Site icon The Better India – Hindi

माता-पिता के कैंसर को देख बेटे ने शुरू किया आर्गेनिक फूड बिजनेस, जुड़े हैं 12000+ ग्राहक

Parents Cancer

कर्नाटक के बेंगलुरू में रहने वाले 30 वर्षीय आकाश के. सजीत अपनी जिंदगी को हँसी-खुशी जी रहे थे। लेकिन, साल 2017 में उनकी जिंदगी बदल गई। इस साल, आकाश के माता-पिता, दोनों को कैंसर (Parents Cancer) हो गया था और यहीं से शुरू हो गया उनके जीवन में संघर्ष। 

यह घटना आकाश के लिए एक झटके के समान थी, क्योंकि उनके माता-पिता अपने खाने-पीने को लेकर काफी सतर्क थे और वह नियमति रूप से योगा और मार्निंग वॉक भी करते थे। इसके एक साल बाद, उनके पिता का निधन हो गया और उनकी माँ उनके भाई के साथ, बेहतर इलाज के उद्देश्य से अमेरिका चली गई।

इस अपूरणीय क्षति से उबरते हुए, आकाश ने कई चिकित्सा पत्रिकाओं, डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों का अध्ययन करने के साथ ही, कई शिक्षाविदों से भी बातचीत की, जिससे उन्हें भोजन और जलवायु परिवर्तन के उस कड़ी को जोड़ने में मदद मिली, जिससे लोग खतरनाक बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं।

आकाश

आकाश ने द बेटर इंडिया बताया, “एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में 51 प्रतिशत खाद्य पदार्थ कीटनाशक अवशेषों से युक्त होते हैं। ये आँकड़े आँखें खोलने वाले थे, लेकिन इससे ज्यादा हैरानी मुझे इस बात से थी कि आज के दौर में ताजा और जैविक भोजन, आम इंसान की पहुँच से इतनी दूर कैसे है।”

“माइक्रोग्रीन्स हमारी प्रतिरक्षा तंत्र को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। लेकिन, इसके बारे में ज्यादा लोगों को पता नहीं है। दूसरों की तरह, मैंने भी कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि मेरा भोजन कहाँ से आ रहा है। मैंने इन्हीं अंतरों को मिटाने के लिए साल 2018 में लिविंग फूड कंपनी की शुरूआत की,” वह आगे बताते हैं।

करीब 2 साल पुरानी यह फूड कंपनी ‘फार्म टू फार्क’ के सिद्धांत पर काम करती है और ताजा सब्जियां, बेक्ड ब्रेड, आदि सीधे अपने ग्राहकों के दरवाजे तक पहुँचाती है।

फिलहाल, यह फर्म अपने ग्राहकों को 15 प्रकार के उत्पादों को पेश करती है, जिसमें माइक्रोग्रीन्स, शाकाहारी डेसर्ट, सलाद, नेचुरल ऑयल, ब्रेड, सुपरफूड और मसाले शामिल हैं।

इसके पूरे शहर में 12000 से अधिक ग्राहक और लगभग 12 सर्टिफाइड वेंडर हैं, जो बिना किसी रसायन के उत्पादों को तैयार करते हैं।

आकाश बताते हैं, “हमारे सप्लाई चैन में स्टोरेज के लिए कोई जगह नहीं है। खेतों से सब्जियों को 3 बजे काटा जाता है और दोपहर तक यह ग्राहकों तक पहुँच जाता है। इस बीच, बेकर्स दिन में अनुमानित माँग के लिए ऑर्डर तैयार करते हैं।”

लिविंग फूड कंपनी की ऑनलाइन प्लेटफार्म पर उपलब्ध है और इसके तहत माइक्रोग्रीन्स, जैसे कि ब्रोकोली, मूली, स्पाइसी जैसे कि स्मोक्ड पेपरिका, सीलोन दालचीनी, शाकाहारी पनीर, मोरिंगा पाउडर, ऑर्गेनिक केपर्स, बटरहेड लेट्यूस, लेमन ग्रास से लेकर टोस्टेड सीसम ऑयल तक बेचे जाते हैं।

‘फार्म टू फार्क मॉडल’

आकाश बताते हैं, “पेशे से विश्लेषक होने के कारण मुझे यह अंदाजा नहीं था कि भारत में फूड बिजनेस कैसे काम करता है और लोगों की जरूरतें क्या है। इसलिए मैंने किसानों और खाद्य उत्पादक कंपनियों को नेटवर्क को मजबूत करने के लिए अपने सभी संसाधनों को चैनलाइज किया। मेरे पहले ग्राहक मेरे दोस्त और रिश्तेदार थे।”

हालांकि, दूसरों के साथ टाईअप करने से पहले, आकाश ने अपने उत्पाद, माइक्रोग्रीन को पेश किया। क्योंकि यह कैंसर की रोकथाम में कारगर है। उन्होंने इसे इनडोर क्लाइमेट-कंट्रोल हाइड्रोपोनिक फार्म में उगाना शुरू किया और यूएसडीए द्वारा अनुमोदित नॉन-जीएमओ बीजों का इस्तेमाल किया।

इससे ग्राहकों के बीच, आकाश की विश्वसनीयता बनी और अब उनके पास विविध प्रकार के माइक्रोग्रीन्स हैं, जिनमें विटामिन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जस्ता, लोहा और फोलिक एसिड जैसे आवश्यक पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

उन्होंने अपने ग्राहकों के लिए एक मेंबरशिप मॉडल को पेश किया है, जिसके तहत एक महीने में चार बक्से वितरित किए जाते हैं। इससे न केवल उत्पादों की माँग बढ़ी, बल्कि ग्राहकों को पोषक तत्वों से भरपूर माइक्रोग्रीन्स की अच्छी आदत भी लग गई।

शुरूआती दिनों में आकाश के नजदीकी लोगों ने उनकी कंपनी को “वर्ड ऑफ माउथ” के जरिए आगे बढ़ने में मदद की। नतीजन, तीन महीने के अंदर, कंपनी के पास फूड ब्लॉगर, शेफ, सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर से लेकर मध्यम-आय वाले घरों तक के ग्राहकों का आधार था।

आकाश बताते हैं, “लोगों ने हमारे ताजा माइक्रोग्रीन की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर साझा कर, हमें टैग करना शुरू कर दिया। इस तरह, उनकी वास्तविक समीक्षाओं से हमारे फॉलोवर्स बढ़ने लगे, जिससे हमें आगे बढ़ने में मदद मिली।”

जबरदस्त प्रतिक्रियाओं से उत्साहित आकाश ने ग्राहकों के सामने दूसरे उत्पादों को भी पेश करना शुरू किया। इसके तहत, उन्होंने ‘सॉर हाउस’ के साथ टाईअप किया, जो कि फर्मेंटेड ब्रेड, केक बनाने के लिए जानी जाती है। 

इसी का नतीजा है कि कंपनी के उत्पादों की माँग हर महीने 40 प्रतिशत की स्थिर गति के साथ आगे बढ़ रही है। कोरोना महामारी से जारी लॉकडाउन के दौरान भी, आकाश में उत्पादों की माँग नियमित रूप से बढ़ रही है। इस साल के अंत में, उनके द्वारा 10 और वेरिएंट लॉन्च करने की उम्मीद है।

प्रभाव

पर्यावरणविद अनीशा पाढे कहती हैं कि उनके लिए लिविंग फूड कंपनी ऑर्गेनिक फूड के लिए एक उपयुक्त दुकान थी। माइक्रोग्रीन की नई अवधारणा से प्रेरित होकर, उन्होंने जनवरी, 2019 में अपना पहला ऑर्डर दिया था। तब से वह उनका नियमित ग्राहक रहीं हैं।

अनीशा बताती हैं, “मैं कोम्बुचा, जामन, कुकीज, जैतून, टमाटर आदि ऑर्डर करती हूँ। मुझे लिविंग फूड की क्वालिटी काफी पसंद है। मुझे अच्छा लगता है कि वे अपने उत्पादों के बारे में जानकारी देते हैं, इससे आपको पता होता है कि आप क्या सेवन कर रहे हैं। एक और अच्छी बात है कि उनकी पैकेजिंग 95 प्रतिशत प्लास्टिक मुक्त है।”

वहीं, लाइफ एट वर्क ब्रुअरीज के संस्थापक अर्जुन को अपने उत्पाद, कोम्बुचा को लिविंग फूड कंपनी की वेबसाइट के जरिए बेचने के बाद काफी लाभ हो रहा है। कंपनी ने उन्हें इस स्वास्थ्यवर्धक पेय की मार्केटिंग करने के लिए एक मंच दिया है और एक साल के अंदर, उनके उत्पादों की बिक्री में काफी वृद्धि हुई है।

इसे लेकर वह कहते हैं, “हम पहले हर महीने 100 बोतल कोम्बुचा बेचते थे, लेकिन आकाश के साथ टाईअप करने के बाद हम प्रतिमाह 3000 बोतल बेचते हैं। हमें खुशी है कि अधिक से अधिक लोगों को कोम्बुचा के स्वास्थ्य लाभों के बारे में पता चल रहा है।”

आकाश ने जिस पहल को अपने माता-पिता के स्वास्थ्य चिन्ता को लेकर शुरू किया था, अब वह पूरी तरह से जीत के उपक्रम में बदल गई है। इससे ग्राहकों और विक्रेताओं, दोनों को लाभ हो रहा है। वह अपने बिजनेस के दायरे को मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों में भी शुरू करने की योजना बना रहे हैं।

आप लिविंग फूड कंपनी से यहाँ संपर्क कर सकते हैं।

मूल लेख  – GOPI KARELIA

यह भी पढ़ें – मुम्बई: माँ-बेटी की जोड़ी ने लॉकडाउन के बीच शुरू की होम डिलीवरी सर्विस, हजारों है कमाई

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Parents Cancer, Parents Cancer, Parents Cancer, Parents Cancer, Parents Cancer, Parents Cancer

Exit mobile version