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आखिर क्यों 1950 में क्वालीफाई करने के बावजूद टीम इंडिया खेल नहीं पायी फीफा वर्ल्ड कप!

साल 1950 में भारतीय टीम ने फीफा के लिए क्वालीफाई किया था। पर परिस्थियों के चलते आल इंडिया फूटबाल संघ टीम को ब्राज़ील नहीं भेज पाया था।

फुटबॉल के लिए यह, वह समय है जब बर्लिन से लेकर भोपाल तक प्रशंसकों को आप अपनी-अपनी पसंदीदा टीम की जर्सी में देख सकते हैं। फुटबॉल प्रेमियों की भी अपनी ही एक तादाद है जो बेशक अलग-अलग क्लब से हों पर फीफा वर्ल्ड कप में अपनी मनपसंद टीम के लिए साथ आ जाते हैं।

रोनाल्डो, रिवाल्डो और रोनाल्डिन्हो के जादुई प्रदर्शन के चलते बहुत से लोग ब्राजील के दीवाने हैं और जो इस खेल के नए चाहने वाले हैं उनके लिए लियो मेस्सी या क्रिस्टियानो रोनाल्डो से बढ़कर कोई नहीं।

सभी प्रशंसकों के बीच एक बात आम है-भारत को विश्व स्तर पर खेलते हुए देखने की इच्छा।

खैर, यह सपना साल 1950 में लगभग सफ़ल हो गया था। उस वर्ष भारत ने फीफा विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया था, जो ब्राजील में होने वाला था। तो, फिर क्या हुआ?

साल 1957 फीफा वर्ल्ड रैंकिंग में इंडियन फुटबॉल टीम की रैंकिंग 9वीं थी। (खूबखेलबो फेसबुक पोस्ट)

टीम मैदान पर खेलने क्यों नहीं उतरी इसकी कई वजहें हैं पर एक वाहियात अफ़वाह के मुताबिक माना जाता है कि टीम नंगे पैर खेलना चाहती थी और इसीलिए उन्हें खेल से बाहर कर दिया गया था।

हालाँकि, यह सच नहीं है!

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह पहला विश्व कप था। सभी देश विश्व युद्ध में हुए नुकसान से उबर रहे थे और कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण कई टीमों को खेल से वापसी लेनी पड़ी। स्कॉटलैंड, फ्रांस और चेकोस्लोवाकिया ने भी अपनी टीमों को बाहर कर लिया, जिससे भाग लेने वाली टीमों की कुल संख्या केवल 13 रह गई थी।

एशिया से टूर्नामेंट में भाग लेने वाली एक भी टीम नहीं थी, यह देखते हुए ब्राजील के फुटबॉल संघ ने अखिल भारतीय फुटबॉल संघ से संपर्क किया और उन्हें विश्व कप में भाग लेने के लिए अपनी टीम भेजने को कहा। ब्राजील के अधिकारियों ने विश्व कप के दौरान भारतीय टीम का खर्चा उठाने की भी पेशकश की थी।

भारत ने न तो कभी खेल में भाग लेने की पुष्टि की और न ही टीम को निकालने की। पर जब विश्व कप शुरू हुआ तो भारतीय टीम नहीं थी।

तो क्या हुआ? वे क्यों नहीं गए?

साल 1948 के ओलंपिक में भारत ने अपने अच्छे खेल के साथ दुनिया को प्रभावित किया था। और आश्चर्य की बात थी, कि ज्यादातर खिलाड़ियों ने नंगे पैर खेला, जबकि कुछ ने सिर्फ मोज़े पहने थे। आज़ादी के बाद यह पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट देश के लिए बड़ी बात थी।

इंडिया टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फीफा ने भारतीय टीम को कहा था कि उन्हें विश्व कप के लिए जूते पहनने होंगें, और यह बात टीम को जमी नहीं।

हालाँकि, सेलिन मन्ना के अनुसार, जो भारत के बेहतरीन खिलाड़ियों में से रहे हैं, यह झूठ था। उन्होंने कहा कि एआईएफएफ ने विश्व कप को ओलिंपिक की तरह गंभीरता से कभी लिया ही नहीं।

फ्री प्रेस जर्नल के मुताबिक, मन्ना, जो टूर्नामेंट में भारतीय टीम का नेतृत्व कर सकते थे, ने कहा कि एआईएफएफ द्वारा नंगे पांव खेलने के बहाने का इस्तेमाल वास्तविक कारणों को छुपाने के लिए किया गया था।ताकि उन्हें यह न बताना पड़े कि उन्होंने ब्राजील की यात्रा न करने का फ़ैसला क्यों किया।

एआईएफएफ ने अन्य कारणों, जैसे कि यात्रा का खर्च, अभ्यास समय की कमी, अपर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार, और ब्राजील के लिए एक लंबी, चुनौतीपूर्ण जहाज यात्रा का हवाला दिया, जिसे टीम के लिए तैयार नहीं किया गया था।

कारण चाहे जो भी रहा हो पर आज 68 साल हो गए हैं। हम अभी भी एक बार फिर विश्व कप क्वालीफाई करने के लिए भारतीय टीम की राह देख हैं। जो भी हुआ उसके लिए एआईएफएफ जिम्मेदार है या नहीं, ये हम कभी नहीं जान पायेंगें।पर आज भारत, फुटबॉल के खेल में लगातार आगे बढ़ रहा है। आईएसएल ने जनता के बीच भी खेल की लोकप्रियता देखी है।

निश्चित रूप से, प्रशंसकों और देश के समर्थन से, भारतीय टीम भी एक दिन विश्व कप खेल सकती है। बस तब तक, भारतीयों को अपनी फुटबॉल खेल के प्रति अपने उत्साह को संतुष्ट करने के लिए जर्मन, ब्राजीलियाई और अर्जेंटीना की जर्सी से ही काम चलाना होगा।

( संपादन – मानबी कटोच )

मूल लेख: रेमंड इंजीनियर


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