कहते हैं कुछ सीखने की कोई उम्र नहीं होती। ज़रूरत होती है तो बस सीखने की चाह और लगन की। अगर इंसान में ये खूबियाँ हैं तो किसी भी उम्र में कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। जैसे चंडीगढ़ की 94 वर्षीय दादी हरभजन कौर ने किया, 90 की उम्र में अपना बिज़नेस शुरू करके या फिर हम उन लोगों के बारे में बात कर सकते हैं, जिन्होंने बुढ़ापे में अपनी पढ़ाई पूरी करने की ठानी है।
वक़्त बदल रहा है और अब हमारे बड़े-बुजुर्ग ढलती उम्र में भी खुद को एक्टिव और बिजी रखते हुए, हमें यानी कि अपनी युवा पीढ़ियों को प्रेरणा दे रही हैं। आज द बेटर इंडिया आपको एक और 90 वर्षीया दादी की दिल छूने वाली कहानी बता रहा है।
हाल ही में, केरल के त्रिशुर में रहने वाले अरुण थॉमस ने अपनी दादी, मैरी मैथ्यू की एक तस्वीर साझा की, जिसमें वह लैपटॉप पर ऑनलाइन खबरें पढ़ रहीं थीं। उन्होंने तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि उनकी दादी अखबार पढ़ने के लिए लैपटॉप चलाना सीख रही हैं और नियमित तौर पर अख़बार पढ़ती हैं। अरुण से इस बारे में बात करने पर पता चला कि कोविड-19 के चलते यह हुआ है।
वह बताते हैं, “जैसे ही कोविड-19 की खबर आइन और यहाँ लॉकडाउन हो गया तो कुछ समय बाद ही सोसाइटी में लोगों ने अखबार लेना भी बंद कर दिया। दादी को हर रोज़ अखबार पढ़ने की आदत है और इसके बिना उनका दिन ही पूरा नहीं होता।”
दादी उस दौर में जन्मी और पली-बढ़ी हैं, जब हर जगह देश-दुनिया को जानने का सहारा अखबार हुआ करता था। जगह-जगह हर गली-नुक्कड़ पर लोग अखबार पढ़ते नज़र आते थे। आज भी अगर हम अपने आस-पास थोड़ा ध्यान दें तो ज़्यादातर हम सबके बड़े-बुजुर्ग टीवी या ऑनलाइन से पहले अखबार पढ़ना पसंद करते हैं। वो सिर्फ हैडलाइन ही नहीं पढ़ते बल्कि अखबार की हर एक खबर को पूरा और अच्छे से पढ़ते हैं। एक दिन भी अगर अखबार न आए तो उन्हें अपने दिन में कुछ खाली-खाली सा लगता है।
ऐसा ही कुछ, दादी के साथ भी हो रहा था। घर में अखबार न आने से वह परेशान थीं तो अरुण के भाई ने उन्हें लैपटॉप पर खबरें पढ़ने की सलाह दी। शुरू में तो वह पूरा वक़्त उनके पास बैठकर उनके लिए लैपटॉप ऑपरेट करते, जब तक कि वह ऑनलाइन अखबार पढ़तीं। लेकिन फिर धीरे-धीरे उन्होंने दादी को लैपटॉप ऑपरेट करना सिखाना शुरू किया।
“दिलचस्प बात यह है कि वह खुद अखबार नहीं पढ़तीं हैं बल्कि हम सबको पढ़कर सुनातीं हैं। शुरू में तो कोई न कोई उनके साथ बैठता था लेकिन अब बस उन्हें लैपटॉप पर अखबार खोलकर देना होता है। बाकी इसे दाएं-बाएं, ऊपर-नीचे वह खुद स्क्रोल करतीं हैं और पन्ने बदलतीं हैं। अब उन्होंने लैपटॉप को शट डाउन करना भी सीख लिया है,” अरुण ने आगे बताया।
10वीं कक्षा तक पढ़ी मैरी ने ज़्यादातर अपना जीवन खेती-बाड़ी करते हुए बिताया है। पेड़-पौधे लगाना, उनकी देखभाल करना, यह सब उन्हें बहुत पसंद था। लेकिन अब ढलती उम्र की वजह से यह काम कम हो गए। ऐसे में, उन्होंने पढ़ने की आदत बना ली। अखबार के अलावा वह तरह-तरह की किताबें भी पढ़ती हैं और जो किताबों में पढ़ती हैं, उसे फिर एक अलग नोटबुक में लिखतीं हैं।
अरुण कहते हैं कि भले ही वह किताबों से देखकर ही लिखतीं हैं लेकिन उनके लिखने की आदत इससे बनी हुई है। आज के जमाने में जहां युवा लोग तकनीक के चलते लिखना तो जैसे भूल रहे हैं, वहीं दादी पुराने और नए के बीच तालमेल बनाने की कोशिश में हैं।
अरुण एक इंजीनियर हैं और हैदराबाद में काम करते हैं। फ़िलहाल, वह घर से अपना काम कर रहे हैं। जब उन्होंने अपने भाई से दादी को लैपटॉप सीखते देखा तो पहले तो उन्हें काफी हैरानी हुई। लेकिन फिर उन्होंने देखा कि यह सिर्फ उनकी एक-दो दिन का शौक नहीं है बल्कि पूरे दिल से वह यह सीख रही हैं।
अरुण ने रेडिट के ज़रिए इस बारे में पोस्ट किया और वहां पर बहुत से लोगों ने इसे प्रेरणादायी बताते हुए कमेंट किया। एक यूजर ने लिखा, ‘इस पोस्ट के लिए शुक्रिया, इससे मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गई! इससे मुझे हौसला मिला है खुद को चैलेंज करते रहने का और अपे लक्ष्य को पाने को।”
अरुण ने जब इस पोस्ट के वायरल होने के बारे में और लोगों के कमेंट्स के बारे में उन्हें बताया तो वह बहुत हैरान हुईं। क्योंकि उन्हें लगा कि वह ऐसा कोई बड़ा काम नहीं कर रही हैं जो सब उनकी तारीफ कर रहे हैं।
“सबको ख़ुशी से और शांति से रहना चाहिए। आप खुश हैं और मन में शांति है तो इससे ज्यादा और किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं होती। बाकी सब इसके बाद आता है,” अंत में सबके लिए दादी बस यही एक सन्देश देती हैं। बेशक, मैरी मैथ्यू हम सबके लिए प्रेरणा हैं कि आप कभी भी कुछ भी सीख सकते हैं और वक़्त के हिसाब को खुद को ढालते रहना चाहिए।
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