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“सिर्फ 10% आंखों की रोशनी के साथ भी मैं हर साल लाखों लीटर पानी बचाता हूँ, तो आप क्यों नहीं?”

With Just 10% Eyesight, Mahendrasinh Saved Millions L. Water through Rain Water Harvesting

गुजरात के राजकोट के रहनेवाले महेंद्रसिंह ज़ाला, पिछले 10 सालों से Rain Water Harvesting कर रहे हैं। हालांकि महेंद्रसिंह ठीक से देख नहीं सकते। 1992 में हुई एक घटना के कारण महेंद्रसिंह के आंखों की रोशनी 90 फीसदी कम हो गई। वॉलिबॉल का एक मैच खेलते समय बॉल उनके आंखों पर लगी और रेटिना एकदम अलग हो गया और फिर एक के बाद एक उनके आंखों की छह सर्जरी हुई।

लेकिन इस घटना के बाद से उनके आंखों की रोशनी 90% कम हो गई। द बेटर इंडिया से बात करते हुए महेंद्रसिंह कहते हैं, “शायद मेरे भाग्य में यही लिखा था कि मुझे अपनी 10 प्रतिशत नज़र के साथ ही काम करना है।”

60 साल के महेंद्रसिंह पूर्व आईटीआई कर्मचारी हैं। पिछले कुछ सालों से उन्हें अपने जीवन में एक नया मकसद मिला है। करीब 10 सालों से वह अपना समय और ऊर्जा बारिश के पानी को बचाने में लगा रहे हैं। महेंद्रसिंह राजकोट के कोठारिया कॉलोनी में रहते हैं।

उन्होंने अपने घर के ग्राउंड, पहले और दूसरी मंजिल के टैरेस पर सात टैंक लगाए हैं। इन टैंकों में वह बारिश के पानी को इकट्ठा करते हैं और इसमें स्टोर किया गया पानी घर के लिए इस्तेमाल करते हैं। उनके इस काम में उनके भाई गजेंद्रसिंह, बेटे यशराजसिंह और भतीजे हर्षदीपसिंह भी मदद करते हैं।

काफी आसान है Rain Water Harvesting यह प्रक्रिया 

टैंकों में पानी स्टोर करने की प्रक्रिया काफी आसान है। एक बार दूसरी मंजिल के टैरेस पर टैंक में 3,000 लीटर पानी भर जाने के बाद, जो पानी ओवरफ्लो होता है वह पाइप के ज़रिए पहली मंजिल की छत पर लगे दो 1,000 लीटर के टैंकों में जाता है। वहां से अतिरिक्त पानी को ग्राउंड फ्लोर पर 2,000 लीटर के टैंक में भेज दिया जाता है।

पार्किंग एरिया में एक और टैंक है, जिसमें 1,000 लीटर पानी रखा जा सकता है। इस टैंक से बहने वाले पानी के लिए, दो फिल्टर लगाए गए हैं, जो पानी को छानते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि पानी साफ, शुद्ध और उपयोग करने योग्य रहे। यहां से, अतिरिक्त पानी दो ग्राउंड-लेवल स्टोर्स, 3,000 लीटर के टैंक और 250 फीट गहरे बोर में जाता है।

जाला बताते हैं कि इस सिस्टम के ज़रिए वह हर साल कुल 1 लाख लीटर पानी बचाते हैं, जिसका इस्तेमाल पूरे साल भर किया जाता है। इन बचाए गए पानी से घर का सारा काम किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक घंटे की बारिश से उन्हें जितना पानी मिलता है, उससे तीन दिनों के लिए घर का सारा काम हो सकता है। 

महेंद्र की बहू, आशा कहती हैं, “पानी का उपयोग कपड़े और बर्तन धोने, नहाने, पौधों को पानी देने जैसे कामों के लिए किया जाता है। घर में जहां भी पानी की ज़रूरत होती है, वहां हम इसी पानी का उपयोग करते हैं।” आशा बताती हैं कि बारिश न होने पर भी बचे हुए पानी से करीब 20 दिनों तक घर के काम किए जा सकते हैं।

अकाउंट खोल पैसे बचा सकते हैं, तो पानी क्यों नहीं”

Mahindrasinh Zala at his rainwater harvesting tank.

आशा बताती हैं कि पानी भरने के लिए मोटर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, इसलिए इससे बिजली की भी बचत होती है।जाला पेशे से एक मैकेनिकल इंजीनियर थे, इसलिए उन्हें इस Rain Water Harvesting प्रोजेक्ट की बारिकियां काफी अच्छे से पता थीं। वह कहते हैं, “टैंक का लेवल, क्षमता, पानी कैसे एक जगह से दूसरे जगह तक पहुंचता है, फोर्स कहाँ से आता है और यह देखना कि पानी अधिकतम मात्रा में स्टोर किया जा रहा है, मुझे इन सब के बारे में एक आइडिया था और मैंने इस सारे ज्ञान का उपयोग यहां किया है।” 

जाला ने पानी की कमी को करीब से देखा था और यहीं से उन्हें अपने इस प्रोजेक्ट की प्रेरणा मिली। वह कहते हैं, कि अगर आज हम पानी नहीं बचाएंगे, तो आने वाली पीढ़ी को पानी की जगह आंसू पीना पड़ेगा और इसके लिए जिम्मेदार हम होंगे। महेंद्रसिंह एक अहम सवाल पूछते हैं कि, “अगर हम अकाउंट खोल सकते हैं और पैसे बचा सकते हैं, तो क्या हम अपने बच्चों के लिए पानी नहीं बचा सकते?”

हालांकि, जाला अब भी किराए के मकान में ही रहते हैं, लेकिन इस प्रोजेक्ट को स्थापित करने के लिए उन्होंने 25,000 रुपये खर्च किए हैं। उनके प्रयासों को देखते हुए, 2021 में, जल शक्ति विभाग (पीने के पानी और स्वच्छता विभाग) ने उन्हें ‘वॉटर हीरो’ के टाइटल और इनाम के रूप में 10,000 रुपये से सम्मानित किया। वह कहते हैं, “उस पैसे से मैं और टैंक लगाऊंगा और ज्यादा पानी बचाऊंगा।”

कितना आता है खर्च?

जाला का मानना है कि Rain Water Harvesting एक ऐसी चीज़ है, जिसे हर किसी को करना चाहिए। इसके बारे में विस्तार से बात करते हुए वह कहते हैं, “बारिश होने पर प्रति गज 22 लीटर पानी गिरता है। मान लीजिए घर 100 गज का है, तो जब बारिश होती है और आप कुछ नहीं करते हैं, तो 2,200 लीटर पानी बह कर बर्बाद हो जाता है और इसके लिए घर के मालिक के अलावा, कोई और जिम्मेदार नहीं है।”

जाला के अनुसार, वॉटर हार्वेस्टिंग के ज़रिए हम दुनिया में आने वाले जल संकट को कम करने में अपना योगदान दे सकते हैं।इसके अलावा, इसे शुरु करने में बहुत ज्यादा खर्च भी नहीं आता है। महेंद्रसिंह बताते हैं, “मेरे पास दो मंजिल का घर है, इसलिए मुझे ज्यादा काम करना पड़ा है। लेकिन अगर आपके पास सिंगल बेडरूम-हॉल-किचन (बीएचके) है, तो शायद इसकी कीमत आपको 6,000 रुपये पड़ेगी।”

महेंद्रसिंह के परिवार को उनके इस काम पर बेहद गर्व है। कॉलोनी और शहर के आसपास से कई लोग उनके काम और प्रक्रिया के बारे में पूछने आते हैं। आशा बताती हैं, “बहुत से लोग वॉटर हार्वेस्टिंग प्रक्रिया के बारे में पूछते हैं और यह समझना चाहते हैं कि यह कैसे होता है और क्यों किया जाता है। लगभग पाँच लोगों ने इस प्रक्रिया को अपनाया भी है।”

अंत में महेंद्र सिंह कहते हैं, “मेरी आँखों में केवल 10 प्रतिशत रौशनी है और मैं यह कर सकता हूँ, तो आप सभी तो स्वस्थ हैं, आप इसे जरूर अपनाएं।”

मूल लेखः आरुषी अग्रवाल

संपादनः अर्चना दुबे

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