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सैयद अब्दुल रहीम: भारतीय आधुनिक फुटबॉल के आर्किटेक्ट, कैंसर से जूझते हुए भी ले आए थे गोल्ड

Indian coach Syed Abdul Rahim with Indian football team

आज बेशक भारत की फुटबॉल टीम फीफा का बैन झेल रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय फुटबॉल टीम दो एशियाई गोल्ड मेडल जीत चुकी है। यहां तक कि 1956 के मेलबर्न ओलंपिक के सेमीफाइनल दौर में पहुंचने वाली भारतीय टीम पहली एशियाई टीम बनी थी। जी हां, भारतीय फुटबॉल को वह स्वर्णिम दौर दिखाने वाले शख्स थे सैयद अब्दुल रहीम, जिन्हें खेल प्रेमी ‘रहीम साहब’ के नाम से भी जानते हैं।

वह भारतीय फुटबॉल कोच थे, जिन्हें आधुनिक भारतीय फुटबॉल का ‘आर्किटेक्ट’ भी कहा जाता है। रहीम की भारतीय फुटबॉल को ऊंचाई पर ले जाने की भूख इस कदर थी कि सन् 1962 में जब जकार्ता के एशियाई खेल हो रहे थे, तब रहीम कैंसर से जूझ रहे थे, लेकिन उस समय भी उनकी आंखों में केवल गोल्ड ही बसा था। उनका यह ख्वाब पूरा भी हुआ, लेकिन अगले ही साल 1963 में कैंसर से जूझते हुए भारत के इस महान फुटबॉल कोच ने दुनिया को अलविदा कह दिया।

साल 1949, यही वह साल था, जब सैयद अब्दुल रहीम को बतौर कोच सीलोन का टूर करने वाली भारतीय टीम को ट्रेन करने का जिम्मा मिला। इसके बाद, देश को आज़ाद हुए बस चार ही साल हुए थे, 1951 में नई दिल्ली में एशियाई खेलों का आयोजन हुआ।

सैयद अब्दुल रहीम की अगुवाई में टीम ने रचा इतिहास

Syed Abdul Rahim

रहीम की सरपरस्ती में भारतीय टीम ने दिल्ली में हुए एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता। इस खेल का आयोजन 5 मार्च से लेकर 11 मार्च, 1951 तक नई दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में हुआ। हालांकि ये मैच 11×65 यार्ड के मैदान पर खेले गए, जो अंतरराष्ट्रीय नियमों द्वारा निर्धारित मैदान से छोटा था, लेकिन फीफा ने इसे एडवांस में नोटिफाई करते हुए टूर्नामेंट को मंजूरी दे दी थी।

एशियाई गोल्ड जीतने के बाद, भारतीय फुटबॉल टीम के हौसले बुलंद थे। कोच खिलाड़ियों की तकनीक में लगातार सुधार कर रहे थे। 1952 का ओलंपिक भले ही बेहद यादगार नहीं रहा, लेकिन इसके ठीक चार साल बाद, 1956 के मेलबर्न समर ओलंपिक में भारतीय फुटबाल टीम ने इतिहास रच दिया।

यह टीम कप्तान समर बनर्जी और कोच सैयद अब्दुल रहीम की अगुवाई में मैदान पर उतरी थी। हंगरी के न खेलने पर टीम को वाक ओवर मिला। इसके बाद भारतीय टीम ने मेजबान आस्ट्रेलिया को 4-2 से धूल चटाकर सेमीफाइनल में जगह बना ली। इस तरह ओलंपिक के इतिहास में ऐसा करने वाली वह पहली एशियाई टीम बन गई।  

दो खिलाड़ी चोटिल और गोलकीपर बीमार, फिर भी 1962 में जीता गोल्ड

रहीम की अगुवाई में भारतीय फुटबॉल टीम के शानदार प्रदर्शन का दौर जारी था। भारतीय टीम एशिया की सबसे मजबूत टीम बनकर उभरी थी। 1962 में जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में भी उसका जलवा कायम रहा। जबकि फाइनल में भारत का सामना बेहद मजबूत मानी जाने वाली टीम दक्षिण कोरिया से हुआ।

हालत यह थी कि इसमें भारत के दो खिलाड़ी घायल थे और गोलकीपर बीमार। लेकिन रहीम के भरोसे पर यह दोनों खिलाड़ी फाइनल मैच में उतरने को तैयार थे। इसके बाद जो हुआ वह दुनिया ने देखा। भारत ने 2-1 से यह मैच जीतकर अपनी झोली में गोल्ड मेडल डाल लिया।

ब्राजील से भी पहले रहीम ने भारतीय टीम को दिया यह फॉर्मेशन

Indian coach Syed Abdul Rahim sitting in the first row with the football team (center).

सैयद अब्दुल रहीम की अगुवाई में फिजिकल फिटनेस ट्रेनिंग और टेक्निकल ट्रेनिंग के बूते भारतीय टीम ने ऊंचाइयां हासिल कीं। रहीम ही वह कोच थे, जिन्होंने भारतीय फुटबाल टीम में 4-2-4 का फॉर्मेशन दिया। खास बात यह थी कि ऐसा वह ब्राजील से भी पहले कर चुके थे।

ब्राजील में यह फॉर्मेशन 1958 वर्ल्ड कप में लोकप्रिय हुआ। वर्तमान में हर फुटबाल मैच में यह फॉर्मेशन देखने को मिलता है। इसका अर्थ होता है 4 बैक, 2 हाफ बैक और 4 फॉरवर्ड। रहीम ने वन टच प्ले, नॉन ड्रिबलिंग में सुधार करने पर खासा फोकस किया, जिसने भारतीय टीम को मजबूती प्रदान की।

प्रोफेशनल क्लब खिलाड़ी के साथ ही टीचर भी रहे सैयद अब्दुल रहीम

सैयद अब्दुल रहीम का जन्म 17 अगस्त, 1909 को हैदराबाद में हुआ था। अपने प्रारंभिक वर्षों में उन्होंने उस्मानिया यूनिवर्सिटी की टीम का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने इसी विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि ली और टीम इलेवन हंटर्स के लिए खेले, जो कॉलेज के वर्तमान और पूर्व छात्रों को मिलाकर तैयार की गई थी।

कला संकाय की डिग्री लेने के बाद, उन्होंने कांचीगुडा मिडिल स्कूल, उर्दू शरीफ स्कूल, दारूल उल उलूम हाईस्कूल और चंद्रघाट हाईस्कूल में शिक्षण कार्य किया। इसके बाद, उन्होंने फिज़िकल एजुकेशन में डिप्लोमा किया और आखिर के दो स्कूलों में खेल गतिविधियों का जिम्मा उठाया।

इस दौरान उन्होंने लोकल लीग में बेहतरीन समझी जाने वाली कमर क्लब की टीम का भी प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद वह प्रोफेशनल खिलाड़ी के तौर पर डच क्लब के लिए भी खेले। 1943 में रहीम हैदराबाद फुटबॉल असोसिएशन के सचिव चुने गए। इसी साल उन्हें हैदराबाद सिटी पुलिस एफसी के कोच की भी जिम्मेदारी मिली।

सैयद अब्दुल रहीम के जीवन पर बनी फिल्म में अजय देवगन ने निभाया रोल

भारत के सबसे सफल फुटबॉल कोच सैयद अब्दुल रहीम पर ‘मैदान’ नाम से एक बॉलीवुड फिल्म भी बनाई गई। यह फिल्म अमित रविंद्र नाथ शर्मा ने डायरेक्ट की, जिसमें मशहूर फिल्म अभिनेता अजय देवगन ने लीड रोल निभाया। वह सैयद अब्दुल रहीम के भारतीय फुटबॉल को ऊंचाई पर ले जाने वाले प्रयासों से बेहद प्रभावित थे। इस फिल्म को 15 जून, 2022 को रिलीज़ किया गया। हालांकि इस फिल्म को और रहीम को अधिक चर्चा नहीं मिल सकी।

रहीम भारत के तीन ओलंपिक खेलों 1952, 1956 व 1960 में भी कोच रहे। वह भारत के सबसे सफलतम फुटबॉल कोच भी माने गए। आखिर उनकी अगुवाई में भारत ने फुटबॉल में स्वर्णिम काल देखा। उनकी मौत पर बहुत से मशहूर फुटबॉलर्स ने अपने अपने तरीके से दुख व्यक्त किया।

लेकिन पूर्व भारतीय फुटबॉलर फोर्टुनाटो फ्रांस ने जैसे भविष्य देख लिया था। उन्होंने कहा, “उनकी (रहीम की) मौत के साथ ही भारतीय फुटबाल भी कब्र में चली गई है।” आज सैयद अब्दुल रहीम का जन्मदिवस है। भारतीय फुटबॉल में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।

संपादनः अर्चना दुबे

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