लंबिंग और इलेक्ट्रिक तार डालने के काम में भी कोई परेशानी नहीं आती है।” 

फर्श के लिए उन्होंने पीली ऑक्साइड टाइल्स का प्रयोग किया है और उनकी छत मल्टीलेयर है। उन्होंने बताया, “छत को बनाने के लिए स्टील फेब्रिकेशन का इस्तेमाल किया है। सबसे नीचे GI (गैल्वनाइज्ड आयरन) फ्रेम है और इसके ऊपर GI शीट और फिर पुरानी मिट्टी की टाइल्स को लगाया गया है। अगर भविष्य में हमें कभी सौर पैनल लगवाने हो तो हमें बस कुछ टाइल्स हटानी होंगी और छत में ही सौर पैनल फिट हो जायेंगे।” 

हर तरफ से वातानुकूलित है यह घर 

Interior part of the house

अजय और तारा कहते हैं कि उनके घर में ऊपर से लेकर नीचे तक अच्छा वेंटिलेशन है। उन्होंने स्टिल्ट फ्लोर को एकदम बंद नहीं किया है बल्कि तार की जाली इस्तेमाल की हैं, जिस कारण हवा का अच्छा बहाव होता है। इसके अलावा, ग्राउंड फ्लोर पर, घर में घुसते ही एक कॉमन बैठने की जगह है। इसके बाद, ड्राइंग रूम, लिविंग रूम, डाइनिंग रूम, कॉमन बाथरूम और रसोई है। ग्राउंड फ्लोर पर दो बैडरूम भी हैं, जिनमें से एक रूम में बाथरूम अटैच हैं।

पहले फ्लोर पर एक बैडरूम, जिसमें बाथरूम अटैच है और खुली छत है। खुली कांच की खिड़कियों की पारंपरिक शैली से हटकर, स्टेनलेस स्टील जाली का उपयोग खिड़की के फ्रेम के रूप में किया गया है। जाली के माध्यम से हवा का निरंतर प्रवाह घर के तापमान को संतुलित रखता है। 

खिड़कियों के ऊपर उन्होंने सीमेंट की बजाय मेटल के छज्जे बनाए है। साथ ही घर में लकड़ी के काम के लिए ज्यादातर पुरानी लकड़ी को फिर से इस्तेमाल में लिया गया है। दीवारों पर कोई प्लास्टर नहीं है और मल्टी-लेयर छत के कारण भी घर का तापमान हमेशा संतुलित रहता है।

Used metal chhajja over windows and oxide tiles for floor

इस दंपति का दावा है कि गर्मियों में उनके घर का तापमान बाहर के तापमान से लगभग आठ डिग्री तक कम रहता है। इस कारण घर में एसी-कूलर चलाने की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है। इसके अलावा ऑक्साइड टाइल्स की वजह से घर का फर्श भी एकदम ठंडा रहता है कि आप चाहें तो नीचे ही सो जाएं। 

अजय के पिता, अब्राहम कहते हैं, “पिछले साल लॉकडाउन लगने से लगभग दो महीने पहले हम इस घर में आ गए थे। अब हम रिटायर हो गए हैं तो हमारे पास काफी समय है अलग-अलग चीजें करने के लिए। इस घर में जगह का काफी जगह है तो हम बहुत कुछ कर सकते हैं जैसे स्टिल्ट फ्लोर को हम बागवानी और पशु पालन के लिए इस्तेमाल में ले रहे हैं। इसके अलावा, घर का तापमान बिना किसी एसी-कूलर के ही इतना अच्छा रहता है कि हमें बहुत आराम लगता है और घर पर आने वाले मेहमानों को हैरानी भी होती है।” 

अपने नए प्रोजेक्ट्स के लिए अजय और तारा अपने खुद के घर को एक मॉडल की तरह पेश कर रहे हैं। ताकि वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनके बजट में इको फ्रेंडली घर बनाकर दे सकें। अगर आप भी इस दंपति के घर के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो उन्हें ajayabey@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

यह भी पढ़ें: मिट्टी से बने इस घर में, नहीं पड़ती एसी-कूलर की जरूरत

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Exit mobile version